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विकास में संतुलन होना चाहिए, अमीर गरीब के बीच की खाई कम होनी चाहिए- महेंद्र नाथ पांडे

लखनऊ। आज समाज कार्य विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय में दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के अंतर्गत पंडित दीनदयाल उपाध्याय व्यक्तित्व कृतित्व एवं राष्ट्र निर्माण में भूमिका विषय पर एकदिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस आयोजन के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता भारत सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय के मंत्री महेंद्र नाथ पांडे रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलगीत और सभी सम्मानित अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुई।
इसके बाद दीनदयाल उपाध्याय सूची पीठ के निर्देशक और समाज कार्य विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनूप कुमार भारतीय ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत उद्बोधन दिया।

उन्होंने सभी गणमान्य अतिथियों एवं श्रोताओं को बताया कि दीन दयाल उपाध्याय शोधपीठ की स्थापना 2018-19 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा की गई यह शोधपीठ प्रत्येक वर्ष विशेष कार्यक्रम ओं का आयोजन करता है विशेष व्याख्यानों का आयोजन करता है उसी के सिलसिले में आज के व्याख्यान का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया की पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन और पुण्यतिथि को विश्वविद्यालय परिसर में न मनाकर उपाध्याय जी के सपनों के अनुसार समुदाय और वंचित वर्गों के बीच जा करके इसे मनाया जाता है। उन्होंने बताया है शोध पीठ ने गांवों को भी गोद ले रखा है इसके साथ आज के दिन लखनऊ जिले के मॉल ब्लॉक, जनपद लखनऊ के तीन ग्रामों क्रमशः मवई खुर्द, देवरी ग़ज़ा एवं अकबरपुर को गोद लिया जाना है।

अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि 2025 के छह रोग उन्मूलन आपके लक्ष्यों को आत्मसात करते हुए शोधपीठ छह रोग से पीड़ित महिलाओं बच्चों और पुरुषों को गोद देती है और उनके उपचार का पूरा खर्च उठाती है। इसके अलावा जरूरतमंद परिवारों व बच्चों के लिए शोध फ़ीट समुदायों में जाकर पोषण किट का भी वितरण करती है। अभी 11 फरवरी, 2023 को अलीगंज के एक अनाथालय में पंडित जी की पुण्यतिथि के अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं व कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

 

दीनदयाल का दर्शन एकात्म मानववाद से जुड़ा था- प्रो अरविंद अवस्थी

इसके बाद प्रोफेसर अरविंद अवस्थी, अधिष्ठाता कला संकाय, लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपना उद्बोधन दिया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय जी का दर्शन एकात्म मानववाद से जुड़ा था। वो समाज के अंतिम व्यक्ति के भले की बात करते थे। 1958 में लिखी उनकी किताब का जिक्र करते हुए उन्होंने श्रोताओं को बताया कि द्वितीय पंचवर्षीय योजना का विरोध उन्होंने समाज के वंचित वर्गों के लिए कम प्रावधान होने के कारण किया। इसी कारण से उन्होंने योजना आयोग को भंग करने का भी सुझाव दिया था, जिसे 2014 की नई सरकार ने योजना आयोग की जगह नीती आयोग बनाकर पूरा भी किया।

उन्होंने कहा कि नई सरकार द्वारा चुने गए एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट पंडित दीनदयाल उपाध्याय के वंचित वर्गों आपको बेहतर करने के सपनों की दिशा में ही एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि इन जिलों की सूची में उत्तर प्रदेश के आठ जिले भी आते हैं और शोधपीठ को सुझाव दिया की वो इन जिलों में भी काम करे। उनका कहना था कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों में इंसान, प्रकृति और सामाजिक मूल्यों का समन्वयन था।

पंडित दीनदयाल के जीवन और संघर्षों के बारे में युवा पीढ़ी को जानना चाहिए- मुकेश शर्मा

