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व्यापारियों द्वारा की जाने वाली हेराफेरी से देश को हुआ इतने हज़ार करोड़ का नुकसान…

व्यापारियों द्वारा बिलिंग में की जाने वाली हेराफेरी की वजह से हिंदुस्तान को 2016 में 13 अरब डॉलर (करीब 90,000 करोड़ रुपये) के राजस्व का नुकसान हुआ. अमेरिकी थिंक टैंक ग्लोबल फाइनेंशियल इंटिग्रिटी (जीएफआइ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक नुकसान की यह रकम 2016 में देश की कुल राजस्व वसूली का 5.5 फीसद है.जीएफआइ की रिपोर्ट में बोला गया है कि 2016 में राजस्व को संभावित नुकसान पहुंचाने के जोखिम वाले आयात में से दो-तिहाई आयात सिर्फ एक देश चाइना सेहुआ था. उस सालचाइना भारतीय आयात का सबसे बड़ा स्रोत था. ‘इंडिया : पोटेंशियल रिवेन्यू लॉसेज एसोसिएटेड विद टेड मिसइनवॉयसिंग’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में2016 के द्विपक्षीय व्यापार आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है. यह आखिरी साल है, जिसके लिए समुचित आंकड़े थिंक टैंक को मिल सके. इस रिपोर्ट को संयुक्तराष्ट्र (कॉमट्रेड) ने प्रकाशित किया है. रिपोर्ट में बोला गया है कि व्यापारियों द्वारा बिल में की जाने वाली हेराफेरी एक वास्तविकता है  इससे हिंदुस्तान सहित दूसरे सभी देश प्रभावित हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक देश से बाहर पैसा भेजने के लिए आयात के बिल में मूल्य को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया जा सकता है. इसी तरह से सीमाशुल्क या मूल्यवर्धित कर (वैट) का भुगतान करने से बचने के लिए आयात बिल में मूल्य को कम करके दिखाया जा सकता है. निर्यात के मुद्दे में भी बिल मेंइसी प्रकार से हेराफेरी की जाती है. देश से पैसा बाहर भेजने के लिए निर्यात बिल में बाहर भेजे जाने वाले उत्पादों की मूल्य को कम दिखाया जा सकता है. इसीतरह से निर्यात में मूल्य को अधिक दिखाकर वैट कर का रिक्लेम किया जा सकता है.

रिपोर्ट में बोला गया है कि इसके लिए चाहे जो भी उपाय प्रयोग किया जाए उसका अंतिम नतीजा यही होता है कि भारी मात्र में कर राजस्व की वसूली नहीं होपाती. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि हिंदुस्तान को अपने सभी सरकारों को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की एंटी-मनी लांडिंग सिफारिशों को पूरीतरह से लागू करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. यह कानून पहले से बने हुए हैं. इसे कड़ाई से लागू किए जाने की आवश्यकता है.

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