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भारतीय संस्कृति का समरसता सन्देश

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

काशी में शिव और गंगा से वस्तुतः जीवन के शाश्वत सन्देश मिलते है। शिव का अर्थ ही कल्याण है,वह जगत कल्याण के लिए स्वयं विष पीते है। यह परमार्थ का विचार है। माँ गंगा का निर्मल अविरल होना भी जीवन का सन्देश है। व्यक्ति अपने जीवन को निर्मल और श्रेयष्कर मार्ग पर चलने की प्रेरणा मिलती है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की काशी सोनभद्र और विंध्याचल यात्रा में ऐसी ही भावभूमि दिखाई दी। उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की। यह भगवान शिव की आराधना थी। इसके बाद वह मां गंगा की भव्य आरती में सम्मलित हुए। सोनभद्र में वनवासी समुदाय का समागम था। यहाँ राष्ट्रीपति ने प्रभु श्री राम का स्मर्णन किया।

कहा कि वनवासियों के सहयोग से उन्होंने लंका विजय की थी। इसके बाद राष्ट्रपति मां विंध्यवसनी धाम गए। यह मंदिर भी गंगा तट पर स्थित है। इस प्रकार राम नाथ कोविंद की यह यात्रा सांस्कृतिक परिवेश के अनुरूप थी। काशी में वह दैनिक जागरण फोरम के कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। यहां भी नमामि गंगे पर्यावरण पर विचार किया गया। राष्ट्रपति के संबोधन में यहां भी मां गंगा थी। इस पूरी अवधि में रामनाथ कोविंद भाव विह्वल दिखाई दिए। वह बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने मां गंगा की आरती में सहभागी होने को अपना सौभाग्य मानते है।

समरसता का भाव

दैनिक जागरण फोरम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने काशी की शिव बारात का उल्लेख किया। कहा कि यह भारत भारतीय संस्कृति में समाहित समरसता भाव के अनुकूल है। सभी लोग बिना भेद भाव के इसमें शामिल होते है। सभी लोग आस्था के स्तर पर शिव जी को अपना मानते है। देश की संस्‍कृति और सभ्‍यता को जोड़ती हैं गंगा। यह भारत की पहचान है। गंगा के बिना जीवन अधूरा है। गंगा देश के ग्यारह राज्‍यों से होकर गुजरती है जो करीब तैतलिस प्रतिशत आबादी के लिए जीवन है। गंगा जल ही जीवन जल है। उन्होने अपनी मॉरिशस यात्रा का उल्लेख किया। वहां उन्होंने गंगा तालाब व उसने निकट शिव मंदिर के दर्शन किये। भारत के लोग जहां भी जाते है,किसी ना किसी रूप में गंगा जी उनके साथ होती है। यह अद्भुत आस्था है।

नमामि गंगे

राष्ट्रपति ने कहा कि गंगा की स्‍वच्‍छता और संरक्षण देश के लिए आवश्‍यक है। नमामि गंगा के परिणम अब सामने आने लगे है। इसमें अभी काफी कुछ होना है। प्रधानमंत्री और वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी ने स्‍वच्‍छता अभियान पर काफी जोर दिया है। अस्‍सी घाट पर सफाई कार्य की शुरुआत करके प्रधानमंत्री ने जो संदेश दिया उसे अब जनअभियान का रूप दे दिया गया है। स्‍वच्‍छता के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है। गंगा जल को निर्मल करने की दिशा में काशी के संत समाज का काफी याेगदान है।

गंगा का लगाव एक संप्रदाय या वर्ग से नहीं है। गंगा सभी के लिए है। देशवासी जहां भी जाते है वहां गंगा को दिल में ही रखते है। मेरे जीवन में गंगा से काफी कुछ मार्ग दर्शन मिला है। गंगा को नदी के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह संस्कृति की संवाहक है। राष्ट्रपति ने बिस्मिल्ला खान का उदाहरण दिया। बताया कि एक बार बिस्मिल्ला खान को मुम्बई में बसने का आग्रह लोगों ने किया। उनका उत्तर था कि यहां बस तो जाऊंगा,लेकिन मुम्बई में गंगा कहाँ से लाओगे।

चार वर्ष में विकास

दैनिक जागरण फोरम के समापन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। उन्होंने कहा कि दुनिया की सबसे पुरानी और धर्मिक व सांस्कृतिक नगरी काशी में जागरण फोरम मेरे लिए प्रसन्नता का विषय। काशी में शिक्षा के केंद्र के रूप में विशिष्ट पहचान बनाई है। काशी वैश्विक मंच पर धमक के साथ आगे बढ़ रही है। धर्म अर्थ काम मोक्ष की नगरी काशी अनादि काल से रही है।चार वर्ष में उत्तर प्रदेश नई पहचान संग नए उत्तर प्रदेश के रूप में सामने आया है। व्यवसाय की सफलता और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ कानून व्यवस्था बनाना भी सरकार की प्राथमिकता रही है।

चार वर्षों में उत्तर प्रदेश में दंगा नहीं हुआ। सरकार ने कानून व्यवस्था के लिए कड़े कदम उठाए जो मील का पत्थर बने हैं। उपद्रवियों से वसूली एक मिसाल है। माफिया और अपराधियों की प्रॉपर्टी और अवैध सम्पत्ति की वसूली ही नहीं बुलडोजर भी चल रहा है। आज दूसरी रैंकिंग ईज ऑफ डूइंग बिजनेस उत्तर प्रदेश की है,पैंतीस लाख नौकरी मिली है, अर्थव्यवस्था में सुधार भी हुई। प्रदेश में कोई अतिरिक्त कर नहीं लगाया गया,कोरोना का सफलता से सामना किया। अतिरिक्त टैक्स लगाए बगैर आय को बढ़ाया,पहले उनचास हजार करोड़ मिलता था राजस्व। एक लाख करोड़ राजस्व प्राप्त हो रहा है।

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