पिछले एक दशक में, भारत ने अपनी कूटनीतिक छवि को बदल दिया है, देश एक ऐसे राष्ट्र के रूप में उभरा है, जो किसी प्रयोजन के साथ जुड़ता है, करुणा के साथ सहायता करता है और उद्देश्य के साथ नेतृत्व करता है। 2024 की कूटनीतिक जीत, उल्लेखनीय होने के साथ-साथ, वर्षों के लगातार प्रयासों का परिणाम है, यह जीत दुनिया के देशों द्वारा भारत को देखने के तरीके को नया स्वरुप देने से जुड़ी है। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट हवाई हमलों जैसे साहसिक कदमों से लेकर वैक्सीन मैत्री के साथ महामारी के दौरान मदद का हाथ बढ़ाने तक, भारत ने दिखाया है कि वह दृढ़ संकल्प और सहानुभूति के साथ नेतृत्व कर सकता है। जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल करना, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन जैसी पहलें…, सभी देशों के लिए एक निष्पक्ष, सतत भविष्य के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं।
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पीएम मोदी के नेतृत्व में, कुवैत, पोलैंड, मिस्र और पापुआ न्यू गिनी जैसे देशों की भारत की पहली बार की यात्राओं ने लंबे समय से निष्क्रिय संबंधों को पुनर्जीवित किया और इस संदेश को पुष्ट किया कि भारत बड़े और छोटे संबंधों को महत्व देता है। जब संकट आये, तो भारत सिर्फ खड़ा नहीं रहा। उसने काम किया। गंगा और अजय जैसे अभियानों ने यह सुनिश्चित किया कि संघर्षरत क्षेत्रों से भारतीयों को सुरक्षित घर वापस आयें, जबकि भूकंप प्रभावित तुर्की और युद्धग्रस्त यूक्रेन को सहायता प्रदान करना, दुनिया के साथ भारत की एकजुटता को दर्शाता है। आज भारत ने दिखाया है कि वह वैश्विक मंच पर एक-दूसरे से जुड़ने, सहायता करने और प्रेरित करने के लिए तैयार है।
वर्ष 2024 भारत की कूटनीति के लिए एक उल्लेखनीय वर्ष रहा, इसने वैश्विक अग्रणी देश के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत किया। यह आलेख कुछ ऐसे महत्वपूर्ण क्षणों पर प्रकाश डालता है, जिसने इस यात्रा को उल्लेखनीय स्वरुप प्रदान किया।
अति-महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय राजनेताओं की मेज़बानी से लेकर वैश्विक शांति प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने तक, भारत की कूटनीतिक भागीदारी ने विश्व मंच पर अपने बढ़ते प्रभाव को प्रदर्शित किया है। यहाँ 2024 में भारत द्वारा हासिल की गई कुछ प्रमुख कूटनीतिक उपलब्धियाँ और पहलों के बारे में उल्लेख किया गया है।
बैस्टिल दिवस से लेकर गणतंत्र दिवस तक
भारत के 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस के राष्ट्रपति को दिए गए निमंत्रण से दुनिया के प्रमुख राजनेताओं के साथ समान स्तर पर संवाद करने की भारत की क्षमता स्पष्ट होती है। यह फ्रांस द्वारा भारत को दिए गए पिछले निमंत्रण के अनुरूप है, जिसके तहत प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई 2023 में बैस्टिल दिवस में भाग लिया था। ये आदान-प्रदान, भारत और फ्रांस के बीच गहरे विश्वास और बढ़ती मित्रता को दर्शाते हैं।
2024 में ही कतर ने भारतीय नौसेना के 8 पूर्व सैन्यकर्मियों को रिहा किया
अपने नागरिकों के लिए भारत की मजबूत वकालत, देश के ऐतिहासिक रूप से निष्क्रिय रुख में बदलाव का संकेत देती है। एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक जीत तब मिली, जब प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के कारण, कतर ने मौत की सजा का सामना कर रहे आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को रिहा कर दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी के बीच सीधा संवाद हुआ, जिसके परिणामस्वरूप कतर की अदालत ने मौत की सजा को तीन से 25 साल की जेल की सजा में बदल दिया। मोदी सरकार की त्वरित कार्रवाई ने सुरक्षा सुनिश्चित की, मौत की सजा को रोका और नौसेना के पूर्व सैन्यकर्मियों का उनके घर से मिलन संभव हुआ।
पूर्व सैन्यकर्मियों की रिहाई प्रधानमंत्री मोदी की 13-14 फरवरी को यूएई की यात्रा से ठीक एक दिन पहले हुई थी, जहां वे अबू धाबी में देश के पहले हिंदू मंदिर, बीएपीएस मंदिर का उद्घाटन करने और शीर्ष नेतृत्व से मिलने गए थे।
