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चार महीने से अटका है जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के मरम्मत का काम, अब मंदिर प्रशासन ने किया ये अनुरोध

पुरी:  श्री जगन्नाथ मंदिर के 12वीं शताब्दी के रत्न भंडार (खजाने) के मरम्मत का काम करीब चार महीने से अटका हुआ है। ऐसे में जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे रत्न भंडार की मरम्मत, रखरखाव और संरक्षण का कार्य तुरंत शुरू करें।

मंदिर प्रशासन रत्न भंडार की मरम्मत में हर संभव करेगा मदद

एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने शनिवार को कहा कि मंदिर प्रशासन रत्न भंडार की मरम्मत और रखरखाव में एएसआई की हर संभव मदद करेगा। उन्होंने कहा, ‘हमें एएसआई द्वारा किए गए रत्न भंडार के जीपीआर-जीपीएस सर्वेक्षण की रिपोर्ट मिली है। एसजेटीए ने हमेशा मंदिर की स्थिरता और सुरक्षा के बारे में सावधानी बरती है। आगे भी जारी रखेंगे।’

एएसआई ने 45 पन्नों की रिपोर्ट दी

इससे पहले, एएसआई ने हैदराबाद स्थित एनजीआरआई (नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट) की सहायता से 12वीं शताब्दी के मंदिर के रत्न भंडार का जीपीआर-जीपीएस सर्वेक्षण किया था। पाधी ने कहा कि एएसआई ने सर्वेक्षण पर 45 पन्नों की रिपोर्ट दी है। इसमें रत्न भंडार की मंजिल और दीवार को हुए नुकसान के संकेत मिले हैं। हालांकि, रिपोर्ट पर हमारी टीम द्वारा आगे अध्ययन किया जाना चाहिए।

अधिकारियों ने कहा कि रत्न भंडार को 46 साल बाद जुलाई में मूल्यवान वस्तुओं की सूची और इसकी संरचना की मरम्मत के लिए फिर से खोला गया था।

पहले कब खुला और क्या मिला?

चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में एक रत्न भंडार है। इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। रत्न भंडार को अंतिम बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था। इसके बाद रत्न भंडार कभी नहीं खुला और उसकी चाबी भी गायब थी। इस पर भी काफी बवाल हुआ था। 1978 में खजाने के सामानों की आखिरी लिस्ट बनाई गई थी। 70 दिनों में यह काम पूरा हुआ था।

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