आजादी से पहले भारतीय करेंसी पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भी तस्वीर छपती थी। आजाद हिंद बैंक की ओर से जारी इस करेंसी की छायाप्रति उत्तर प्रदेश के गोरखपुर शहर में बैंक रोड स्थित भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा के करेंसी डिस्प्ले बोर्ड पर देखा जा सकता है।
1943 में बना था आजाद हिंद बैंक
नेताजी ने देश को आजाद कराने के लिए जो जंग शुरू की थी, उसके लिए उन्हें काफी समर्थन भी मिला। लोगों ने खूब बढ़-बढ़कर चंदा भी दिया। इन पैसों को संभालने के लिए अप्रैल 1943 में एक बैंक भी बनाया गया। उसका नाम था ‘आजाद हिंद बैंक’। इस बैंक की स्थापना वर्मा की राजधानी रंगून में हुई थी। वर्मा को अब म्यांमार के नाम से जाना जाता है।
पुराने जमाने में राजा-महाराजा भी अपने नाम के सिक्के निकालते थे, तो उसी तरह नेताजी की इस सरकार ने भी ‘आजाद हिंद बैंक’ के मार्फत अपनी करेंसी जारी की। जिन देशों ने ‘आजाद हिंद सरकार’ का समर्थन किया, उन्होंने इस करेंसी को भी मान्यता दी थी।
आजाद हिंद सरकार को कई देशों का मिला था समर्थन
आजाद हिंद सरकार व फौज को समर्थन देने वाले दस देशों वर्मा, क्रोसिया, जर्मनी, नानकिंग (वर्तमान में चीन), मंचूको, इटली, थाइलैंड, फिलीपिंस व आयरलैंड ने बैंक और इसकी करेंसी को मान्यता दी थी। बैंक की ओर से दस रुपये के सिक्के से लेकर एक लाख रुपये के नोट तक जारी किए गए थे।
एक लाख रुपये के नोट पर सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर छपी थी। इसके पूर्व तक आजाद हिंद बैंक की ओर से जारी 5000 के नोट की ही जानकारी सार्वजनिक थी। पांच हजार का एक नोट बीएचयू के भारत कला भवन में भी सुरक्षित रखा है।
जापान-जर्मनी की मदद से होती थी करेंसी की छपाई
सुभाष चंद्र बोस ने जापान-जर्मनी की सहायता से आजाद हिंद सरकार के लिए नोट छपवाने का इंतजाम किया था। जर्मनी ने आजाद हिंद फौज के लिए कई डाक टिकट जारी किए थे, जिन्हें आजाद डाक टिकट कहा जाता है। ये टिकट आज भारतीय डाक के स्वतंत्रता संग्राम डाक टिकटों में शामिल हैं।
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