Breaking News

Navratri: माता सिद्धिदात्री है समस्त सिद्धियों की देवी…

वर्ष की चार नवरात्रियों में से शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि का पर्व शक्ति की पूजा का पर्व है और नवरात्रि के नौ दिनों में भक्त सात्विक रहकर मां की आराधना करते हैं। इन दिनों भक्त तामसिक कार्यों से दूर रहकर देवी की उपासना करता है और मां को प्रसन्न करने के लिए अनेकानेक उपाय करता है। शारदीय नवरात्र के नौ दिनों में देवी को भव्य स्वरूप में विराजमान कर उनकी आराधना की जाती है। वैभवशाली पांडाल और गरबे इस नवरात्र का खास आकर्षण रहता है।

माता सिद्धिदात्री है समस्त सिद्धियों की देवी
शारदीय नवरात्र के नौवे दिन देवी के सिद्धिदायी स्वरूप की आराधना की जाती है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि माता सिद्धिदात्री की आराधना से साधक को समस्त सिद्धियों की स्वत: प्राप्ति हो जाती है। इस दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्त के लिए सृष्टि में कुछ भी मुश्किल नहीं रह जाता है और उसमें ब्रह्माण्ड विजय करने की शक्ति आ जाती है।

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सिद्धियां आठ होती है। ये अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व है। वहीं ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में सिद्धियों की संख्या अठारह बताई गई है। जो अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व, सर्वकामावसायिता, सर्वज्ञत्व, दूरश्रवण, परकायप्रवेशन, वाक्‌सिद्धि, कल्पवृक्षत्व, सृष्टि, संहारकरणसामर्थ्य, अमरत्व और सर्वन्यायकत्व है। मानय्ता है कि सभी देवी-देवताओं को देवी सिद्धिदात्री की कृपा से सिद्धियां प्राप्त हुई है।

देवीपुराण में है माता सिद्धिदात्री का वर्णन
देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। देवी की कृपा से महादेव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण से भोलेनाथ को ‘अर्द्धनारीश्वर’ स्वरूप प्राप्त हुआ था। माँ सिद्धिदात्री कमल पुष्प पर विराजमान हौ और इनका वाहन सिंह है। देवी के दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में चक्र है। उनके दाहिनी तरफ के ऊपर वाले हाथ में गदा है। बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख धारण किए हुए है और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है।

नवरात्र के आठ दिनों तक जब कोई साधक भक्तिभाव से उपासना करता है तो नौवें अंतिम दिन उसे सिद्धियां प्राप्त होती हैं, इसलिए नवरात्र के अंतिम दिन इन देवी की पूजा का विधान है। देवी सिद्धिदात्री की उपासना से केतु ग्रह के अशुभ प्रभाव की प्राप्ति होती है। जिस जातक की कुंडली में केतु नीच का हो या केतु की चंद्रमा से युति हो या केतु मिथुन अथवा कन्या राशि में हो षष्ट भाव में स्थित होकर नीच का एवं पीड़ित हो, उन्हें देवी सिद्धिदात्री सर्वश्रेष्ठ फल देती हैं।

About Samar Saleel

Check Also

आज का राशिफल: 23 अप्रैल 2024

मेष राशि: आज का दिन आपके लिए सुख व समृद्धि बढ़ाने वाला रहेगा। आपको किसी ...