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उत्तराखंड : तीसरा बच्चा होने पर भी मिले मेटरनिटी लीव

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उस नियम को लेकर राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है जो तीसरे बच्चे के जन्म के लिए अपनी महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश देने से इनकार करता है। हाईकोर्ट ने इसे ’असंवैधानिक’ करार दिया। कोर्ट के मुताबिक दिशानिर्देश संविधान के ’शब्द और आत्मा’ के खिलाफ थे।

उत्तराखंड द्वारा अपनाए गए

कोर्ट ने कहा कि उत्तराखंड द्वारा अपनाए गए उत्तर प्रदेश मौलिक नियमों में से मौलिक नियम 153 का दूसरा प्रावधान, मैटरनिटी बेनिफिट एक्ट, 1961 और संविधान के अनुच्छेद 42 दोनों के खिलाफ था, जो ’काम और मातृत्व की केवल और मानवीय स्थितियों के लिए राहत प्रदान करता है।’ हाई कोर्ट ने यह आदेश सरकारी नर्स उर्मिला मसीह द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के बाद पारित किया। हल्दवानी की रहने वाली उर्मिला को 20 जून, 2015 से छह महीने का मातृत्व अवकाश नहीं दिया गया क्योंकि उनके पहले से ही दो बच्चे हैं। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि मातृत्व अवकाश से इनकार करने के बाद उर्मिला को 2015 में जिस छुट्टी का लाभ मिलना चाहिए था, उसके लिए पूरे वेतन का भुगतान किया जाए।

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