लखनऊ। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों (Rural Areas) में रोजगार सृजन (Create Employment) और आजीविका संवर्धन करना है। उत्तर प्रदेश, देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य, मनरेगा के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस योजना में महिलाओं की सहभागिता (Participation of Women) न केवल आर्थिक सशक्तीकरण का माध्यम बनी है, बल्कि सामाजिक समानता और लैंगिक समावेश को बढ़ावा देने में भी योगदान दे रही है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में ग्रामीण परिवेश और गाँवों के विकास और प्रगति को लेकर ग्राम्य विकास विभाग बेहतर कार्य कर रहा है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत महिलाओं के कल्याण के लिए भी कई कदम उठाये गये हैं। महिलाओं का मन अब मनरेगा के कार्यों में तेजी से लग रहा है इसलिए महिलाएं अब घर की चौखट पार कर काम करने के लिए बाहर निकल रहीं हैं। प्रदेश में वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक मनरेगा योजना के तहत कुल 1.60 करोड़ मानव दिवस सृजित हुए, जिनमें से 72 लाख से ज्यादा मानव दिवस सृजन में महिलाओं का योगदान है, जो लगभग 45 प्रतिशत है। महिला मेट मनरेगा में प्रबंधन और पर्यवेक्षण के लिए महिला श्रमिकों के लिए सहायक सिद्ध हो रही हैं। इस वित्तीय वर्ष में अब तक 5500 से ज्यादा महिला मेटों को नियोजित किया गया है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 में प्रदेश में 2 लाख से ज्यादा गठित होंगे स्वयं सहायता समूह
उत्तर प्रदेश में मनरेगा के तहत महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। ग्रामीण रोजगार योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी 2020-21 में 33.57 प्रतिशत रही, वर्ष 2021-22 में 37.25 प्रतिशत रही, वर्ष 2022-23 में 37.87 प्रतिशत रही, वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर 42.26 प्रतिशत हुई, वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक यह प्रतिशत लगभग 42 फीसदी रहा। वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष 2025-26 में अब तक 45 फीसदी से ज्यादा हो गई है।प्रदेश की ग्राम पंचायतों में मनरेगा योजना के अंतर्गत इच्छुक व्यक्तियों को मांग के अनुरूप निरंतर कार्य रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।