लखनऊ। फिक्की फ्लो ने आज कारपोरेट जगत की प्रमुख हस्तियों में से एक राधिका गुप्ता के साथ एक आभासी संवाद का कार्यक्रम आयोजित किया। टूटी हुई गर्दन वाली लड़की के नाम से प्रसिद्ध एडलवाइस ऐसेट मैनेजमेंट की सीईओ राधिका गुप्ता की शुरुआत तब हुई जब उन्होंने टूटी हुई गर्दन के साथ दुनिया में प्रवेश किया।
जन्म की जटिलता ने गुप्ता की गर्दन को एक स्थायी झुकाव के साथ छोड़ दिया, एक ऐसी विशेषता जो कई बार उनके आत्मसम्मान पर प्रभाव डालती थी। लेकिन अब चीजों को अलग तरीके से करने के लिए उनकी प्रेरणा का स्रोत बन गई है। 37 साल की उम्र में, वह पहले ही भारत की पहली घरेलू हेज फंड स्थापित कर चुकी है और एक प्रमुख संपत्ति प्रबंधक के रूप में देश की एकमात्र महिला प्रमुख बन गई है। दिसंबर 2019 में कॉर्पोरेट ऋण के लिए भारत के पहले एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड को लॉन्च करने वाली राधिकागुप्ता ने अपने जीवन के उतार-चढ़ाव के बारे में कहा कि उनका जन्म पाकिस्तान में हुआ। जहाँ उनके पिता भारतीय राजनयिक के रूप में तैनात थे। नाइजीरिया के एक अंतरराष्ट्रीय स्कूल में अध्ययन करने और वहां नई भाषाओं और संस्कृतियों को सीखने में कठिन परिश्रम करना पड़ा। सबसे पहले, वह अपनी गर्दन के बारे में आत्म-सचेत थी, लेकिन समय के साथ उन्होंने इसे स्वीकार करना सीख लिया।
विश्वविद्यालय में हमेशा अव्वल आने वाली राधिका के सामने जब कैंपस रिक्रूटमेंट की बात आई, तो उन्हें बार-बार असफलता का सामना करना पड़ा एक समय तो ऐसा आया जब उन्होंने आत्महत्या पर भी विचार किया। कई निवेश कंपनियों में कार्य करने के बाद 2009 में उन्होंने और उनके पति नलिन मोनिज़ व एक सहयोगी ने 2.5 मिलियन रुपये ( 34,000 डॉलर ) की पूंजी के साथ, फ़ोरफ़्रंट कैपिटल मैनेजमेंट शुरू करने के लिए भारत वापस जाने का फैसला किया। उन्होंने वैकल्पिक निवेश पर ध्यान केंद्रित किया और देश का पहला घरेलू पंजीकृत हेज फंड स्थापित किया।
2014 में राधिका ने एडलवाइस फाइनेंशियल सर्विसेज को बेच दिया लेकिन कंपनी में एक पद ले लिया और फरवरी 2017 में एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट की सीईओ बन गई। तब से उन्होंने 300 बिलियन रुपये सम्पति प्रबंधन के तहत संपत्ति बनाई है। कंपनी अभी भी भारत के म्यूचुअल फंड उद्योग में मध्यम स्तर की है। एचडीएफसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एसेट मैनेजमेंट कंपनी जैसे बड़े प्रतिद्वंद्वियो के होने के बावजूद बाजार में एडलवाइस ऐसेट मैनेजमेंट ने तब धूम मचा दी जब सरकार ने चार बड़ी कंपनियों को असफल करते हुए अपने पहले कॉर्पोरेट ऋण ईटीएफ का प्रबंधन करने के लिए एडलवाइस को चुना। उन्हें बिजनेस स्टैंडर्ड द्वारा भारत की शीर्ष 30 व्यवसायिक महिलाओं में मान्यता दी गई है।
एक मजबूत और स्वतंत्र महिला, राधिका का प्रबंधन के लिए बहुत ही सुंदर दृष्टिकोण है और उनका मानना है कि सीईओ को भी जमीनी स्तर से जुड़ने और कर्मचारियों से मिलने, सुनने और फर्श पर कम से कम एक घंटा बिताने की जरूरत है। वह अभी भी बरकरार है, उनका मानना है कि शुरुआती उत्साह और उत्कृष्टता के लिए दृढ़ संकल्प आवश्यक है और सफल होने के लिए सभी को कठिन परिश्रम में विश्वास रखना चाहिए।आज की दुनिया में महिलाओं की बदलती भूमिका के बारे में बात की और कहा कि मां आप की पहली शिक्षक होती है वह घर पर रहते हुए आपको प्रबंधन के गुण सिखाती है, और उनके सानिध्य नहीं आपके अंदर नेतृत्व के गुण पैदा होते हैं। मां से बड़ा प्रशिक्षक कोई नहीं होता।
इस समृद्ध सत्र का संचालन श्रीमती विनीता बिम्बेट ने किया। जो फिक्की एफएलओ की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारत आसियान महिला व्यापार मंच के लिए भारत की अध्यक्ष रहीं हैं। विनीता द इंडिया आर्ट इन्वेस्टमेंट कंपनी में प्रमोटर डायरेक्टर भी हैं। इस आयोजन के बारे में बात करते हुए, एफएलओ लखनऊ चैप्टर की चेयरपर्सन पूजा गर्ग ने कहा कि सफल महिलाओं की कहानियां हमें सफलता कुमार कठिन परिश्रम के लिए प्रेरित करती हैं क्योंकि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। राधिका गुप्ता के साथ टॉड्स सेशन ने हम सभी को अपने सपनों का पीछा करने के लिए अथक परिश्रम करने की प्रेरणा दी है। इस कार्यक्रम में फिक्की फ्लो के सभी 17 अध्याय के सदस्यों ने भाग लिया।