शुभमन गिल के पहले कोच और पिता लखविंदर का मानना है कि टेस्ट में गेंदबाजों के खिलाफ आगे बढ़कर या यूं कहें चढ़कर खेलने से उनके बेटे को काफी फायदा मिला है और वह फिर से रन बनाने लगे हैं। हालांकि, लखविंदर शुभमन के तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी के लिए आने के फैसले से सहमत नहीं हैं। इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज के पहले मैच में फेल होने के बाद शुभमन पर दबाव बढ़ रहा था। वह टेस्ट में 12 पारियों से अर्धशतक नहीं लगा पाए थे।
हालांकि, विशाखापत्तनम टेस्ट की दूसरी पारी में शुभमन ने 104 रन बनाकर अपने आलोचकों को करारा जवाब दिया था। यह टेस्ट में तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए शुभमन की पहली और सबसे बड़ी पारी थी। उन्होंने पिछले साल वेस्टइंडीज दौरे पर खुद को तीसरे नंबर पर भेजने की वकालत की थी। उसके बाद रोहित और यशस्वी टेस्ट में रेगुलर ओपनर बन गए थे। शुभमन ने धर्मशाला टेस्ट में 12 चौके और पांच छक्के की मदद से 110 रन की पारी खेली। यह उनके टेस्ट करियर का चौथा शतक रहा।
उस शतक के बाद से शुभमन लगातार फॉर्म में दिखे हैं। राजकोट में तीसरे टेस्ट के दौरान शुभमन ने दूसरी पारी में मैच जिताऊ 91 रन बनाए थे। इसके बाद रांची टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 38 रन और दूसरी पारी में मैच जिताऊ नाबाद 52 रन बनाए थे। अब धर्मशाला टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने पिता लखविंदर की मौजूदगी में शानदार शतक जड़ा। पिता ने खड़े होकर उनके लिए ताली बजाई। शुभमन को शुक्रवार को स्लॉग स्वीप के साथ सीरीज का दूसरा शतक पूरा करते हुए देखने वाले उनके पिता ने उन कारणों के बारे में बात की जिससे भारतीय बल्लेबाज को रेड बॉल के क्रिकेट में अपने खराब फॉर्म से उबरने में मदद मिली।