प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश ‘विकसित भारत’ और आत्मनिर्भरता की भावना से ओत-प्रोत है। हमें इस भावना और गति को 2024 में भी बनाए रखना है। उन्होंने रविवार (31 दिसंबर, 2023) को आकाशवाणी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 108वीं कड़ी में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी जोर दिया और ‘फिट इंडिया’ के लिए कई अनूठे प्रयासों पर प्रकाश डाला। शो के प्रसारण के दौरान ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु, भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर, शतरंज के दिग्गज विश्वनाथन आनंद और अभिनेता अक्षय कुमार ने बताया कि उनकी अच्छी सेहत का राज क्या है।
मोदी ने कहा कि भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है और ‘विकसित भारत’ और आत्मनिर्भरता की भावना से ओत-प्रोत है। पीएम ने कहा, ”हमें 2024 में भी इसी भावना और गति को बनाए रखना है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत का नवोन्मेष का केंद्र बनना इस बात का प्रतीक है कि देश अब रुकने वाला नहीं हैं। प्रधानमंत्री ने चंद्रयान तीन की सफलता सहित साल 2023 में विभिन्न क्षेत्रों में देश को हासिल हुई उपलब्धियों का उल्लेख किया और देशवासियों को नए साल की शुभकामनाएं दीं। नीचे, पढ़िए उनकी शब्दशः भाषण:
मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार। ‘मन की बात’ यानि आपके साथ मिलने का एक शुभ अवसर, और अपने परिवारजनों के साथ जब मिलते हैं, तो वो, कितना सुखद होता है, कितना संतोषदायी होता है। ‘मन की बात’ के द्वारा आपसे मिलकर, मैं, यही अनुभुति करता हूँ, और आज तो, हमारी साझा यात्रा का ये 108वाँ एपिसोड है। हमारे यहाँ 108 अंक का महत्व, उसकी पवित्रता, एक गहन अध्ययन का विषय है। माला में 108 मनके, 108 बार जप, 108 दिव्य क्षेत्र, मंदिरों में 108 सीढ़ियाँ, 108 घंटियाँ, 108 का ये अंक असीम आस्था से जुड़ा हुआ है। इसलिए ‘मन की बात’ का 108वाँ episode मेरे लिए और खास हो गया है। इन 108 episodes में हमने जनभागीदारी के कितने ही उदाहरण देखे हैं, उनसे प्रेरणा पाई है। अब इस पड़ाव पर पहुँचने के बाद, हमें नए सिरे से, नई ऊर्जा के साथ और तेजगति से, बढ़ने का, संकल्प लेना है। और ये कितना सुखद संयोग है कि कल का सूर्योदय, 2024 का, प्रथम सूर्योदय होगा – हम वर्ष 2024 में प्रवेश कर चुके होंगे। आप सभी को 2024 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
साथियों, ‘मन की बात’ सुनने वाले कई लोगों ने मुझे पत्र लिखकर अपने यादगार पल साझा किए हैं। ये 140 करोड़ भारतीयों की ताकत है, कि इस वर्ष, हमारे देश ने, कई विशेष उपलब्धियाँ हासिल की हैं। इसी साल ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ पास हुआ, जिसकी प्रतीक्षा बरसों से थी। बहुत सारे लोगों ने पत्र लिखकर, भारत के 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर, खुशी जाहिर की। अनेक लोगों ने मुझे G20 Summit की सफलता याद दिलाई। साथियो, आज भारत का कोना-कोना, आत्मविश्वास से भरा हुआ है, विकसित भारत की भावना से, आत्मनिर्भरता की भावना से, ओत-प्रोत है। 2024 में भी हमें इसी भावना और momentum को बनाए रखना है। दिवाली पर record कारोबार ने ये साबित किया कि हर भारतीय ‘Vocal For Local’ के मंत्र को महत्व दे रहा है।
