पाकिस्तान की मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई की जिंदगी पर आधारित फिल्म गुल मकई इन दिनों काफी सुर्खियों में है। ये फिल्म जल्द सिनेमाघरों मैं रिलीज होने वाली है, लेकिन रिलीज से पहले फिल्म गुल मकई पर संकट के बादल मंढ़राने लगे हैं। मलाला यूसुफजई पर बनी इस फिल्म के खिलाफ फतवा जारी किया गया है। फिल्म गुल मकई पर धार्मिक ग्रंथ का अपमान करने के आरोप लगे है।
के अनुसार नोएडा स्थित एक मुस्लिम धर्म गुरू ने फिल्म गुल मकई के खिलाफ फतवा जारी किया है। धर्म गुरू ने फिल्म के पोस्टर पर एतराज जताते हुए फतवा जारी किया है साथ ही इसे धार्मिक ग्रंथ का अपमान भी बताया है। इसके अलावा फिल्म गुल मकई के निर्देशक अमजद खान को भी जान से मारने की धमकी मिल रही है। इतना ही नहीं अमजद खान के अनुसार उन्हें काफिर बुलाया जा रहा है।
मीडिया से बात करते हुए अमजद खान ने कहा, ‘नोएडा के एक व्यक्ति की ओर से फिल्म के खिलाफ फतवा जारी किया गया है। पोस्टर पर मलाला यूसुफजई को एक किताब पकड़े हुआ दिखाया गया है और दूसरी तरफ में ब्लास्ट का दृश्य है। उन्हें लगता है कि यह एक धार्मिक ग्रंथ है। उन्हें लगता है कि हमने पवित्र किताब का सम्मान नहीं किया है। मुझे, वह काफिर बोल रहे हैं। मैं बात करने की कोशिश कर रहा हूं, ताकि मैं उन्हें समझा सकूं कि यह कोई धार्मिक नहीं बल्कि एक अंग्रेजी की किताब है।’
गौरतलब है कि ‘गुल मकई’, यानी कि मक्के का फूल। नोबेल शांति पुरस्कार जीत चुकीं मलाला यूसुफजई इसी नाम से बीबीसी (ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज) पर आतंकवाद के खिलाफ अपना ब्लॉग लिखती थीं। अब मलाला की बायोपिक इसी नाम से रिलीज होने जा रही है। अमजद खान पिछले आठ साल से वह इस फिल्म को लेकर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। फिल्म के विरोध पर बात करते हुए अमजद खान ने बीते दिनों कहा था कि, लोग यह नहीं देखते कि एक लड़की को नोबेल का शांति पुरस्कार मिला है बल्कि वह यह देखते हैं कि यह एक पाकिस्तानी लड़की की कहानी है। इस फिल्म की घोषणा मैंने तब की थी जब मलाला को नोबेल भी नहीं मिला था।