विशिष्ट अतिथि मुकेश शर्मा सदस्य विधान परिषद उत्तर प्रदेश ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह एक बेहद ही जरूरी कार्यक्रम है और इसके लिए शोध पीठ और विश्वविद्यालय बधाई के हकदार हैं। उनका कहना था कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और संघर्षों के बारे में आधुनिक युवा पीढ़ी को जानना चाहिए। उन्होंने बताया कि समाज के अंतिम व्यक्ति को आगे लाने की आवश्यकता कर ज़ोर देने के लिए जहाँ उन्होंने बहुत सी किताबें लिखीं साथ में उन्होंने पांचजन्य नाम की मासिक पत्रिका भी शुरू की।

इसके उपरान्त लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने अपनी बात रखी। उन्होंने मुख्य वक्ता के बारे में बताते हुए कहा की मुख्य वक्ता जी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कर्मभूमि से आते हैं और वहां से लोकसभा क्षेत्र के सदस्य भी हैं। उन्होंने गणमान्य अतिथियों को बताया कि इस दौरान समाज कार्य विभाग अपने स्वतंत्र स्थापना के 50 वर्ष को भी मना रहा है।

उन्होंने बताया की लखनऊ विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश का पहला राज्य विश्वविद्यालय है जिससे ये प्लस प्लस जी नए ग्रेडिंग मिली। इसके साथ यह उत्तर प्रदेश का एकमात्र विश्वविद्यालय है, जिसे क्यू एस और टाइम रैंकिंग में स्थान प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय के चिंतन उसके हिसाब से विश्वविद्यालय अपने काम को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।

कोविड के समय विश्वविद्यालय परिवार के शिक्षक, छात्र और पूर्व छात्र आगे आए- प्रो आलोक कुमार राय

उनका कहना था कि कोविड के समय कोविड प्रभावितों की मदद के लिए विश्वविद्यालय परिवार के शिक्षक, छात्र और पूर्व छात्र आगे आए। जिससे वंचित तबकों को लाभ प्राप्त हुआ। साथ हीवीसी केयर फंड की स्थापना की गई जिसमे वंचित तबकों से आने वाले विद्यार्थियों की मदद का प्रावधान है। दीनदयाल शोधपीठ के माध्यम से विश्वविद्यालय विभिन्न आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ काम करता है और जरूरतमंद लोगों की मदद करता है।

उन्होंने बताया कि विभिन्न इंटर कॉलजेज में विश्वविद्यालय ने सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीन को लगाया है। स्वच्छता से जुड़ें तमाम काम किए हैं। उनका कहना था कि वृद्धि तभी विकास में बदलती हैं जब अर्थशास्त्र समाजशास्त्र और समाज कार्य मिलकर काम करते हैं। ये संस्थाएँ समाज का ही हिस्सा है और समाज से ही आए हुए व्यक्ति इस का नेतृत्व करते हैं। इन संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि समाज के वंचित तबकों के लोगों की मदद की जाए। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की चिंतन को आगे ले जाया जाए।

मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडे ने अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा पिछले वक्ताओं ने जीस तरह से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को अब्राहम लिंकन और आधुनिक डेवलपमेंट से जोड़ा है वह महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम से कई योजनाएं चलाती है।

उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी जिसे अंत्योदय की बात किया करते थे उस पर महात्मा गाँधी जी पहले से ही अपने लेखों के माध्यम से अपने कार्यों के माध्यम से आवाज उठाते रहे। इनका कहना था कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी गाँधी जी से बहुत प्रभावित थे। इस दौरान उन्होंने जनसंख्या स्थापना के कारणों की भी चर्चा की।

उसने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि एकात्म मानववाद का मतलब मनुष्य के बीच में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना है और हर एक में समान आत्म भाव रखना है। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन की एक घटना का उदाहरण देते हुए कहा की थोड़ा प्रयास हमें करना होगा और थोड़ा प्रयास वंचितों और पीड़ितों को करना होगा और दोनों के प्रयासों से मिलकर वंचितों और पीड़ितों की जीवन दशा बेहतर हो सकेगी।

उनका कहना था कि विकास में संतुलन होना चाहिए, गरीबों और अमीरों के बीच खाई कम होनी चाहिए। खेती और उद्योगों पर बराबर ध्यान दिया जाना चाहिए। लेकिन समय के साथ यह संतुलन बिगड़ गया था जिसके कारण से यह खाई बढ़ती ही गई। उनका कहना था महात्मा गाँधी, राम मनोहर लोहिया, पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने हमेशा जोड़ने का काम किया है। उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनका कहना था कि पंडित जी के प्रयास से ही पहली बार आठ राज्यों में 1968 में गैरकांग्रेसी सरकार का गठन हुआ और अंत्योदय से जुड़े कार्यक्रम ओं की शुरुआत।

उन्होंने कहा ही अंत्योदय से जुड़ें कार्यक्रमों की व्यवस्थित शुरुआत 1977 में राजस्थान में भैरोसिंह शेखावत की सरकार ने किया, जिसमे बहुत सारे अन्त्योदय और वंचित वर्गों से जुड़ें लोगों की मदद के लिए कार्यक्रम बने। उन्होंने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन बेहद ही सादगी भरा था जिसकी कल्पना आज के राजनेताओं में करना लगभग असंभव है। उन्होंने लोगों को बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी केवल दो वस्त्र रखते थे एक खुद पहन के रखते थे और दूसरा साथ में रखती थी।

उन्होंने कहा की पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के जीवन हालात में बेहतरी लाने के लिए बहुत सी पुस्तकें लिखीं। अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि हमने यह मान लिया था कि सभी गरीबों को हम शौचालय नहीं दे सकते, सभी गरीबों की स्थिति में बेहतरीन नहीं ला सकते। लेकिन वर्तमान सरकार न केवल सभी गरीबों को शौचालय दिया बल्कि सभी गरीबों के सर पर छत का भी संकल्प लिया है। बहुत से लोगों को घर मिल चूके हैं और बहुत से लोगों को आने वाले समय में अपने घर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि आज का भारत अपनी रक्षा जरूरतों का 70% खुद उत्पादन कर रहा है और निर्यात भी कर रहा है।

उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा की अभी की सरकार समाज के अंतिम व्यक्ति को वैश्विक स्तर का जीवन स्थितियां प्रदान करने की कोशिश कर र हैं। उनका कहना था कि यह सब पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चिंतन का ही परिणाम है। उन्होंने बताया कि आज भारत ऑटो इंडस्ट्री के क्षेत्र में दुनिया में तीसरे पायदान पर है। उन्होंने कहा कि 2047 तक भारत दुनिया के सबसे विकसित देशों में शामिल होगा, निश्चित होगा और हम सब के प्रयासों से होगा। अपने उद्बोधन के दौरान उन्होंने कहा कि जब समाज कार्य के विद्यार्थी सरकारी योजनाओं में अपना योगदान देंगे तो वह निश्चित रूप से बेहतर होंगी। इस दौरान उन्होंने समाज कार्य विभाग के 50 वर्ष पूरे होने पर विभाग को बधाई दी।

अमित इकबाल श्रीवास्तव को पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्मान

कार्यक्रम के दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्मान से अमित इकबाल श्रीवास्तव को पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों, दर्शनों एवं सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के प्रचार, प्रसार एवं प्रशिक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने हेतु सम्मानित किया गया। साथ में गोद लिए गए गांवों के प्रधानों को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के समापन से पूर्व प्रोफेसर राकेश द्विवेदी, मुख्य कुलानुशासक, लखनऊ विश्वविद्यालय ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया।

उन्होंने विशेष रूप से मुख्यअतिथि और इस कार्यक्रम के मुख्यवक्ता का धन्यवाद दिया की इस विषय पर उन्होंने इतना सुन्दर व्याख्यान सभी के सामने प्रस्तुत किया उन्होंने कहा कि इससे हमारे विश्वविद्यालय के छात्र और छात्राएं जरूर बहुत कुछ सीखेगी उन्होंने हमारे कुलपति विशिष्ट और सभी प्रतिभागियों का भी धन्यवाद किया। कार्यक्रम में लगभग 300 से अधिक प्रतिभागी शामिल रहे जिसमे अलग विभागों के शिक्षक एवं छात्र छात्राएं शामिल रहे।

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