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राजा भैया : प्रदेश की राजनीति में कुंडा गढ़ेगा इतिहास!

लखनऊ। प्रदेश की राजनीति में भूचाल मचाते हुए कुंडा नरेश रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने शुक्रवार को राजधानी लखनऊ में एक नया इतिहास गढ़ सभी राजनीतिक दलों को चौंका दिया। वर्ष 1993 में महज 26 साल की उम्र में कुंडा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतरे राजा भैया इतनी लम्बी राजनैतिक पारी खेलेंगे ये किसी को एहसास नहीं रहा होगा। रमाबाई मैदान में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, उत्तराखंड, गुजरात और महाराष्ट्र के समर्थक ही नहीं बल्कि कई देशों के क्षत्रपों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। अपने राजनीतिक जीवन के सिल्वर जुबली के अवसर पर रघुराज प्रताप सिंह ने राजनीतिक पार्टी के गठन का ऐलान कर सबको चौंका दिया। कहने वालों ने तो यहां तक कह डाला कि राजधानी के इतिहास में शायद ही इतनी भीड़ रमाबाई मैदान में एकत्र होप पायेगी।

raja bhaiya rally

पार्टी गरीब किसान और मजदूर के लिए समर्पित : राजा भैया

मंच से रैली में उपस्थित समर्थकों को धन्यवाद देते हुए राजा भैया ने कहा, चुनाव आयोग में नई पार्टी के गठन के लिए तीन नाम जनसत्ता दल, जनसत्ता पार्टी और लोक जनसत्ता पार्टी दिए गए हैं। उन्होंने के कहा पार्टी का नाम तय होने के बाद पार्टी का विस्तार किया जाएगा जिसके बाद पार्टी का मैनिफेस्टो जारी होगा। रघुराज ने कहा उनकी पार्टी गरीब किसान और मजदूर के लिए समर्पित रहेगी। उन्होंने जाति के आधार पर मुआवजा दिए जाने की बात का विरोध करते हुए कहा कि उत्पीड़न होने पर सवर्णों को भी मुआवजा मिलेगा।

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी सेना और अर्धसैनिक बल के जवानों के सीमा पर शहीद होने पर उनके परिवार को 1 करोड़ रुपये की सहायता राशि भी देगी। राजा ने कहा हम दलित विरोधी नहीं है, इसलिए हमारी पार्टी का प्रयास दलित और गैर दलित के बीच की बढ़ती खाई को समाप्त करना होगा। राजा भैया ने कहा,पूरे प्रदेश से लोग आए हैं उसके लिए सभी को धन्यवाद और विशेषतौर पर कुंडा के लोगों को क्योंकि यहां पर कुल 4 लाख 12 हजार वोटर होने के बावजूद हर बार यहां मेरे जितने का प्रतिशत बढ़ जाता है। कुंडा लिखने वाले अब इतिहास लिखेंगे ऐसी परिकल्पना किसी ने नहीं की थी,लेकिन अब ऐसा इतिहास लिखने जा रहा है।

क्षत्रप वोटों पर किसका अधिकार

गुर्बत के दिनों में जब राजा भैया को जब बसपा सुप्रीमो मायावती मिटाने में जुटी हुयी थी तब मुलायम सिंह यादव ने ही उनका साथ दिया था,जिसका वो आज भी एहसान मानते हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी की बागडोर संभालते ही राष्ट्रिय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्हें साइड लाइन कर दिया। इसके बाद से ही निर्दल विधायक राजा भैया द्वारा नई पार्टी बनाने की चर्चा राजनीतिक गलियारों में आम हो गयी। आज राजा भैया ने उस चर्चा पर अंतिम मुहर लगाते हुए सभी दलों को यह सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि क्षत्रप वोटों पर किसका अधिकार होगा।

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