सफेद चमकते दांत हर किसी का सपना होते हैं. लोग इन्हें सुंदर बनाने व दिखाने के लिए कई जतन भी करते हैं. दिन में दो बार ब्रश करना, माउथ वॉश आदि का प्रयोग करने के बावजूद जाने-अनजाने में छोटी-बड़ी गलतियां कर जाते हैं. खास बात यह है कि इन गलतियों की आदत हो जाती है व यह पता नहीं होता है कि वास्तव में ये आदतें नुकसान पहुंचा रही है. दांतों में मैल, कैविटी व दांत का दर्द इन गलतियों का ही परिणाम होता है.
डाक्टर राज़ी अहसान का बोलना है कि कैविटी यानी दांतों का सड़ना या कीड़े लगना तब होता है जब कार्बोहाइड्रेट युक्त खाना जैसे ब्रेड, अनाज, दूध, सॉप्ट ड्रिंक्स, फल, केक या टॉफी दांतों में रह जाते हैं. इससे मुंह में उपस्थित बैक्टीरिया इसे एसिड में बदल देते हैं. बैक्टीरिया, एसिड, दांतों में अटका खाना व लार मिलकर प्लाक बनाता है, जो दांतों से चिपक जाता है. प्लाक में मिला एसिड इनेमल को समाप्त कर देता है व छेद कर देता है. यह कैविटी समय के साथ बड़ी भी हो जाती है.
एम्स की डाक्टर वीके राजलक्ष्मी का बोलना है कि दांतों में मैल जमने का खतरा तब बढ़ जाता है जब बार-बार खाना खाते हैं. ओरल हाइजिन बेकार होती है या फिर लोग सिगरेट या तंबाकू खाते हैं. रोजमर्रा की कई ऐसी आदतें हैं, जिनसे दांतों पर निगेटिव असर पड़ता है व दांतों में ये सब परेशानियां पैदा होने लगती है.
सुबह उठकर सबसे पहले ब्रश करने के बाद ही खाना व पीना अच्छा है, लेकिन यह भी जरूरी है कि दिन का आखिरी कार्य ब्रश करना ही होना चाहिए, क्योंकि सोने से पहले चाय पीना भी दांतों पर गलत असर डालता है.
रोजाना दांतों को केवल 30 सेकंड तक ब्रश करने से कोई अच्छे नतीजे नहीं मिलने वाले हैं. इससे कैविटी व दांतों की अन्य समस्या हो सकती है. चारों कोनों में कम से कम 30 सेकंड देना चाहिए यानी सारे मुंह के लिए 2 मिनट का समय देना चाहिए.
दांतों की सफाई की बात आती है तो कई लोग बहुत सख्त ढंग से ब्रश करते हैं. लेकिन ऐसा करने से इनेमल को नुकसान पहुंचता है व दांत संवेदनशील हो जाते हैं. यह जरूरी है कि टूथब्रथ आदमी को सूट करता हो.
इतना ही नहीं खाना खाने के तुरंत बाद भी ब्रश करना इनेमल पर निगेटिव असर डालता है, विशेष रूप से जब कुछ एडिसिक खाया हो. इसलिए खाना खाने के 30 मिनट तक ब्रश नहीं करना चाहिए.
शोधकर्ताओं के मुताबिक हर तीन महीने में ब्रश बदलना चाहिए. ऐसा न करने पर दांतों के क्षय की आसार रहती है, क्योंकि टूथब्रश के ब्रिसल्स बेकार हो जाते हैं व यह दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं.