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इस तरह की सेंसिटिविटी आपके लिए साबित हो सकती हैं घातक, ऐसे करे बचाव

व्यक्ति कई तरह के भावनात्मक संकट का अनुभव करता है. वह उदास होने कि सम्भावना है, चिंता सता सकती है. निराशा, ऊब, गुस्सा या किसी तरह की आत्मग्लानि से घिर सकता है. किसी भी तरह की मनोदशा में भावुक होना बुरी बात नहीं है लेकिन अतिभावुक होना कठिनाई का कारण बन सकता है. भावनाएं ज़िंदगी का अहम पहलू हैं व भावनात्मक संवेदनशीलता का होना एक अच्छी बात है,

लेकिन कुछ तरह की सेंसिटिविटी आखिर में आपके लिए घातक साबित हो सकती हैं. यह आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर सकती है.

अति भावुकता के नुकसान
किसी भी मुद्दे में बेहद भावुकता लगातार रहे तो यह मानसिक बीमारी का रूप भी ले सकती है. इसलिए महत्वपूर्ण है कि अपनी भावनाओं पर काबू रखते हुए अति भावुकता से बचा जाए. महिलाएं अति भावुकता की ज्यादा शिकार हो सकती हैं. कई महिलाएं छोटी-छोटी बातों पर भी विचलित हो जाती हैं या फिर अति भावुकता में उचित-अनुचित कदम उठा लेती हैं. जरा-जरा सी बात पर रो देना या छोटी बात को लेकर परेशान हो जाने वाली स्त्रियों को मनोवैज्ञानिक अति भावुकता की श्रेणी में ही रखते हैं. कई बार अति भावुकता के कारण रिश्तों में तनाव इतने बढ़ जाते हैं कि स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालते हैं. ऐसे में शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

ये बीमारियां दे सकती है अति भावुकता
अति भावुकता से तनाव पैदा होने पर आदमी के दिल पर निगेटिव असर पड़ता है. ऐसे में सीने में दर्द की समस्या व हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी हो सकती है. ज्यादा इमोशनल होने से अनिद्रा की समस्या हो सकती है जिसके कारण शरीर में ऊर्जा की कमी होती है. यह भी ध्यान रखें कि अति भावुकता व तनाव के कारण गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिकल संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. पेट दर्द की शिकायत, मितली या उल्टी महसूस होने लगती है. पाचन संबंधी समस्याएं प्रारम्भ हो जाती हैं. अति भावुकता से हुए तनाव की वजह से धीरे-धीरे आदमी की प्रतिरक्षा प्रणाली पर भी प्रभाव पड़ता है.

अति भावुकता से बचने के तरीके
अधिक भावुक होने से बचने के लिए आप कुछ ढंग जरूर अपना सकते हैं. सबसे पहले तो अपनी भावुकता की स्थिति को स्वीकार लें. आपको किसी भी हालात में जो भी महसूस हो रहा है, पहले तो उसका विरोध बंद करें. मनोवैज्ञानिक भावुकता को कोई समस्या नहीं मानते लेकिन हर बात पर भावुक होना या फिर आप जो महसूस कर रहे हैं, वही अच्छा है, यह मान लेना गलत है. जैसे यदि आप किसी कार्यालय में नौकरी करते हैं व आपका बॉस या आपके सहयोगी कभी हंसी-मजाक करते हैं या फिर कभी गुस्से में कोई बात कह देते हैं तो उस पर तुरंत अतिभावुक होकर रिएक्शन देने से बचना चाहिए. बेहतर होगा कि आप अपने मन को शांत रख, कुछ देर सोचें कि मुझे क्या करना चाहिए या क्या कहना चाहिए. एक बार आप तुरंत रिएक्शन देना बंद कर देंगे तो अति भावुकता से बच पाएंगे.

अपने बारे में मूल्यांकन करें. अगर आप समझ नहीं पा रहे हैं कि आप ज्यादा सेंसिटिव हैं या नहीं तो कुछ उपायों से खुद का मूल्यांकन कर सकते हैं. डायरी या जर्नल लिखना भी आपको इसमें मदद कर सकता है. अब हर बार, जब भी आपको लगे कि आप भावनात्मक रूप से रिएक्शन दे रहे हैं, उसके बारे में तुरंत जब आप इमोशनल हुए, आप कैसा महसूस कर रहे थे, आपने क्या अनुभव किया, आप क्या सोच रहे थे, व उस हालात का सारा विवरण लिखकर रख लें. अब अगली बार जब भी आपको किसी तरह की भावना महसूस होती है, जैसे कि चिढ़ना, चिंता या गुस्सा, तो उस वक्त आप जो भी कर रहे हैं, उसे वहीं पर रोक दें व फिर आपके ध्यान को आपके किसी अच्छे अनुभव की तरफ केंद्रित कर दें.

अति भावुकता से बचने के लिए कुछ एक्सरसाइज महत्वपूर्ण है. रोजमर्रा की परिस्थियों में प्रयास करें कि किसी भी बात को लेकर अधिक भावुक न होएं. धीरे-धीरे एक्सरसाइज के साथ आपको इस इमोशन को मैनेज करना आ जाएगा व स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभावों से बच पाएंगे.

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