पाकिस्तान को रावी का पानी बंद करना
ऐतिहासिक रूप से, सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के प्रति भारत का दृष्टिकोण अपेक्षाकृत निष्क्रिय रहा है। महत्वपूर्ण जल संसाधनों पर अधिकार होने के बावजूद, भारत ने अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग किए बिना संधि के प्रावधानों का बड़े पैमाने पर पालन किया, जिससे रावी नदी का पानी काफी मात्रा में बिना उपयोग के पाकिस्तान में बह जाता था। भारत ने रावी नदी पर शाहपुर कंडी बैराज का निर्माण पूरा किया, जिससे पाकिस्तान में अतिरिक्त पानी का प्रवाह रुक गया।
यह जल प्रबंधन में रणनीतिक बदलाव का संकेत देता है। यह आतंकवाद से जुड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं पर आधारित भारत की मुखर कूटनीति को भी दर्शाता है। यह सिंधु जल संधि के तहत अपने अधिकारों का दावा करते हुए कूटनीतिक उपकरण के रूप में भारत के पानी के रणनीतिक उपयोग को उजागर करता है। इस कदम से जम्मू-कश्मीर क्षेत्र को कृषि उद्देश्यों के लिए लाभ होगा, जिसमें 4000 एकड़ भूमि की सिंचाई की क्षमता है। उल्लेखनीय है कि बांध का निर्माण आधारशिला रखने के लगभग तीन दशक बाद पूरा हुआ।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन समझौता
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, 2014 के बाद एलएसी पर सैन्य स्थिति और भी सशक्त हुई है और भारत की उपस्थिति को मजबूत करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में अवसंरचना विकास में वृद्धि हुई है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प से शत्रुता में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गयी, जिसके कारण भारत, सीमा पर सेना की तैनाती और अवसंरचना परियोजनाओं के विस्तार के लिए प्रेरित हुआ।
इस वर्ष चार साल से चल रहा सैन्य गतिरोध समाप्त हुआ, भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पीछे हटने तथा डेपसांग मैदानों और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त फिर से शुरू करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया, जिससे मई 2020 में तनाव से पहले की स्थिति बहाल हुई। यह समझौता भारत-चीन सीमा क्षेत्रों, विशेष रूप से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण डेपसांग मैदानों में सैनिकों की वापसी और तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
रूस-यूक्रेन युद्ध में शांतिदूत “भारत”
संयुक्त राष्ट्र में भारत का रुख कि ‘यह युद्ध का समय नहीं है’, दुनिया भर में गहराई से गूंजने लगा। भारत को लगता है कि वह वर्षों से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध में शांतिदूत की भूमिका निभा सकता है। राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि भारत यूक्रेन युद्ध से जुड़े मध्यस्थों में से एक हो सकता है। पोलैंड के प्रधानमंत्री डोनाल्ड टस्क ने विश्वास व्यक्त किया कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को सुलझाने में भारत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इटली की प्रधानमंत्री मेलोनी ने भी कहा कि भारत, यूक्रेन संघर्ष का समाधान ढूंढने में प्रमुख भूमिका निभा सकता है।
2024 के मध्य में, प्रधानमंत्री मोदी की रूस यात्रा में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शांति वार्ता की आवश्यकता के बारे में सीधी चर्चा हुई। इसके तुरंत बाद, उन्होंने यूक्रेन का दौरा किया, जहाँ उन्होंने शांति बहाल करने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए भारत की इच्छा व्यक्त की।
भारत एक विशिष्ट राष्ट्र है, क्योंकि इसे दोनों पक्षों के बीच तालमेल बिठाने वाले *‘विश्वबंधु’* के रूप में देखा जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पूर्व प्रमुख किशोर महबूबानी ने उल्लेख करते हुए कहा कि कैसे कुछ राजनेता इस तरह की जटिल परिस्थितियों का प्रभावी ढंग से समाधान कर सकते हैं। उन्होंने एक प्रमुख भू-राजनीतिक शक्ति के रूप में भारत की बढ़ती स्थिति पर जोर दिया।
भारत और वैश्विक दक्षिण
