लखनऊ। भगवान के श्रीचरणों तक पहुंचने का सबसे सशक्त माध्यम होता है सत्संग। जीवात्मा सत्संग से चलकर ही भगवान के चरणों तक पहुंचता है। सत्संग से जब निष्पृहता प्राप्त होती है, तब सद्गुरु की तलाश होती है और पूर्ण समर्पण के फलस्वरुप सद्गुरु ईश्वर तक पहुंचने का माध्यम बनते हैं।
यह बात आज संध्याकाल मोतीमहल लॉन में चल रही श्रीराम कथा के पंचम दिवस श्रीरामलला सदन अयोध्याधाम के पीठाधीश्वर राघवाचार्य महाराज ने कही। वह विभिन्न अंचलों से हजारों की संख्या में पधारे ज्ञान-जिज्ञासुओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि भगवान की अहेतुकी कृपा से ही मनुष्य को सत्संग का सौभाग्य प्राप्त होता है। वस्तुतः सत्संग भगवान की कृपा से ही व्यक्ति को मिल पाता है। पूर्वकृत कर्म पाप और पुण्य दोनों ही बन्धन के कारण हैं। पाप और पुण्य के धुल जाने पर जीव निरंजन हो जाता है। और, यह काम साधु सत्संग से ही सम्भव होता है।
स्वामी राघवाचार्य महाराज ने महिलाओं की तीन श्रेणियां बताईं और कहा कि अधवा, सधवा और विधवा यह नारियों की तीन श्रेणियां होती हैं। धव का अर्थ होता है पति। अधवा वह है जिसका विवाह नहीं हुआ। पति सहित दाम्पत्य जीवन वाली स्त्री को सधवा कहते हैं और पति के नहीं रहने पर स्त्री को विधवा कहा जाता है। उन्होंने नारी-मात्र को देवी दृष्टि से देखने की प्रेरणा पुरुष समुदाय को दी। उन्होंने महापुरुषों के क्रोध को भी वरदान बताया और कहा कि यदि गौतम ऋषि अहिल्या को श्राप नहीं देते तो उन्हें राम कहां मिलते।
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कथा संयोजक संजीव पाण्डेय ने बताया आज राजधानी लखनऊ सहित पड़ोसी जनपदों के कथा जिज्ञासु भारी संख्या में उपस्थित रहे। आज के यजमान का दायित्व उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री अरविन्द सिंह गोप ने उठाया। डॉ एलपी मिश्र, पूर्व मंत्री एवं सांसद कुसुम राय, मनोज द्विवेदी महामंत्री अवध बार, अमरेश पाल सिंह महामंत्री सेंट्रल बार ने माल्यार्पण कर व्यास जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। मंच समन्वयक डॉक्टर सप्तर्षि मिश्र ने बताया कि दो जनवरी को सन्त सम्मेलन, यज्ञ-हवन पूजन तथा महाप्रसाद के साथ श्रीराम कथा महोत्सव को विश्राम दिया जाएगा।