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सिसकते ममत्व का प्रतीक है ‘बेटों वाली विधवा’

राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव की तीसरी सांझ

लखनऊ। रंगमंच के क्षेत्र में अग्रणी नाट्य संस्था आकांक्षा थिएटर आर्टस के तत्वावधान और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, संस्कृति विभाग नई दिल्ली के सहयोग से भृगुदत्त तिवारी प्रेक्षागृह डीएवी पी जी कालेज लखनऊ में चल रहे तीन दिवसीय आठवें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव-21 के तीसरे दिन गुरुवार को मंचित नाटक “बेटों वाली विधवा” व  “गज फुट इंच” ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया।

कोरोना प्रोटोकाल के चल रहे तीन दिवसीय 8वें राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव के तीसरे दिन महोत्सव का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डॉ संजय तिवारी एसोसिएट प्रोफेसर समाजशास्त्र डीएवी पीजी कालेज ने दीप प्रज्वलित कर किया। तीसरे दिन के नाट्य महोत्सव की शुरुआत गरीब निर्बल उत्थान समिति की प्रस्तुति के अन्तर्गत मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एवं मोहित यादव द्वारा निर्देशित नाटक “बेटों वाली विधवा” से हुई।

पति के न रहने पर एक पत्नी को क्या क्या सहना पड़ता है जबकी उसके सगे बेटे मौजूद हों। कुछ ऐसे ही ताने-बाने में बुने नाटक “बेटों वाली विधवा” ने जहां एक ओर बताया कि बिना पति के एक पत्नी का जीवन नारकीय है और ऊपर से बच्चे प्रताड़ित करें तो उसका जिन्दा रहना दुष्कर है। एक मां की दुर्दशा को उजागर करते नाटक “बेटों वाली विधवा” में अचला बोस, ऋषभ तिवारी, आदर्श तिवारी, मोनिस सिद्दीकी, श्रद्धा बोस और सुनीता ने अपने सशक्त दमदार अभिनय से दर्शकों को देर तक अपने आकर्षण के जाल मे बांधे रखा।

राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव की दूसरी प्रस्तुति के रूप में उमंग फाऊंडेशन ने पद्मश्री के.पी.सक्सेना द्वारा लिखित एवं अनुपम बिसरिया द्वारा निर्देशित नाटक “गज फुट इंच” का मंचन किया। हास्य परिहास्य की चाशनी में डुबे नाटक “गज फुट इंच” ने जहां एक ओर दर्शकों को हंसाकर लोटपोट किया, वहीं दूसरी ओर समझदारी से काम करने की प्रेरणा दी। हास्य विधा में पगे नाटक “गज फुट इंच” मे अनीता वर्मा, दीप्ति सक्सेना, शुभम पटेल, सुनील दीक्षित, करिश्मा सक्सेना, तान्या अरोरा, आशुतोष जायसवाल और रिलम शर्मा ने अपने उत्कृष्ट भावाभिनय की अमिट छाप दर्शकों पर छोड़कर उनका खूब मनोरंजन किया।

 दया शंकर चौधरी

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