लखनऊ। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के नेतृत्व व निर्देशन में उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में अधिक से अधिक इकाइयां लगाने के भरपूर प्रयास किए जा रहे हैं और इस क्षेत्र में विभाग द्वारा उल्लेखनीय कार्य किये जा रहे हैं। नई खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति में इस क्षेत्र में इकाइयां लगाने पर अनुदान सहित अन्य विभिन्न प्रकार की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।
उप मुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में ही निर्देश दिए गए हैं कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार कर उद्यमियों को इकाइयां स्थापित करने के लिए प्रेरित किया जाय। इसी उद्देश्य से शनिवार को अपर मुख्य सचिव, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्तर प्रदेश शासन बीएल मीणा की अध्यक्षता में उ०प्र० खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 योजनान्तर्गत प्रदेश में स्थापित होने वाले विभिन्न प्रकार के उद्योगों के उद्यमियों द्वारा रेशम निदेशालय में आयोजित अप्रेजल समिति की बैठक में प्रस्तुतिकरण किया गया।
योजनान्तर्गत अब तक 230 उद्यमियों को लेटर ऑफ कर्म्फट (एलओसी) जारी हुआ है, जिनकी परियोजना लागत धनराशि रूपये 1000 करोड़ से ज्यादा है तथा लगभग 1 लाख से अधिक व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त हुआ है, लगभग 1 लाख किसानों की उपज को उद्यमियों द्वारा प्रसंस्करण किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश देश में इस योजना के माध्यम से सबसे अधिक अनुदान धनराशि रूपये 10 करोड़ तक उपलब्ध करा रहा है।
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन (पीएम एफएमई) योजना में अब तक 13500 उद्यमियों को 5-10 लाख अनुदान धनराशि स्वीकृत की गयी है। इस वर्ष उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान एवं बिहार द्वितीय स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में आवेदन के सापेक्ष वितरण 98 प्रतिशत हुआ है, जबकि देश का औसत 50 प्रतिशत है। इस योजना से 1 लाख लोगों को रोजगार मिला है एवं 1500 करोड़ का निवेश हुआ है।
सम्पन्नित बैठक में प्री-अप्रेजल समिति द्वारा प्राप्त प्रस्तावों का परीक्षण करते हुए मैक्रोनी, पास्ता, टोमैटो श्वॉस, मल्टीग्रेन फ्लोर मिल एवं राइस मिल से सम्बन्धित आवेदनों को अप्रेजल समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसके सापेक्ष समिति द्वारा उपयुक्त पाये गये प्रस्तावों को एसएलईसी के समक्ष अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किये जाने पर सहमति प्रदान की गयी।
बैठक में डा केवी राजू (सलाहकार, मुख्यमन्त्री) द्वारा अपेक्षा की गयी कि प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण आधारित उद्योगों के माध्यम से अधिक से अधिक पूंजी निवेश, प्रदेश के किसानों से कच्चे माल क्रय करने से सम्बन्धित अनुबन्ध, रोजगार सृजन, जीएसटी संग्रहण एवं उद्यमियों के माध्यम से प्रदेश के कितने क्षेत्रफल से किसानों द्वारा उत्पादित कच्चे माल का उपयोग एवं खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में कार्यरत इकाईयों द्वारा एफएसएसएआई मानकों के अनुसार गुणवत्ता नियंत्रण के मानकों का अनुपालन भी होना चाहिए जिससे कि उपभोक्ताओं को उच्च कोटि का गुणवत्ता युक्त उत्पाद प्राप्त हो सकें।
