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नुक्कड़ नाटकों के जरिये बताई फाइलेरिया की गंभीरता, लाइलाज है बीमारी बचाव ही एक मात्र रास्ता

10 से 28 फरवरी तक घर-घर खिलाई जाएगी फाइलेरिया से बचाव की दवा

स्वास्थ्य विभाग ने सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से करवाया आयोजन

बाँदा। सबको दवाई खिलाएंगे, हर एक को समझाएंगे, फाइलेरिया से बचाएंगे, सपने को सच बनाएंगे, देश खुशहाल बनाएंगे जैसे संदेशों के साथ शहर के तीन प्रमुख स्थानों पर नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति शुक्रवार को हुई । लखनऊ से आई आकार फाउंडेशन के कलाकारों ने कलक्ट्रेट प्रांगड़, महोखर स्थित जिला अस्पताल और बड़ोखर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय में प्रस्तुतियां दीं। इन नुक्कड़ नाटकों के जरिये फाइलेरिया की गंभीरता बता कर दस से अट्ठाइस फरवरी तक स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही दवा खाने का संदेश दिया गया । जिले के स्वास्थ्य महकमे ने स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से यह आयोजन कराया । नुक्कड़ नाटक के बाद लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा सेवन की शपथ भी दिलाई गई।

जिला अस्पताल में जिला मलेरिया अधिकारी पूजा अहिरवार ने नुक्कड़ नाटक का उद्घाटन किया और अपने सहयोगियों के साथ नाटक देखा । मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनिल कुमार श्रीवास्तव के दिशा निर्देशन में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि फाइलेरिया एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जिसे हाथीपांव के नाम से भी जानते हैं। यह गंदगी में पनपने वाले फाइलेरिया संक्रमित क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है । इसके लिए साल में एक बार व पांच साल तक लगातार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर इस रोग से बचा जा सकता है। यह दवा प्रति वर्ष सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान के दौरान घर-घर खिलाई जाती है । है। साथ ही संक्रमित मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग और घर के आसपास सफाई का रखा जाना जरूरी है।

कलक्ट्रेट प्रांगड़ पर हुए आयोजन में संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डॉ मुकेश पहाड़ी ने बताया कि 10 से 28 फरवरी तक के अभियान में दवा का सेवन आशा कार्यकर्ता के सामने ही करना है । अगर उस समय घर पर उपलब्ध नहीं हैं तो आशा कार्यकर्ता के घर जाकर दवा उनके सामने ही खाएं ताकि दवा की सही खुराक मिल सके। दो वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक व्यक्ति को इस दवा का सेवन करना है। सिर्फ गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोग दवा का सेवन नहीं करेंगे। बीपी, शुगर, थायरॉयड जैसी बीमारियों में भी दवा का सेवन करना है। इस बार एक से दो वर्ष के बच्चों को इसी अभियान के दौरान पेट के कीड़े निकालने की दवा खिलाई जाएगी ।

बड़ोखर ब्लॉक के महोखर प्राथमिक विद्यालय में नाटक के माध्यम से यह भी बताया कि यह बीमारी मच्छरों के काटने से होती है न कि किसी और वजह से। इसका मच्छर रात में काटता है। इसलिए रात में मच्छरदानी लगाकर सोएं, फुल आस्तीन के कपड़े पहनें और मच्छररोधी क्रीम लगाएं। मच्छर गंदगी में पनपते हैं ऐसे में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। फाइलेरिया ग्रसित सुखराम ने नाटक देखने के बाद कहा कि हमारे दोनों पैरों में फाइलेरिया है। हमें तो पता ही नहीं था कि यह बीमारी मच्छर के काटने से होती है। हम तो कुछ और ही समझते रहे अब हमें सही जानकारी मिली है| हम स्वयं भी दवा खाने में आनाकानी नहीं करेंगे और साथ ही लोगों को दवा खाने की सलाह भी देंगे।

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नाटक के जरिये इस संदेश पर जोर दिया गया कि जिन लोगों में फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी मौजूद हैं जब वह फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करते हैं तो उन्हें सामान्य सरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी और बदन में चकत्ते जैसी मामूली प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं । ऐसे लक्षण जिनमें नजर आ रहे हैं उन्हें घबराना नहीं चाहिए, बल्कि खुश होना चाहिए कि वह फाइलेरिया के संक्रमण से बच गये । ऐसे लक्षण आमतौर पर स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं । अधिक समस्या होने पर आशा कार्यकर्ता के माध्यम से गठित चिकित्सकों की टीम से इलाज कराया जा सकता है । इस दौरान विद्यालय के शिक्षक, छात्र छात्राओं सहित मलेरिया इंस्पेक्टर आनंद मिश्रा व भानु मौजूद रहे। समस्त जगहों पर सीफॉर के जिला व ब्लॉक समन्वयक भी मौजूद रहे।

फाइलेरिया के लक्षण- 

बायोलॉजिस्ट अतुल ने बताया कि मच्छर काटने के 5 से 10 साल बाद रोगी के हाथ या पैर में सूजन, पुरूषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है । एक बार लक्षण प्रकट होने के बाद इस बीमारी का कोई उपचार संभव नहीं है । इसीलिए इस बीमारी से बचाने के लिए हर वर्ष फाइलेरिय रोधी दवा लोगों को खिलाई जाती है।

रिपोर्ट – शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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