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अमेरिका के शिकागो में भारत की जय-जय, CAA और मानवाधिकारों पर आलोचना वाला प्रस्ताव गिरा

अमेरिका में न्यूयार्क के बाद सबसे शक्तिशाली नगर परिषदों में से एक शिकागो नगर परिषद में सीएए और मानवाधिकारों को लेकर भारत की आलोचना करने वाला प्रस्ताव गिर गया है। शिकागो नगर परिषद के सदस्यों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ जमकर मतदान किया है। आरोप है कि एंटी इंडिया लॉबी और इस्लामिक संगठनों के इशारे पर परिषद के एक सदस्य ने भारत के खिलाफ इस प्रस्ताव को पेश किया गया था। इस प्रस्ताव में भारत के संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) एवं मानवाधिकार के मुद्दे पर आलोचना की गई थी।

शिकागो के प्रमुख भारतीय अमेरिकी डॉक्टर भरत बराई ने परिषद के फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव के पीछे काउंसिल ऑन अमेरिकन इस्लामिक रिलेशन है और उसकी भूमिका की जांच की जानी चाहिए। इस प्रस्ताव को परिषद की सदस्य मारिया हैड्डन ने प्रायोजित किया था। उनका कहना था कि प्रस्ताव दक्षिण एाशियाई सहयोगियों से मिली जानकारी पर आधारित है।

शिकागो की मेयर (महापौर) लोरी लाइटफुट ने बुधवार को कहा कि परिषद के कई सदस्य मतदान (प्रस्ताव के समर्थन में) करने में असहज महसूस कर रहे थे क्योंकि हम नहीं जानते कि भारत में जमीन पर वास्तव में क्या हो रहा है। जिसके बाद भारत की आलोचना करने वाले प्रस्ताव को 18 के मुकाबले 26 मतों से अस्वीकार कर दिया गया।

लाइटफुट ने कहा कि यह संघीय बाइडन प्रशासन का काम है कि वह ऐसे मुद्दे पर टिप्पणी करे या निर्णय ले न कि स्थानीय शहर सरकार का। मेयर ने एक सवाल के जवाब में कहा कि नगर परिषद में प्रस्ताव को लेकर जो आपने अनिच्छा देखी उसकी वजह यह थी कि कई सदस्यों का मानना है कि मामले पर पर्याप्त जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि शिकागो के सामने अपनी ही कई समस्याएं हैं।

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