घुटने के बल बैठ जाएं. अपने हाथ के पंजों को जमीन से सटाकर हाथों को तब तक आगे बढ़ाएं जब तक कि आपका माथा धीरे से जमीन पर न आ जाए. लगभग 3 से 5 बार गहरी व लंबी सांस लीजिए. हथेली आकाश की ओर रखें. धीरे से छाती से जांघो पर दबाव दें. इस स्थिति को सुविधा रहने तक बनाये रखें. फिर धीरे से उठकर एड़ी पर बैठ जाएं व रीढ़ की हड्डी को धीरे धीरे सीधा करें. विश्राम करें.
फायदा – यह पीठ को विश्राम, कब्ज से राहत व तंत्रिका तंत्र को शांत करता है.
अर्ध पूर्वोत्तनासन: बालासन की मुद्रा में एक मेज की तरह घुटने के बल बैठ जाएं. आपके कंधे कलाई के ऊपर हों व आपके कूल्हे घुटनों पर टिके हुए हों. अपने हाथों व घुटनों के माध्यम से बराबर वजन बनाए रखें व अपने पैरों को आराम दें. अपने पेट की मांसपेशियों को एकत्र करें व अपनी रीढ़ को लंबा करें. अपना ध्यान दोनों हाथों के बीच में रखें.
इस आसन के कई फायदा हैं –
इससे कलाइयां भुजाएं कंधे पीठ व रीढ़ को मजबूती मिलती है. पैरों और कूल्हों का व्यायाम भी हो जाता है, श्वसन प्रक्रिया प्रक्रिया में सुधार करता है. दिल के लिए भी यह आसन लाभदायक है. यह आंतों व उदर के अंगों में खिंचाव पैदा करता है इससे वे मजबूत बनती हैं.