साथियों, जब नाटू-नाटू को Oscar मिला तो पूरा देश खुशी से झूम उठा। ‘The Elephant Whisperers’ को सम्मान की बात जब सुनी तो कौन खुश नहीं हुआ। इनके माध्यम से दुनिया ने भारत की creativity को देखा और पर्यावरण के साथ हमारे जुड़ाव को समझा। इस साल sports में भी हमारे एथलीटों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। Asian Games में हमारे खिलाड़ियों ने 107 और Asian Para Games में 111 medal जीते। Cricket World Cup में भारतीय खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से सबका दिल जीत लिया। Under-19 T-20 World Cup में हमारी महिला क्रिकेट टीम की जीत बहुत प्रेरित करने वाली है। कई खेलों में खिलाड़ियों की उपलब्धियों ने देश का नाम बढ़ाया। अब 2024 में Paris Olympic का आयोजन होगा, जिसके लिए पूरा देश अपने खिलाड़ियों का हौसला बढ़ा रहा है।
साथियों, जब भी हमने मिलकर प्रयास किया, हमारे देश की विकास यात्रा पर बहुत सकारात्मक प्रभाव हुआ। हमने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और ‘मेरी माटी मेरा देश’ ऐसे सफल अभियान का अनुभव किया। इसमें करोड़ों लोगों की भागीदारी के हम सब साक्षी हैं। 70 हज़ार अमृत सरोवरों का निर्माण भी हमारी सामूहिक उपलब्धि है|
साथियों, मेरा ये विश्वास रहा है कि जो देश Innovation को महत्व नहीं देता, उसका विकास रुक जाता है। भारत का Innovation Hub बनना, इस बात का प्रतीक है कि हम रुकने वाले नहीं हैं। 2015 में हम Global Innovation Index में 81वें rank पर थे – आज हमारी rank 40 है। इस वर्ष भारत में फाइल होने वाले patents की संख्या ज्यादा रही है, जिसमें करीब 60% domestic funds के थे। QS Asia University Ranking में इस बार सबसे अधिक संख्या में भारतीय university शामिल हुई है। अगर इन उपलब्धियों की list बनाना शुरू करें तो ये कभी पूरी ही नहीं होगी। ये तो सिर्फ झलक है, भारत का सामर्थ्य कितना प्रभावी है – हमें देश की इन सफलताओं से, देश के लोगों की इन उपलब्धियों से, प्रेरणा लेनी है, गर्व करना है, नए संकल्प लेने हैं। मैं एक बार फिर, आप सबको, 2024 की शुभकामनाएं देता हूँ।
मेरे परिवारजनों, हमने अभी भारत को लेकर हर तरफ जो आशा और उत्साह है उसकी चर्चा की – ये आशा और उम्मीद बहुत अच्छी है। जब भारत विकसित होगा तो इसका सबसे अधिक लाभ युवाओं को ही होगा। लेकिन युवाओं को इसका लाभ तब और ज्यादा मिलेगा, जब वो Fit होंगे। आजकल हम देखते हैं कि Lifestyle related Diseases के बारे में कितनी बातें होती हैं, यह हम सभी के लिए, खासकर युवाओं के लिए, ज्यादा चिंता की बात है। इस ‘मन की बात’ के लिए मैंने आप सभी से Fit India से जुड़े Input भेजने का आग्रह किया था। आप लोगों ने जो Response दिया, उसने मुझे उत्साह से भर दिया है। NaMo App पर बड़ी संख्या में मुझे Startups ने भी अपने सुझाव भेजे हैं, उन्होंने, अपने कई तरह के अनूठे प्रयासों की चर्चा की है।
साथियों, भारत के प्रयास से 2023 को International Year of Millets के रूप में मनाया गया। इससे इस क्षेत्र में काम करने वाले Startups को बहुत सारे अवसर मिले हैं, इनमें, लखनऊ से शुरू हुए ‘कीरोज फूड्स’ प्रयागराज के ‘Grand-Maa Millets’ और ‘Nutraceutical Rich Organic India’ जैसे कई Start-up शामिल हैं। Alpino Health Foods’ ‘Arboreal’ और ‘Keeros Food’ से जुड़े युवा healthy food के options को लेकर नए-नए Innovation भी कर रहे हैं। बेंगलुरु के Unbox Health से जुड़े युवाओं ने ये भी बताया है, कि कैसे, वे, लोगों को उनकी पसंदीदा Diet चुनने में मदद कर रहे हैं। Physical Health को लेकर दिलचस्पी जिस तरह से बढ़ रही है, उससे इस क्षेत्र से जुड़े Coaches और Trainers की Demand भी बढ़ रही है। ‘JOGO technologies’ जैसे Startups इस मांग को पूरा करने में मदद कर रहे हैं।
