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प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं में बढ़ जाती हैं मुंहासों की समस्या व ये स्किन प्रॉब्लम्स

प्रेग्‍नेंसी के दौरान महिला के शरीर में ढेरों बदलाव आते हैं। ये बदलाव इतने जटिल होते हैं कि न केवल इन्‍हें समझ पाना मुश्किल होता है इनसे गुजरने वाली महिला के लिए गर्भावस्‍था का पूरा समय मनोभावों के उतार-चढ़ाव वाला साबित होता है।

इन ढेरों बदलावों में गर्भवती महिला की त्‍वचा में भी नौ महीनों के भीतर काफी परिवर्तन होते हैं।मुंहासों की समस्या आम बात है. प्रेगनेंसी के दूसरे और तीसरे महीने में शरीर के हार्मोन में बदलाव होते हैं जिसकी वजह से चेहरे पर मुंहासों की समस्या बढ़ जाती है. इस समय में त्वचा में सीबम का प्रोडक्शन बहुत अधिक होता है जिसकी वजह से पोर्स बंद हो जाते है. इस समय में कम से कम दो से तीन बार चेहरा धोएं.

गर्भवस्था के दौरान चेहरे पर काले धब्बे दिखना आम बात है. इस स्थिति को मेलिस्मा कहा जाता है. इस दौरान मेलेनिन का प्रोडक्शन भी तेजी से होता है जिसकी वजह से काले धब्बे पड़ जाते है.

प्रेग्‍नेंसी के लगभग 10वें हफ्ते में आपके पैरों की नसें नीली और उभरी हुई लगने लगती हैं। खून के बहाव को सुगम बनाने के लिए पालथी मार कर न बैठें, रोजाना थोड़ा टहलें, पैरों को कुछ देर तकिए की मदद से उठाकर लेटें।

प्रेगनेंसी के समय में शरीर में खिंचाव होता है जिसकी वजह से स्किन के कोलेजन सेल्स कमजोर होते है. इस वजह से स्ट्रेच मार्क्स दिखाई देता है. इस समय में 90 प्रतिशत महिलाओं को स्ट्रेच मार्क से गुजरना पड़ता है.

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