Lucknow। लखनऊ विश्वविद्यालय के शोधार्थी गौरव ओझा (Researcher Gaurav Ojha) ने भारत की सबसे बड़ी विधानसभा (Assembly) में राष्ट्रीय युवा संसद (National Youth Parliament) के अंतर्गत अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने अपने ओजस्वी भाषण (Powerful Speech) में भारतीय संविधान (Indian Constitution) के 75 वर्षों की यात्रा, उसके अधिकार, कर्तव्य और लोकतांत्रिक मूल्यों की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला।
गौरव ने अपने संबोधन में ऐतिहासिक संदर्भों का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे भारत ने अपनी स्वतंत्रता के पश्चात विश्वस्तरीय संविधान का निर्माण किया, जिसकी बुनियाद बलिदानों और संघर्षों से रखी गई थी। उन्होंने भारतीय संविधान को ‘सबसे पवित्र ग्रंथ’ बताते हुए उसकी रक्षा और सम्मान की महत्ता पर जोर दिया। भाषण के दौरान उन्होंने जातिगत भेदभाव, लैंगिक असमानता, तीन तलाक और लोकतांत्रिक दायित्वों जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार रखे, जिसे सभा में मौजूद गणमान्य अतिथियों ने सराहा।
इस महत्वपूर्ण अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और उच्च शिक्षा मंत्री सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।
इससे पूर्व, नोडल स्तर पर भी गौरव ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए थे, जिसके उपरांत उन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा में अपने विचार रखने का अवसर मिला। इतना ही नहीं, गौरव ने इससे पहले भी भारत मंडपम और संसद के ऐतिहासिक सेंट्रल हॉल में अपने विचार व्यक्त किए हैं, जहाँ उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने तर्कपूर्ण और प्रभावशाली विचार रखे। उनकी अभिव्यक्ति को युवाओं के बीच विशेष रूप से प्रेरणादायक माना जाता है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर अपनी प्रस्तुति के बारे में गौरव ने कहा कि संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की बुनियाद है। इसे सुरक्षित और सशक्त बनाए रखना हमारा दायित्व है। मैं गर्व महसूस करता हूँ कि मुझे इस मंच से अपने विचार रखने का अवसर प्राप्त हुआ।