साथियों, आज Physical Health और well-being की चर्चा तो खूब होती है, लेकिन इससे जुड़ा एक और बड़ा पहलू है Mental Health का। मुझे यह जानकार बहुत ख़ुशी हुई है कि मुंबई के ‘इन्फ़ी-हील’, और ‘YourDost’ जैसे Startups, Mental Health और Well-being को Improve करने के लिए काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं, आज इसके लिए Artificial Intelligence जैसी Technology का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। साथियो, मैं यहाँ कुछ ही Startups का नाम ले सकता हूँ, क्योंकि, List बहुत लम्बी है। मैं आप सभी से आग्रह करूँगा कि Fit India के सपने को साकार करने की दिशा में innovative Health care Startups के बारे में मुझे जरुर लिखते रहें। मैं आपके साथ Physical और Mental Health के बारे में बात करने वाले जाने-माने लोगों के अनुभव भी साझा करना चाहता हूं।
मेरे परिवारजनों, कुछ दिन पहले काशी में एक Experiment हुआ था, जिसे मैं ‘मन की बात’ के श्रोताओं को जरुर बताना चाहता हूँ। आप जानते हैं कि काशी-तमिल संगमम में हिस्सा लेने के लिए हजारों लोग तमिलनाडु से काशी पहुंचे थे। वहां मैंने उन लोगों से संवाद के लिए Artificial Intelligence AI Tool भाषिणी का सार्वजनिक रूप से पहली बार उपयोग किया। मैं मंच से हिंदी में संबोधन कर रहा था लेकिन AI Tool भाषिणी की वजह से वहां मौजूद तमिलनाडु के लोगों को मेरा वही संबोधन उसी समय तमिल भाषा में सुनाई दे रहा था। काशी-तमिल संगमम में आए लोग इस प्रयोग से बहुत उत्साहित दिखे। वो दिन दूर नहीं जब किसी एक भाषा में संबोधन हुआ करेगा और जनता Real Time में उसी भाषण को अपनी भाषा में सुना करेगी। ऐसा ही फिल्मों के साथ भी होगा जब जनता सिनेमा हॉल में AI की मदद से Real Time Translation सुना करेगी। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जब ये Technology हमारे स्कूलों, हमारे अस्पतालों, हमारी अदालतों में व्यापक रूप से इस्तेमाल होने लगेगी, तो कितना बड़ा परिवर्तन आएगा। मैं आज की युवा-पीढ़ी से आग्रह करूँगा कि Real Time Translation से जुड़े AI Tools को और Explore करें, उन्हें 100% Full Proof बनाएं।
साथियों, बदलते हुए समय में हमें अपनी भाषाएँ बचानी भी हैं और उनका संवर्धन भी करना है। अब मैं आपको झारखंड के एक आदिवासी गांव के बारे में बताना चाहता हूँ। इस गांव ने अपने बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने के लिए एक अनूठी पहल की है। गढ़वा जिले के मंगलो गांव में बच्चों को कुडुख भाषा में शिक्षा दी जा रही है। इस स्कूल का नाम है, ‘कार्तिक उराँव आदिवासी कुडुख स्कूल’। इस स्कूल में 300 आदिवासी बच्चे पढ़ते हैं। कुडुख भाषा, उरांव आदिवासी समुदाय की मातृभाषा है। कुडुख भाषा की अपनी लिपि भी है, जिसे ‘तोलंग सिकी’ नाम से जाना जाता है। ये भाषा धीरे-धीरे विलुप्त होती जा रही थी, जिसे बचाने के लिए इस समुदाय ने अपनी भाषा में बच्चों को शिक्षा देने का फैसला किया है। इस स्कूल को शुरु करने वाले अरविन्द उरांव कहते हैं कि आदिवासी बच्चों को अंग्रेजी भाषा में दिक्कत आती थी इसलिए उन्होंने गांव के बच्चों को अपनी मातृभाषा में पढ़ाना शुरू कर दिया। उनके इस प्रयास से बेहतर परिणाम मिलने लगे तो गांव वाले भी उनके साथ जुड़ गए। अपनी भाषा में पढ़ाई की वजह से बच्चों के सीखने की गति भी तेज हो गई। हमारे देश में कई बच्चे भाषा की मुश्किलों की वजह से पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते थे। ऐसी परेशानियों को दूर करने में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से भी मदद मिल रही है। हमारा प्रयास है कि भाषा, किसी भी बच्चे की शिक्षा और प्रगति में बाधा नहीं बननी चाहिए।
