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विश्व तंबाकू दिवस: तंबाकू को कहे बाय, जीवन को अपनाएं

  लाल बिहारी लाल

विश्व में तंबाकू सेवन से बढ़ते मरीज एंव युवा पीढी द्वारा असामयिक मौत के मद्दे नजर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सबसे पहले इस पर अपनी सक्रियता दिखाते हुए सन् 1987 में इसे महामारी घोषित किया और 15 मई 1987 को एक प्रस्ताव लाया जिसके कारण 7 अप्रैल 1988 को पहली बार इसके इस्तेमाल पर रोक लगाया गया।

सन 1989 में एक औऱ प्रस्ताव लाया गया जिसके तहत 17 मई 1989 को इसे 31 मई को तंबाकु निषेध दिवस के रुप में मनाने के लिए स्वीक़ति दी गई। तभी से हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाते आ रहे है। इसका मकसद यही होता है कि लोग अपने स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति जागरूक हों और सेहत को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों से दूरी बनाएं। इस दिन लोगों को तंबाकू के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जाता है और इसके शरीर पर पड़ने वाले जानलेवा प्रभावों के बारे में बताया जाता है । ऐसे समय में जब घातक कोरोना वायरस हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रहा है तो तंबाकू सेवन से बचना चाहिये। सिगरेट में निकोटिन सहित सैकड़ों हानिकारक तत्व मौजूद होते है। जो नरवस सिस्टम को क्षतिग्रस्त करते है औऱ हमें मृत्यु, और निराशा की ओर ले जाते है।

तंबाकू यानी पान, गुटका, सिगरेट खैनी आदि के सेवन से घातक रोग- दाँत, फेफड़ा, दिल(ह़दय) औऱ मुँह के कैंसर से पूरी दुनिया में हल साल 70 लाख से ज्यादा लोग काल के गाल में समा जाते है। भारत की बात करें तो 27 करोड़ लोग सेवन करते है औऱ लगभग 2700 लोग प्रति दिन काल के गाल में समा जाते है।

एक सिगरेट पीने से 11 मिनट जीवन का समय कम हो जाता है और इससे हर 10 मरने वालों में एक की संख्या तंबाकू का सेवन ही है। इसलिए तब यह और भी जरूरी हो जाता है कि हम अपनी सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए कुछ अहम कदम उठाएं औऱ तंबाकू को आज ही कहे बाय-बाय। इसके लिए जरुरी है कि दृढ़ इच्छाशक्ति होना चाहिये, अपने को ब्यस्त रखना, गुटके स्थान पर किसमिस,सौंफ या इलायची का तलब के समय प्रयोग करना।

इस जागरुकता से समाज में काफी सुधार हुआ है। 1995 में लगभग 37.6% धुम्रपान करने वाले लोगों की संख्या में कमी आयी है जबकि 2006 में ये 20.8% है। औऱ यह आकड़ा अब 20 % से भी कम हो गया है। आज जरुरी है कि धुम्रपान छोड़े और जिंदगी से नाता जोड़ें।

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