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शोपियां एनकाउंटर मामले में समरी ऑफ एविडेंस की प्रक्रिया पूरी, दोषी जवानों को हो सकती है सजा

दक्षिणी कश्मीर के शोपियां अमशीपोरा एनकाउंटर मामले में सेना ने अपनी ही राष्ट्रीय राईफल्स की एक यूनिट के अधिकारियों और सैनिकों को प्रथम-दृष्टया आरोपी मानते हुए उनके खिलाफ अनुशात्मक कार्यवाही के आदेश दिए हैं. मुठभेड़ में तीन युवकों के मारे जाने के बारे में सोशल मीडिया पर आई खबरों के बाद सेना ने कोर्ट ऑफ इनक्वायरी का आदेश दिया था. आरोप लगा था कि जवानों ने इन युवकों को आतंकवादी बताकर मुठभेड़ में मार गिराया.

इस कार्यवाही के आदेश तब दिए गए जब खुद थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे दो दिन के कश्मीर दौरे पर थे. वे वहां एलओसी और कश्मीर घाटी की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने पहुंचे थे. जांच में पाया गया कि इन अधिकारियों और सैनिकों ने ना केवल आम्र्ड फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट यानि आफस्पा की दी हुई ताकत का दुरूपयोग किया बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद थलसेन प्रमुख द्वारा काउंटर-टेरेरिस्ट ऑपरेशन के लिए बनाए गए चार्टर का भी उल्लंघन किया है.

श्रीनगर स्थित सेना की चिनार कोर ने बयान जारी बताया कि मामले की जांच में समरी ऑफ एविडेंस यानि साक्ष्यों के सारांश को रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया पूरी हो गई है. आगे की कार्यवाही के लिए कानूनी सलाहकारों के परामर्श से संबंधित अधिकारियों द्वारा इसकी जांच की जा रही है.

श्रीनगर स्थित रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया के अनुसार भारतीय सेना अपनी कार्यप्रणाली में नैतिक आचरण के लिए प्रतिबद्ध है. आगे के विवरणों को एक तरीके से साझा किया जाएगा ताकि सेना-कानून के तहत कार्यवाही का पूर्वाग्रह न किया जा सके.

जानकारी के अनुसार समरी ऑफ एविडेंस के मायने ये हैं कि जांच पूरी हो चुकी है और आगे की कार्यवाही के लिए सेना के वरिष्ट अधिकारियों की इजाजत मिलते ही सजा सुना दी जाएगी या फिर कोर्ट-मार्शल की कार्यवाही शुरू हो जाएगी.

बताया जा रहा है कि दक्षिण कश्मीर के अमशीपोरा एनकाउंटर केस में पिछले महीने सेना ने कोटज़् ऑफ एंक्वायरी के आदेश दिए थे. इसके तहत राजौरी जिले के गायब हुए तीन मजदूरों के परिवारवालों के डीएनए सैंपल ले लिए गए थे ताकि उनका मिलान मारे गए आतंकियों के डीएनए से कराया जा सके. 18 जुलाई को शोपियां के अमशीपोरा में सेना ने तीन आतंकियों को मार गिराए जाने का दावा किया था. लेकिन सोशल मीडिया में आई खबरों के आधार पर सेना ने इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए गए थे.

वहीं सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि जिन तीन आतंकियों को सेना ने मारने का दावा किया है, वे तीनों जम्मू-कश्मीर के ही राजौरी जिले के मजदूर थे और अपने घरों से लापता थे. सोशल मीडिया की इन खबरों के आधार पर सेना ने मामले के जांच के आदेश दिए थे. इसी कड़ी में सेना ने जम्मू-कश्मीर पुलिस की मदद से लापता हुए मजूदरों के परिवारवालों के डीएनए सैंपल कलेक्ट किए हैं. इसके साथ ही कुछ अन्य गवाहों के बयान भी दर्ज कराए गए.

कर्नल राजेश कालिया ने हालांकि साफ किया कि अभी तक मारे गए मजदूरों की डीएनए रिपोर्ट नहीं आई है लेकिन इस बात की पुष्टि हो गई है कि मारे गए तीनों आतंकी इम्तियाज अहमद, अबरार अहमद और मोहम्मद अबरार के रूप में हुई है, जो मूल रूप से राजौरी जिले के रूप में हुई है. साथ ही इन तीनों युवकों के आतंकी संगठनों से संबंध होने की जांच जम्मू कश्मीर पुलिस कर रही है. लेकिन प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा कि भारतीय सेना सभी एंटी-टेरेरिस्ट ऑपरेशन्स के नैतिक आचरण के लिए प्रतिबद्ध है.

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