साथियों, हमारी भारतभूमि को हर कालखंड में देश की विलक्षण बेटियों ने गौरव से भर दिया है। सावित्रीबाई फुले जी और रानी वेलु नाचियार जी देश की ऐसी ही दो विभूतियाँ हैं। उनका व्यक्तित्व ऐसे प्रकाश स्तम्भ की तरह है, जो हर युग में नारी शक्ति को आगे बढ़ाने का मार्ग दिखाता रहेगा। आज से कुछ ही दिनों बाद, 3 जनवरी को हम सभी इन दोनों की जन्म-जयंती मनाएंगे। सावित्रीबाई फुले जी का नाम आते ही सबसे पहले शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में उनका योगदान हमारे सामने आता है। वे हमेशा महिलाओं और वंचितों की शिक्षा के लिए जोरदार तरीके से आवाज उठाती रहीं। वे अपने समय से बहुत आगे थीं और उन गलत प्रथाओं के विरोध में हमेशा मुखर रहीं। शिक्षा से समाज के सशक्तिकरण पर उनका गहरा विश्वास था। महात्मा फुले जी के साथ मिलकर उन्होंने बेटियों के लिए कई स्कूल शुरू किए। उनकी कवितायें लोगों में जागरूकता बढ़ाने और आत्मविश्वास भरने वाली होती थीं। लोगों से हमेशा उनका यह आग्रह रहा कि वे जरुरत में एक-दूसरे की मदद करें और प्रकृति के साथ भी समरसता से रहें। वे कितनी दयालु थीं, इसे शब्दों में नहीं समेटा जा सकता। जब महाराष्ट्र में अकाल पड़ा तो सावित्रीबाई और महात्मा फुले ने जरुरतमंदों की मदद के लिए अपने घरों के दरवाजे खोल दिए। सामाजिक न्याय का ऐसा उदाहरण विरले ही देखने को मिलता है। जब वहां प्लेग का भय व्याप्त था तो उन्होंने खुद को लोगों की सेवा में झोंक दिया। इस दौरान वे खुद इस बीमारी की चपेट में आ गईं। मानवता को समर्पित उनका जीवन आज भी हम सभी को प्रेरित कर रहा है।
साथियों, विदेशी शासन के खिलाफ़ संघर्ष करने वाली देश की कई महान विभूतियों में से एक नाम रानी वेलु नाचियार का भी है। तमिलनाडु के मेरे भाई-बहन आज भी उन्हें वीरा मंगई यानि वीर नारी के नाम से याद करते हैं। अंग्रेजों के खिलाफ़ रानी वेलु नाचियार जिस बहादुरी से लड़ीं और जो पराक्रम दिखाया, वो बहुत ही प्रेरित करने वाला है। अंग्रेजों ने शिवगंगा साम्राज्य पर हमले के दौरान उनके पति की हत्या कर दी थी, जो वहां के राजा थे। रानी वेलु नाचियार और उनकी बेटी किसी तरह दुश्मनों से बच निकली थीं। वे संगठन बनाने और मरुदु Brothers यानि अपने कमांडरों के साथ सेना तैयार करने में कई सालों तक जुटी रहीं। उन्होंने पूरी तैयारी के साथ अंग्रेजों के खिलाफ़ युद्ध शुरू किया और बहुत ही हिम्मत और संकल्प-शक्ति के साथ लड़ाई लड़ी। रानी वेलु नाचियार का नाम उन लोगों में शामिल है जिन्होंने अपनी सेना में पहली बार All-Women Group बनाया था। मैं इन दोनों वीरांगनाओं को श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ।
मेरे परिवारजनों, गुजरात में डायरा की परंपरा है। रात भर हजारों लोग डायरा में शामिल हो करके मनोरंजन के साथ ज्ञान को अर्जित करते हैं। इस डायरा में लोक संगीत, लोक साहित्य और हास्य की त्रिवेणी, हर किसी के मन को आनंद से भर देती है। इस डायरा के एक प्रसिद्द कलाकार हैं भाई जगदीश त्रिवेदी जी। हास्य कलाकार के रूप में भाई जगदीश त्रिवेदी जी ने 30 साल से भी ज्यादा समय से अपना प्रभाव जमा रखा है। हाल ही में भाई जगदीश त्रिवेदी जी का मुझे एक पत्र मिला और साथ में उन्होंने अपनी एक किताब भी भेजी है। किताब का नाम है – Social Audit of Social Service (सोशल ऑडिट ऑफ़ सोशल सर्विस)। ये किताब बड़ी अनूठी है। इसमें हिसाब किताब