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राजीव गांधी की हत्या में शामिल दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने किया रिहा, कांग्रेस ने व्यक्त किया रोष

देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में शामिल नलिनी श्रीहरन और पांच अन्य दोषियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिहाई देने पर कांग्रेस ने रोष व्यक्त किया। पार्टी की तरफ से प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न सिर्फ सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए बल्कि, गांधी फैमिली के रुख पर भी असहमति जताई। सिंघवी ने कहा कि वो भले ही सबसे ऊपर हैं लेकिन पार्टी गांधी फैमिली से असहमत हैं। सिंघवी ने यह भी कहा कि पहली बार कांग्रेस पार्टी इस मामले में मोदी सरकार से सहमत है।

फैसले पर असंतोष जताते हुए कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, वे बड़े ही आदरता के साथ सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाखुश हैं। कहा कि यह कोई लोकल मर्डर नहीं था। पीएम को मार देना देश की संप्रभुता पर हमला था। इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। पत्रकारों से बात करते हुए सिंघवी ने सोनिया गांधी समेत गांधी फैमिली के रुख पर भी असहमति जताई।

सिंघवी ने कहा, “सोनिया गांधी निसंदेह सबसे ऊपर हैं और अपने व्यक्तिगत विचारों के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन सबसे बड़े सम्मान के साथ पार्टी उनसे सहमत नहीं है और अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कर चुकी है। इस मामले में, कांग्रेस के विचार केंद्र सरकार के समान हैं।”

2000 में, सोनिया गांधी के हस्तक्षेप पर नलिनी श्रीहरन की सजा को घटाकर आजीवन कारावास कर दिया गया था। सोनिया गांधी ने एक क्षमादान याचिका दायर की थी जिसमें बताया गया था कि नलिनी को गिरफ्तार किए जाने के समय वह गर्भवती थी। फिर 2014 में छह और दोषियों की सजा को भी कम कर दिया गया था। उसी वर्ष, तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता ने उनकी रिहाई के लिए कदम उठाए थे। साल 2009 की बात है जब प्रियंका गांधी ने भी अपने पिता #राजीव_गांधी के हत्यारों को माफी दे दी थी। अपने एक बयान में उन्होंने कहा कि नलिनी जो घटना के वक्त खुद गर्भवती थी। मेरे माफी न देने या देने से पिता वापस नहीं आ जाएंगे।

सिंघवी आगे कहते हैं कि इस मामले में सबसे रोचक बात यह है कि राज्य सरकार ने दोषियों की रिहाई की सिफारिश की थी। ऐसे में सुप्रीम अदालत के पास इस दलील को स्वीकार करने का ही विकल्प था। कांग्रेस पार्टी इस मामले में केंद्र के समान विचार रखती है। सिंघवी के मुताबिक, केंद्र ने दोषियों की रिहाई की कोई सिफारिश नहीं की। कहीं न कहीं केंद्र को भी लगता है कि दोषियों की रिहाई नहीं होनी चाहिए। इस मामले में केंद्र और कांग्रेस के विचार समान हैं।

गौरतलब है कि राजीव गांधी की हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाले दोषी पेरारिवलन की रिहाई के आदेश के बाद #नलिनी श्रीहरन ने मई में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और रिहाई मांगी थी। मामले के सभी सात दोषियों ने 30 साल से अधिक समय जेल में बिताया है। इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी की हत्या में शामिल नलिनी श्रीहरन और पांच अन्य दोषियों की रिहाई के आदेश जारी किए थे। अदालत ने कहा कि जेल में सजा के दौरान दोषियों के आचरण को देखते हुए और राज्य सरकार की याचिका पर ऐसा फैसला सुनाया गया है। इस मामले में दोषियों ने भी अपनी रिहाई की अपील की थी। इससे पहले तमिलनाडु सरकार भी दोषियों की रिहाई की सिफारिश कर चुकी है।

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