● भारत ने तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। यह शिखर सम्मेलन 9 जून 2024 को नई सरकार के गठन के बाद से पीएम द्वारा आयोजित पहला बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन था।
● 2024 में पीएम मोदी की गुयाना और नाइजीरिया की यात्राएं, कैरिबियन और अफ्रीका दोनों में अपनी कूटनीतिक उपस्थिति बढ़ाने के भारत के रणनीतिक प्रयासों को दर्शाती हैं।
इटली में जी7 बैठक
पीएम मोदी को 2019 के आम चुनाव से पहले ही जी7 में आमंत्रित किया गया था और यह उनकी जीत के बाद उनका पहला वैश्विक मंच था। यह एक महत्वपूर्ण क्षण था, क्योंकि दुनिया ने मोदी को तीसरा कार्यकाल हासिल करने वाले कुछ वैश्विक राजनेताओं में से एक के रूप में मान्यता दी, जो भारत की राजनीतिक स्थिरता और पीएम मोदी की लोकप्रियता का संकेत भी दे रही थी। भारत ने इटली के अपुलिया में आयोजित 50वें जी7 शिखर सम्मेलन में एक आउटरीच देश के रूप में भाग लिया, जो प्रधानमंत्री मोदी की अपने तीसरे कार्यकाल की पहली विदेश यात्रा थी।
म्यांमार के साथ मुक्त आवागमन व्यवस्था का अंत
भारत ने, देश की आंतरिक सुरक्षा सुनिश्चित करने और म्यांमार की सीमा से लगे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए भारत और म्यांमार के बीच मुक्त आवागमन व्यवस्था (एफ एम आर) को समाप्त करने का निर्णय लिया।
ऑपरेशन इंद्रावती: मानवीय सहायता अभियान
भारत ने अपने नागरिकों को हैती से डोमिनिकन गणराज्य में ले जाने के लिए ऑपरेशन इंद्रावती की शुरुआत की।
ऑपरेशन सद्भाव: भारत ने लाओस, म्यांमार और वियतनाम को मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) प्रदान करने के लिए ऑपरेशन सद्भाव शुरू किया। 10 दिसंबर, 2024 को भारत ने सीरिया से 75 नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला।
भारत मध्य पूर्व कॉरिडोर की मांग में तेजी
फरवरी 2024 में, भारत और यूएई ने आईएमईसी कॉरिडोर के विकास पर पहला औपचारिक समझौता किया। इसी महीने प्रधानमंत्री मोदी की यूनान यात्रा के दौरान, यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस ने इस बात पर जोर दिया कि गाजा और मध्य पूर्व में उथल-पुथल से अस्थिरता पैदा हो रही है, लेकिन इससे आईएमईसी के पीछे की मजबूत भावना को कम नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “न ही इससे, इसे साकार करने की दिशा में काम करने के हमारे संकल्प को कमजोर होना चाहिए।”
भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह का अधिग्रहण
विशेष रूप से पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह के संबंध में, चाबहार बंदरगाह के विकास को इस क्षेत्र में चीन के प्रभाव के संदर्भ में एक रणनीतिक जवाब के रूप में देखा जाता है। 13 मई, 2024 को, इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) ने चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल के विकास और संचालन के लिए ईरान के पोर्ट्स एंड मेरीटाइम ऑर्गनाइजेशन (पी एम ओ) के साथ एक दीर्घकालिक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।
यह भारत का किसी विदेशी बंदरगाह का पहला पूर्ण पैमाने पर प्रबंधन है, जो पाकिस्तान को किनारे रखते हुए ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के साथ व्यापार को बढ़ावा देगा। भारत ने चाबहार बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्ती पोर्ट टर्मिनल को सक्षम बनाने और विकसित करने के लिए ईरान के साथ 10 साल का समझौता किया।
भारत-मालदीव संबंधों को नया स्वरुप देना
नवंबर 2023 में मोहम्मद मुइज़ू ने अपने चुनावी अभियान, जिसमें “इंडिया आउट” अभियान भी शामिल था, का संचालन किया। मोहम्मद मुइज़ू द्वारा राष्ट्रपति पद जीतने के बाद भारत और मालदीव के बीच संबंध खराब होने शुरू हो गए। प्रधानमंत्री की लक्षद्वीप यात्रा की प्रतिक्रिया में, प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ़ मालदीव (पीपीएम) के जाहिद रमीज़ सहित मालदीव के राजनेताओं ने सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं। लेकिन भारत की मुखर और सशक्त कूटनीति ने स्थिति को बदल दिया। निर्णायक मोड़ राष्ट्रपति मुइज़ू की 6-10 अक्टूबर, 2024 तक भारत की राजकीय यात्रा के दौरान आया, जिसका उद्देश्य तनावपूर्ण संबंधों को फिर से सामान्य बनाना था। राष्ट्रपति मुइज़ू ने भारत को आश्वासन दिया कि मालदीव ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होगा, जो भारत की सुरक्षा को कमज़ोर करती हैं।