है, ये किताब एक तरह की Balance Sheet है। पिछले 6 सालों में भाई जगदीश त्रिवेदी जी को किस-किस कार्यक्रम से कितनी आय हुई और वो कहाँ-कहाँ खर्च हुआ, इसका पूरा लेखा-जोखा किताब में है। ये Balance Sheet इसलिए अनोखी है क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी आय, एक-एक रुपया समाज के लिए – School, Hospital, Library, दिव्यांग जनों से जुड़ी संस्थाओं, समाज सेवा में खर्च कर दिया – पूरे 6 साल का हिसाब है। जैसे किताब में एक स्थान पर लिखा है 2022 में उनको अपने कार्यक्रमों से आय हुई दो करोड़ पैंतीस लाख उन्यासी हजार छः सौ चौहत्तर रूपए। और उन्होंने School, Hospital, Library पर खर्च किये दो करोड़ पैंतीस लाख उन्यासी हजार छः सौ चौहत्तर रूपए। उन्होंने एक रुपया भी अपने पास नहीं रखा। दरअसल इसके पीछे भी एक दिलचस्प वाकया है। हुआ यूं कि एक बार भाई जगदीश त्रिवेदी जी ने कहा कि जब 2017 में वो 50 साल के हो जाएंगे तो उसके बाद उनके कार्यक्रमों से होने वाली आय को वो घर नहीं ले जाएंगे बल्कि समाज पर खर्च करेंगे। 2017 के बाद से अब तक, वो लगभग पौने नौ करोड़ रूपए अलग-अलग सामाजिक कार्यों पर खर्च कर चुके हैं। एक हास्य कलाकार, अपनी बातों से, हर किसी को हंसने के लिए मजबूर कर देता है। लेकिन वो भीतर, कितनी संवेदनाओं को जीता है, ये भाई जगदीश त्रिवेदी जी के जीवन से पता चलता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि उनके पास PhD की तीन डिग्रियां भी हैं। वो 75 किताबें लिख चुके हैं, जिनमें से कई पुस्तकों को सम्मान भी मिला है। उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। मैं भाई जगदीश त्रिवेदी जी को उनके सामाजिक कार्यों के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूँ।
मेरे परिवारजनों, अयोध्या में राम मंदिर को लेकर पूरे देश में उत्साह है, उमंग है। लोग अपनी भावनओं को अलग अलग तरह से व्यक्त कर रहे हैं। आपने देखा होगा, बीते कुछ दिनों में श्री राम और अयोध्या को लेकर कई सारे नए गीत, नए भजन, बनाये गए हैं। बहुत से लोग नई कविताएं भी लिख रहे हैं। इसमें बड़े-बड़े अनुभवी कलाकार भी हैं तो नए उभरते युवा साथियों ने भी मन को मोह लेने वाले भजनों की रचना की है। कुछ गीतों और भजनों को तो मैंने भी अपने social media पर share किया है। ऐसा लगता है कि कला जगत अपनी अनूठी शैली में इस ऐतिहासिक क्षण का सहभागी बन रहा है। मेरे मन में एक बात आ रही है कि क्या हम सभी लोग ऐसी सारी रचनाओं को एक common hash tag के साथ share करें। मेरा आपसे अनुरोध है कि हैशटैग श्री राम भजन (#shriRamBhajan) के साथ आप अपनी रचनाओं को social media पर share करें। ये संकलन, भावों का, भक्ति का, ऐसा प्रवाह बनेगा जिसमें हर कोई राम-मय हो जाएगा।
मेरे प्यारे देशवासियों, आज ‘मन की बात’ में मेरे साथ बस इतना ही। 2024 अब कुछ ही घंटे दूर है। भारत की उपलब्धियां, हर भारतवासी की उपलब्धि है। हमें पंच प्राणों का ध्यान रखते हुए भारत के विकास के लिए निरंतर जुटे रहना है। हम कोई भी काम करें, कोई भी फैसला लें, हमारी सबसे पहली कसौटी यही होनी चाहिए कि इससे देश को क्या मिलेगा, इससे देश का क्या लाभ होगा। राष्ट्र प्रथम – Nation First इससे बड़ा कोई मंत्र नहीं। इसी मंत्र पर चलते हुए हम भारतीय, अपने देश को विकसित बनाएंगे, आत्मनिर्भर बनाएंगे। आप सभी 2024 में सफलताओं की नई ऊंचाई पर पहुंचे, आप सभी स्वस्थ रहें, fit रहें, खूब आनंद से रहें – मेरी यही प्रार्थना है। 2024 में हम फिर एक बार देश के लोगों की नई उपलब्धियों पर चर्चा करेंगे। बहुत बहुत धन्यवाद।