नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आग अब देश के बाहर भी बढ़ने लगी है। लंदन में भारतीय दूतावास के बाहर असम मूल के लोगों ने नागरिकता बिल का जमकर विरोध किया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि ये कानून धर्म के आधार पर लाया गया है। उनका कहना है कि हम असम के परिवारों के साथ खड़े हैं और हमारी आवाज सुनी जानी चाहिए।
लंदन में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन कर रहे लोगों का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून असम की संस्कृति और अर्थव्यवस्था दोनों के लिए बहुत बड़ा खतरा है। ये कानून धार्मिक आधार पर बनाया गया है, जो की पूरी तरह से गलत है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इस समय में असम में हमारे परिजन मुसीबत में हैं। फोन और इंटरनेट सेवा बंद होने के चलते उनसे बातचीत भी नहीं हो पा रही है।
वहीं देश में भी इस कानून के खिलाफ कई राज्यों में प्रदर्शन हो रहा है। असम के अलावा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नागालैंड में भी इस कानून के खिलाफ आंदोलन चलाए जा रहे हैं। इसके खिलाफ दिल्ली में भी जोरदार प्रदर्शन किए जा रहे हैं। वहीं विपक्ष भी इस कानून के खिलाफ केंद्र को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
कांग्रेस ने इस कानून को विभाजनकारी बताया है। शनिवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई कांग्रेस की भारत बचाओं रैली में भी सोनिया, प्रियंका और राहुल समेत कांग्रेस के दिग्गजों ने बीजेपी पर जमकर जुबानी हमले किए। इसके साथ ही जनता का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि इस समय लोगों को देश को बचना के लिए सड़कों पर उतरकर आंदोलन करना होगा। इस समय जो आवाज नहीं उठाएगा वो भविष्य में कायर कहलाएगा।
वहीं दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय में भी इस कानून के खिलाफ उग्र प्रदर्शन हुआ है। कश्मीर की तर्ज पर छात्रों ने पत्थर बाजी की है। छात्रों के प्रदर्शन को शांत कराने के लिए पुलिस लाठी चार्ज किया, इसके साथ ही आंसू गैस के गोले भी दागे गए। वहीं उग्र हुए छात्रों ने इस दौरान मीडियाकर्मियों से भी मारपीट की।