पंचायत राज संशोधन अधिनियम को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई विशेष अनुमति याचिका पर आज सुनवाई हुई। जिसके बाद उत्तराखंड की भाजपा सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
वहीं तीन बच्चे वालों के चुनाव लड़ने पर रोक संबंधी हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली डबल बेंच ने तत्काल सुनवाई से इनकार किया है। अब फिलहाल इसी नियम के अनुसार चुनाव प्रक्रिया जारी रहेगी। बता दें कि गुरुवार को हाईकोर्ट ने 25 जुलाई 2019 से पहले दो बच्चों से अधिक वाले ग्राम पंचायत प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए योग्य करार दिया था। इस फैसले के विरुद्ध राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है।
दो से अधिक बच्चों वाले भाजपा की प्रत्याशी सूची में प्रदेश सरकार पंचायत चुनाव में दो से अधिक बच्चों वाले लोगों के चुनाव नहीं लड़ने देने के पक्ष में है, लेकिन भाजपा ने चुनाव में कुछ ऐसे उम्मीदवार तय कर दिए हैं, जिनके दो से अधिक बच्चे हैं। हाईकोर्ट के दो बच्चों पर आए फैसले के खिलाफ त्रिवेंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गई, लेकिन भाजपा ने तीन बच्चों वाले प्रत्याशियों को सूची से बाहर नहीं किया है। ऊधमसिंह नगर में जिला पंचायत सदस्य के लिए प्रत्याशी घोषणा में ऐसे दो मामलों की शिकायत हुई है।
प्रदेश भाजपा की दो दिन पहले जारी जिला पंचायत सदस्यों के लिए प्रत्याशी सूची में तीन से अधिक बच्चे वाले भी शामिल हैं। इसको लेकर कुछ भाजपा नेताओं ने आपत्ति भी जताई, लेकिन उसमें पार्टी ने बदलाव नहीं किया। पार्टी ने जारी सूची में ऊधमसिंह नगर की खटीमा विधानसभा के तहत आने वाले जिला पंचायत सदस्य के एक निर्वाचन क्षेत्र में तीन बच्चों वाली महिला प्रत्याशी को टिकट दिया है। इसके अलावा जनपद की एक अन्य महिला प्रत्याशी के भी दो से अधिक बच्चे हैं, जिनकी सूचना पार्टी फोरम पर पदाधिकारियों को दे दी गई थी, लेकिन अभी तक पार्टी ने इसमें बदलाव नहीं किया है।
भाजपा चुनाव समिति ने दो बच्चों वाले प्रत्याशियों का ही पैनल तैयार करवाया था। संभव है कि किसी दावेदार ने तथ्य छिपाया हो। अगर ऐसा हुआ है तो इसकी पड़ताल कर सूची में संशोधन किया जाएगा।