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पहली बार अयोध्या देखी तो मेरा युवा मन बहुत व्यथित हो गया…सीएम ने साझा की युवावस्था से जुड़ीं यादें

राम जन्मभूमि का आंदोलन चरम पर था। तब पहली बार मुझे अयोध्या जाने का अवसर प्राप्त हुआ। मेरे मन में अयोध्या को लेकर जो कल्पना थी, वहां के दृश्य देखकर मुझे बहुत निराशा और दुख हुआ। हर तरफ पुलिस, सबकुछ बिखरा हुआ, इन चित्रों ने मेरे युवा मन को व्यथा से भर दिया। मन में प्रश्न उठ रहा था कि कब बनेगा भगवान राम का भव्य मंदिर।

अंतर्मन से उत्तर पर आ रहा था कि समय के साथ यह सपना भी साकार होगा। सौभाग्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वह सपना भी साकार होने जा रहा है। मैं उस समय लखनऊ में था। युवावस्था के उस दौर में मेरे कंधों पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की जिम्मेदारी थी। हम विद्यार्थियों की समस्याओं और मुद्दों को उठाने के साथ राम जन्मभूमि आंदोलन की गतिविधियों को भी देखते और समझते थे। बहुत चाह थी कि एक बार अयोध्या हो आएं।

आखिर वह समय भी आ गया। लेकिन जब अयोध्या स्टेशन पर उतरा तो बाहर देखकर व्यथित हो गया। खुद से प्रश्न किया, क्या ये अयोध्या है? सब बिखरा हुआ। हर जगह पुलिस। मुझे तब और भी बुरा लगा जब मैंने रामलला के दर्शन किए। वह टैंट के नीचे विराजमान थे। मैं भावुक हो गया।

मैं मुख्य सेवक के रूप में अयोध्या गया था
फिर कई वर्षों बाद मुझे दोबारा अयोध्या जाने का अवसर मिला। इस बार मैं मुख्य सेवक के रूप में अयोध्या गया था। तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ चुका था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रामलला जन्म स्थान में विराजमान हो गए थे। मेरा मन आह्लादित हो गया। लगा अब तो बड़ा काम हो गया। खुशी चौगुनी हो गई जब प्रधानमंत्री ने अयोध्या में भगवान राम के भव्य और दिव्य मंदिर का खाका सामने रखा। तब आरंभ में ऐसा जरूर लगा कि अभी भव्य मंदिर बनने में बहुत समय लगेगा।

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