अपर मुख्य सचिव (उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण) द्वारा संज्ञानित कराया गया कि उद्यमियों की सुविधा एवं शीघ्र निस्तारण के लिए प्रत्येक माह अप्रेजल समिति की बैठक संचालित की जा रही है जिससे की प्रदेश में उच्च कोटि के उद्योगों को स्थापित कराया जा सके। आज प्रदेश में उत्पादित आलू को उचित मूल्य एवं निर्यात करने के सम्बन्ध में बैठक आयोजित की गयी एवं अवगत कराया गया कि उप्र आलू उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है। प्रदेश में देश का लगभग 35 प्रतिशत आलू उत्पादन होता है। इस सम्बन्ध में गुणवत्तायुक्त आलू बीज की उपलब्धता, आलू भण्डारण व्यवस्था, विपणन, प्रसंस्करण एवं निर्यात आदि समस्त बिन्दुओं पर समग्रतापूर्वक विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में कृषकों की आय दोगुनी करने की दिशा में आलू उत्पादन की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस दिशा में आलू बीज उत्पादन को प्रति वर्ष 20 प्रतिशत की दर से बढ़ाये जाने की आवश्यकता है। प्रसंस्करण योग्य आलू की प्रजातियों के उत्पादन में 15 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि पर बल दिया गया। प्रदेश के कुल आलू उत्पादन में प्रसंस्करण योग्य आलू का उत्पादन कम से कम 20 प्रतिशत की सीमा तक बढ़ाया जाय। आलू निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आलू उत्पादन में गुड एग्रीकल्चरल प्रक्टिसेज (जीएपी) को अपनाये जाने पर बल दिया गया। साथ ही उप महाप्रबन्धक, एपीडा, वाराणासी द्वारा आलू निर्यात हेतु रोगमुक्त आलू उत्पादन क्षेत्र विकसित किये जाने तथा इस आशय का प्रमाणीकरण की आवश्यकता के बारे में जानकारी प्रदान की गयी।
बैठक में निर्देश दिये गये कि सीपीआरआई द्वारा पर्याप्त मात्रा में ब्रीडर आलू बीज प्राप्त करते हुये आलू बीज उत्पादन क्लस्टर्स चिन्हित किये जाय तथा प्रभावी बीज उत्पादन श्रृंखला के माध्यम से विभाग द्वारा कृषकों में अधिक मात्रा में प्रमाणित आलू बीज उपलब्ध कराते हुए बीज प्रतिस्थापन दर में उत्तरोत्तर वृद्धि की जाय। एग्रीस्टो कम्पनी के प्रतिनिधि पुनीत पाठक द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद बिजनौर में 02 लाख मी.टन क्षमता की आलू फ्लैक्स प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गयी है, जिसमें नीदरलैण्ड की प्रसिद्ध प्रजाति सेन्टाना के साथ-साथ चिप्सोना 1, 3 एवं फ्राईसोना का व्यापक मात्रा में प्रयोग किया जा रहा है। इस आशय से जनपद बिजनौर, हापुड़ एवं आस-पास के जनपदों में काफी मात्रा में माइक्रोइरीगेशन (ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति) से गुणवत्तायुक्त प्रसंस्करण योग्य आलू उत्पादित किया जा रहा है।
बैठक में बताया गया है 15 नवम्बर, 2024 को लखनऊ में नीदरलैण्ड की प्रतिष्ठित फूड प्रोसेसिंग कम्पनी किरेम्को एवं सुरेन्द्र फूड्स, मेरठ के मध्य हस्ताक्षरित एमओयू के सम्बन्ध में मनीष प्रताप द्वारा अवगत कराते हुए जानकारी दी गयी कि वर्ष 2025 से उनके द्वारा आलू प्रसंस्करण/आलू फ्लैक्स उत्पादन का कार्य प्रारम्भ कर दिया जायेगा। इसी परिदृष्य में इण्डियन चौम्बर्स ऑफ कामर्स, कोलकाता के प्रतिनिधि श्रीमती मधुपर्णा भौमिक द्वारा दिनांक 13 एवं 14 फरवरी, 2025 को लखनऊ में दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय आलू एक्सपो आयोजित कराने हेतु प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।
यूपी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 के अन्तर्गत ऑनलाइन प्राप्त प्रस्तावों के अप्रेजल समिति की सम्पन्नित बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में डा केवी राजू (सलाहकार, मुख्यमन्त्री), डा० सतेन यादव, अध्यक्ष, इण्डियन मिलेट्स इनिशिएटिव, डा पीपी गोथवाल, मुख्य वैज्ञानिक, सीएफटीआरआई, लखनऊ (ऑनलाइन के माध्यम से), डा विजय बहादुर द्विवेदी, निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, अनिल कुमार सिंह, वित्त नियत्रंक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, नीलम, संयुक्त निदेशक, (प्रशासन), उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, डा राजीव कुमार वर्मा, संयुक्त निदेशक, (शाकभाजी), मधुपरना बी, सिनियर डायरेक्टर, इण्डियन चौम्बर्स ऑफ कॉमर्स, सुमित बसक, इक्जिक्यूटिव ऑफीसर, इण्डियन चौम्बर ऑफ कॉमर्स, डा एसके चौहान, उप निदेशक, (खाप्र), उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, आयुक्त, दुग्ध विकास विभाग के प्रतिनिधि एवं वित्त विभाग के संयुक्त सचिव द्वारा बैठक में प्रतिभाग किया गया।