वाराणसी। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2015 में चौबेपुर क्षेत्र के श्रीकंठपुर निवासी बसपा नेता रामबिहारी चौबे हत्याकांड में सैयदराजा से भाजपा विधायक सुशील सिंह को झटका देते हुए पूरे प्रकारण में उनकी भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं। सुशील सिंह को मिली क्लीन चिट को दरकिनार करते हुए नए सिरे से जांच की बात कही गई है। इतना ही नहीं जांच की निगरानी खुद न्यायालय करेगा और इसके लिए तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी सत्यार्थ अनुज पंकज के नेतृत्व में विशेष जांच दल गठित कर दिया गया है। एसआईटी को दो माह में जांच का काम पूरा कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा गया है।
आईपीएस सत्यार्थ अनुज ने ही प्रयागराज एसपी रहते हुए शिक्षक भर्ती घोटाले को उजागर किया था। न्यायालय ने उनको आदेश दिया है कि अपने पसंद के अधिकारियों को टीम में शामिल कर भाजपा विधायक की इस केस में भूमिका की जांच करें। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की है कि पूर्व में की गई जांच सच्चाई को छिपाने वाली है। पीठ ने इस मामले में वाराणसी पुलिस के कामकाज पर भी सवालिया निशाल लगाया है।
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घर में घुसकर मारी गई थी गोली
सकलडीहा से विधायक सुशील सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ चुके बसपा नेता रामबिहारी चौबे को उनके घर में घुसकर गोली मार दी गई थी। बसपा नेता के पुत्र अमरनाथ चाौबे ने विधायक सुशील सिंह पर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। घटना के तकरीबन ढाई वर्ष बाद पुलिस ने गाजीपुर के मरदह निवासी शार्प शूटर अजय मरदह, आशुतोष सिंह सनी और बिहार के नागेंद्र सिंह को गिरफ्तार किया था। पुलिस जब अजय मरहद को गिरफ्तार करने वाराणसी के एक फ्लैट पर पहुंची तब विधायक सुशील सिंह खुद मौके पर पहुंचे और इस गिरफ्तारी का काफी विरोध किया। लेकिन पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी और आरोपितों को पकड़कर ले गई। हालांकि पुलिस ने जांच के बाद विधायक को क्लीन चिट दे दी थी।
रिपोर्टर-संजय कुमार दिनकर