चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक उतारने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक और इतिहास रच दिया। उत्साह से लबरेज राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने आज आदित्य-एल1 मिशन की सफल लॉन्चिंग की। इस मिशन का उद्देश्य सूर्य का अध्ययन करना है।
चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता के बाद दुनिया की नजर आदित्य-एल1 मिशन पर है। आदित्य-एल1 क्या है? लॉन्चिंग के बाद मिशन अपने गंतव्य पर कब पहुंचेगा? इस दौरान प्रक्रियाएं क्या-क्या होंगी? पहुंचने के बाद मिशन क्या-क्या करेगा? आइए समझते हैं…
आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाला मिशन है। इसके साथ ही इसरो ने इसे पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन कहा है। आदित्य-L1 का प्रक्षेपण आज सुबह 11:50 बजे किया गया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से आदित्य एल1 का प्रक्षेपण किया गया। भारत का आदित्य एल1 अभियान सूर्य की अदृश्य किरणों और सौर विस्फोट से निकली ऊर्जा के रहस्य सुलझाएगा।
अंतरिक्ष यान को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंजियन बिंदु 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने की योजना है जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है। दरअसल, लैग्रेंजियन बिंदु वे बिंदु हैं जहां दो वस्तुओं के बीच कार्य करने वाले सभी गुरुत्वाकर्षण बल एक-दूसरे को निष्प्रभावी कर देते हैं। इस वजह से एल1 बिंदु का उपयोग अंतरिक्ष यान के उड़ने के लिए किया जा सकता है।