बोटॉक्स एक न्यूरोटॉक्सिन तकनीक है, जिसे केवल सुंदरता बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि आजकल कई बीमारियों के उपचार में भी इस्तेमाल में लिया जाता है. खासतौर पर इसे आंखों, अंत: स्त्रावी ग्रंथियों, यूरिनरी ब्लैडर व स्त्रियों के प्रजनन तंत्र और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याओं के उपचार में इस्तेमाल करते हैं.
किन स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में यह अच्छा है?
– ब्लेफैरोस्पास्म तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्या है. जिसमें पलकों में असामान्य ऐंठन आने से ये जबरन बंद हो जाती हैं.
– मेगेस सिंड्रोम की स्थिति में चेहरे के ऊपरी व निचली दोनों भागों की मांसपेशियां सिकड़ने लगती हैं.
– राइटर्स क्रैम्प की समस्या में आदमी केवल एक या दो पृष्ठ लिख पाता है व फिर उसके हाथों की कुछ खास मांसपेशियों मेंं ऐंठन आने से वह लिख नहीं पाता. इन सभी समस्याओं में मांसपेशियों की अतिसक्रियता को आराम देने के लिए बोटॉक्स इंजेक्शन लगाया जाता है.
बोटॉक्स तकनीक कैसे कार्य करती है?
विशेषज्ञ बोटॉक्स का इंजेक्शन तीन माह के अंतराल पर लगाते हैं. इसे लगाने से पहले यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि इसे बिल्कुल अच्छा जगह पर लगाया जाना चाहिए. कितनी डोज लेनी है, इंजेक्शन कहां लगाना है, किस प्रकार की सुई है व इसका प्रयोग कैसे किया जाए, यह विशेषज्ञ तय करता है. इससे होने वाले दुष्प्रभाव भी कम हैं. कई बार एक ही स्थान पर अनेक सूक्ष्म मांसपेशियां होने के कारण इससे पहले एनेस्थीसिया देने की आवश्यकता भी पड़ती है.
इसके दुष्प्रभाव क्या हैं?
बोटॉक्स के दुष्प्रभाव बहुत ज्यादा कम देखे जाते हैं. साइड इफेक्ट्स इसपर भी निर्भर करता है कि इंजेक्शन किस जगह पर लगाया गया है. जहां यह इंजेक्शन लगाया जाता है वहां हल्का दर्द होता है. साथ ही सूजन भी आती है. कई बार इससे प्रभावित जगह पर लालिमा पड़ना, सिरदर्द व थकान जैसी समस्याएं भी होती हैं. ये लक्षण कुछ समय या घंटे में अपने आप अच्छा हो जाते हैं लेकिन ये तब भी अच्छा न हों तो विशेषज्ञ से सम्पर्क कर तुरंत उपचार लें.