International Desk। डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) के बीच हुई तीखी झड़प के बाद विश्व राजनय (World Diplomacy) में खलबली मची हुई है। विश्व राजनीति (World Politics) में रूचि रखने वाले लोगों को वर्ष 1971 की एक घटना याद आ रही है। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Prime Minister Indira Gandhi) अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन (Richard Nixon) से व्हाइट हाउस (White House) में बैठक कर रही थी। निक्सन ने इंदिरा गांधी को उचित सम्मान नहीं दिया। इंदिरा गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति को ऐसा करारा जवाब दिया था की पूरा विश्व सन्न रह गया था। जवाब देने के बाद इंदिरा गांधी व्हाइट हाउस से निकल आई थी।
गौरतलब है कि वर्ष 1971 में अमेरिका खुलकर पाकिस्तान का समर्थन करता था। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांगलादेश) मामले पर कहा था कि अगर भारत पाकिस्तान के मामले में उसकी नाक में उंगली करेगा तो अमेरिका अपनी आंख नहीं फेर लेगा। भारत को सबक सिखाया जाएगा। उसके बाद भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के साथ बैठकर, आंखों से आंख मिलाकर कहा था, ‘भारत अमेरिका को दोस्त मानता है। बॉस नहीं। भारत अपनी किस्मत खुद लिखने में सक्षम है। हम जानते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार प्रत्येक के साथ कैसे व्यवहार करना है।
अमरीका के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) और सेक्रेटरी आफ स्टेट हेनरी किसिंजर ने अपनी आत्मकथा में इस घटना को दर्ज़ किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति को सख्त जवाब देने के बाद इंदिरा गांधी ने भारत-अमेरिका संयुक्त प्रेसवार्ता को रद्द कर व्हाइट हाउस से चली गईं थीं। उस दौरान किसिंजर ने इंदिरा गांधी को उनकी कार में छोड़ते हुए कहा था क़ि मैडम प्रधानमंत्री, आप को नहीं लगता है कि आप को राष्ट्रपति के साथ थोड़ा और धैर्य के साथ काम लेना चाहिए था’ । इंदिरा गांधी ने जवाब दिया कि धन्यवाद, श्रीमान सचिव, आपके बहुमूल्य सुझाव के लिए। एक विकासशील देश होने के नाते हमारी रीढ़ सीधी है और सभी अत्याचारों से लड़ने के लिए पर्याप्त इच्छाशक्ति और संसाधन हैं। इंदिरा गांधी ने आगे कहा कि हम साबित करेंगे कि वे दिन लद गए जब हजारों मील दूर बैठी कोई शक्ति किसी भी राष्ट्र पर शासन करती है।
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उस घटना के बाद इंदिरा गांधी अमेरिका से वापस भारत आ गयी। दिल्ली पहुँचने के बाद इंदिरा गांधी ने विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को तुरंत अपने आवास पर बुलाया और दोनों नेताओं के बीच बंद दरवाजों के पीछे एक घंटे तक वार्ता हुई। बाद में पता चला कि वाजपेयी संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र में भारत का झंडा बुलंद किया।