छत्तीसगढ़ विधानसभा ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अनुसूचित जाति (SC) समुदायों के लिए उनकी आबादी के अनुपात के अनुसार प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आरक्षण बढ़ाने वाले दो संशोधन विधेयक पारित किए।
दोनों विधेयक- छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण) संशोधन अधिनियम और शिक्षण संस्थानों में प्रवेश से संबंधित एक संशोधन विधेयक शुक्रवार को विशेष सत्र के दौरान विधानसभा में पेश किए गए।
विधायिका ने इन दोनों समुदायों की आबादी के हिसाब से अनुसूचित जनजाति के लिए 32 फीसदी, अनुसूचित जाति के लिए 13 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण का प्रस्ताव रखा है।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को 4 फीसदी आरक्षण का प्रावधान भी किया गया है, जिससे राज्य में आरक्षण की कुल सीमा 76 फीसदी हो गई है। मुख्यमंत्री ने सभी दलों से छत्तीसगढ़ में आरक्षण के नए प्रावधानों को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए प्रयास करने का आग्रह किया।
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मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि मध्य प्रदेश #लोकसेवा (अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण) 1994, छत्तीसगढ़ राज्य में अपनाया गया था। बघेल ने कहा कि तत्कालीन सरकार के कार्यकाल में सर्जियस मिंज कमेटी की रिपोर्ट तत्कालीन सरकार ने पेश ही नहीं की। सरगियस मिंज कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दूसरे राज्यों में आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा है और छत्तीसगढ़ में इसे बढ़ाया जा सकता है, यह रिपोर्ट भी हाईकोर्ट में पेश नहीं की गई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की कुल आबादी में ईडब्ल्यूएस आबादी के लिए 3.48 प्रतिशत के आंकड़े के साथ मात्रात्मक आयोग के आंकड़े सामने आते हैं, जबकि सरकार ने उनके लिए 4 प्रतिशत #आरक्षण का प्रावधान किया है। इसी तरह ओबीसी की आबादी राज्य की आबादी का 42.41 फीसदी है जबकि हमने उनके लिए 27 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया है।
भूपेश बघेल ने कहा, “वर्ष 2011 की जनगणना में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 12 प्रतिशत से थोड़ी अधिक थी। हमने उनके लिए 13 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया है। यदि अनुसूचित जाति की जनसंख्या 16 प्रतिशत आती है तो आगामी जनगणना में हम 16 प्रतिशत आरक्षण देंगे, जैसा कि लोग मांग कर रहे हैं। भारत के संविधान के अनुसार, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उनकी आबादी के हिस्से के अनुसार आरक्षण देने का प्रावधान है।”