क्वाड
● भारत के प्रधानमंत्री ने विलमिंगटन (अमेरिका) में क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लिया। यह प्रमुख शक्ति के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका और क्षेत्र में चीन के प्रभाव से उत्पन्न चुनौतियों के खिलाफ इसकी रणनीतिक स्थिति को रेखांकित करता है।
● अमेरिका में क्वाड शिखर सम्मेलन के दौरान, भारत ने स्वच्छ अर्थव्यवस्था, न्यायसंगत अर्थव्यवस्था और समृद्धि के लिए भारत-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा के तहत आईपीईएफ व्यापक व्यवस्था पर केंद्रित अपनी तरह के पहले समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
● राजनेताओं ने नयी सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला आकस्मिकता नेटवर्क सहयोग ज्ञापन के माध्यम से सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला के विस्तार पर चर्चा की।
पीएम मोदी की ऐतिहासिक यात्राओं का वर्ष
● 56 वर्षों के बाद गुयाना (नवंबर, 2024)
● 1968 के बाद से किसी भारतीय प्रधानमंत्री की गुयाना की पहली यात्रा।
● 17 वर्षों में नाइजीरिया (नवंबर, 2024)
● 32 वर्षों के बाद यूक्रेन (अगस्त, 2024)
● 1992 में दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने के बाद, यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यूक्रेन यात्रा थी।
● 45 वर्षों के बाद पोलैंड (अगस्त, 2024)
● 41 वर्षों के बाद ऑस्ट्रिया (जुलाई, 2024)
● पीएम मोदी ब्रुनेई दारुस्सलाम (सितंबर, 2024) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। यह यात्रा भारत और ब्रुनेई के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 40वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई।
2024 में प्रधानमंत्री को मिले पुरस्कार
● भूटान की अपनी यात्रा के दौरान, भारत के प्रधानमंत्री को भूटान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो’ से सम्मानित किया गया।
● रूस ने प्रधानमंत्री मोदी को 2019 में अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान – ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से सम्मानित किया। प्रधानमंत्री ने जुलाई 2024 में मॉस्को की अपनी यात्रा के दौरान यह पुरस्कार प्राप्त किया।
● डोमिनिका ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘डोमिनिका अवार्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया। नवंबर 2024 में प्रधानमंत्री की गुयाना यात्रा के दौरान डोमिनिका की राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन ने प्रधानमंत्री मोदी को यह पुरस्कार प्रदान किया।
● नाइजीरिया ने नवंबर 2024 में अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को ‘द ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नाइजर’ से सम्मानित किया। यह उन्हें नाइजीरिया के राष्ट्रपति बोला अहमद टीनूबू ने प्रदान किया।
● नवंबर 2024 की प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान, गुयाना ने पीएम मोदी को ‘द ऑर्डर ऑफ एक्सेलेंस’ से सम्मानित किया। राष्ट्रपति डॉ. इरफान अली ने उन्हें यह सम्मान प्रदान किया।
● बारबाडोस की एम मिया अमोर मोटली ने नवंबर 2024 में प्रधानमंत्री की गुयाना यात्रा के दौरान पीएम मोदी को आनरेरी आर्डर ऑफ़ फ्रीडम ऑफ़ बारबाडोस पुरस्कार से सम्मानित करने के अपने सरकार के फैसले की घोषणा की।
भारत की सांस्कृतिक कूटनीति की जीत
● दुबई में एक हिंदू मंदिर का उद्घाटन, सफल सांस्कृतिक कूटनीति प्रयासों का उदाहरण है, जो सद्भावना को बढ़ावा देता है और मध्य पूर्व के देशों के साथ संबंधों को मजबूत करता है।
● 15 नवंबर, 2024 को, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को लगभग 10 मिलियन डॉलर मूल्य की 1,400 से अधिक चोरी की गई कलाकृतियाँ वापस दे दीं।