Breaking News

किसानों के समर्थन में आखिर कवि क्यों नहीं आ रहे, ‘कविशाला टॉक’ में बोले पंकज प्रसून

हमेशा से कवि और लेखक देश और समाज को विशेष वर्ग होता जिसने समाज के हर मुद्दे और समस्या पर आवाज उठायी है। देश की स्वतंत्रता की लड़ाई से लेकर अंदरूनी लड़ाइयों में कवियों और लेखको की अहम् भूमिका रही है। कविशाला टॉक के छठवें सीजन के तीसरे सत्र में अंकुर मिश्रा ने देश के प्रतिष्ठित हास्य कवि और व्यंगकार पंकज प्रसून ने बातचीत की और अनेक अहम् मुद्दों पर विचार विमर्श किया! पंकज प्रसून ने कहा, ‘आज की जो कवियों और लेखकों आवाज है उसको देखते हुए लगता है कहीं गोपाल दास नीरज जी की ‘मानव होना भाग्य है, कवि होना सौभाग्य’ पंक्ति मानव होना भाग्य है, कवि होना दुर्भाग्य’ में न बदल जाये।

किसानो की समस्या  सबसे अहम् समस्या है और देश के हर मुद्दों पर आवाज उठाने वाले कवि और लेखक शांत हैं! किसी भी कवि या लेखक में क्या इतनी समझ नहीं है, की इन मुद्दों पर उनको आवाज उठानी चाहिए? ‘दुष्यंत कुमार और अदम गोंडवी से लेकर सभी ने देश की हर समस्या पर सवाल उठाया है और जन आंदलनों का हिस्सा बनकर जनता की आवाज उठायी है। कविशाला टॉक में पंकज प्रसून ने कहा की आज के कवि लेखक राजनैतिक दलों के संवाददाता बनते चले जा रहे है जो की देश के लिए बड़ी समस्या है।

पंकज प्रसून ने कहा कि जवान देश की सरहद पर शहीद हो हो जाता है तो उसको तिरंगे में लपेट कर राजकीय सम्मान के साथ उसकी अंतिम यात्रा निकाली जाती है। परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाती है, तमाम सारी सरकारी सुविधाएं भी दी जाती हैं, लेकिन 100 से ज्यादा किसान प्रदेश की सरहद पर शहीद हो चुके हैं, क्या मिला उनको। देश द्रोही या खालिस्तानी का तमगा। आज जय जवान जय किसान का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री की आत्मा ज़रूर रो रही होगी।

उन्होंने कहा कि व्यंग्य लिखना आज के दौर में चुनौती का कार्य है। व्यंग्य व्यवस्था को लेकर लिखा जाता है। आजकल लिख दो व्यवस्थापको के चेहरों पर मुस्कान कम क्रोध का भाव अधिक आता है। ऐसा पहले नहीं होता था।

About Samar Saleel

Check Also

ऐशबाग-सीतापुर रेलखण्ड के मध्य चलाया गया संरक्षा जागरूकता अभियान

लखनऊ। पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मण्डल में संरक्षा के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य हेतु मण्डल ...