यानी मद्रास रबर फैक्ट्री, इस कंपनी के एक शेयर की कीमत 1 लाख रुपये से ज्यादा है और यह भारतीय शेयर बाजार में लिस्टेड सबसे महंगा शेयर है. ऐसे में इस स्टॉक को खरीदना आम निवेशक के बस की बात नहीं है.
एमआरएफ के अलावा और भी कई शेयर हैं जिनकी कीमत ज्यादा होने के चलते आम निवेशक उन्हें खरीद नहीं पाते हैं. लेकिन, आने वाले दिनों में महंगे शेयरों को आप टुकड़ों में भी खरीद सकेंगे. आइये बताते हैं कैसे?
दरअसल भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) भारत में फ्रैक्शनल ऑनरशिप की अवधारणा को पेश करने पर विचार कर रहा है, जिससे महंगे या उच्च कीमत वाले शेयर आम रिटेल निवेशकों की पहुंच में आ सके.
क्या है फ्रैक्शनल ट्रेडिंग
फ्रैक्शनल ट्रेडिंग एक ऐसा सिस्टम है जिसमें एक निवेशक किसी शेयर का एक अंश खरीद सकता है. मान लीजिये, आपको एमआरएफ का एक शेयर खरीदना है जिसकी वर्तमान कीमत लगभग ₹1.09 लाख है. ऐसे में आप इस महंगे शेयर में फ्रैक्शनल ऑनरशिप यानी आंशिक स्वामित्व ले सकते हैं. इसके तहत आप ₹25,000 देकर शेयर का एक-चौथाई हिस्सा प्राप्त कर सकते हैं.
भारतीय शेयर बाजार में कई कंपनियां ऐसी हैं जिनके शेयर की कीमतें 20,000 रुपये से ज्यादा है. इनमें पेज इंडस्ट्रीज (39,612 रुपये), हनीवेल ऑटोमेशन इंडिया (39,308 रुपये), श्री सीमेंट (25,681 रुपये), एबॉट इंडिया (22,800 रुपये) और नेस्ले इंडिया (21,922 रुपये) जैसे शेयर शामिल हैं. अगर फ्रैक्शनल ऑनरशिप को भारतीय शेयर बाजार में लागू किया जाता है तो इससे इन महंगे शेयरों में आंशिक हिस्सेदारी खरीदना निवेशकों के लिए आसान हो जाएगा.
अमेरिका में निवेशक खूब उठाते हैं लाभ
फ्रैक्शनल ऑनरशिप यानी आंशिक स्वामित्व का कॉनसेप्ट अमेरिकी बाजारों में पहले से मौजूद है. कई भारतीय निवेशकों ने ऐप्पल, मेटा और अल्फाबेट जैसी लोकप्रिय कंपनियों के महंगे शेयर आंशिक रूप से खरीदे हैं.
सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने मुंबई में ग्लोबल फिनटेक फोरम में बोलते हुए कहा कि फ्रैक्शनल ऑनरशिप जैसी व्यवस्था को लागू करने के लिए बाजार नियामक उत्सुक है लेकिन इसके लिए सेबी अधिनियम और कंपनी अधिनियम में बदलाव की आवश्यकता होगी.