विदेश मंत्री एस जयशंकर अगले महीने चाइना की यात्रा करने वाले हैं. वह दोनों राष्ट्रों के बीच होने वाली दूसरी अनौपचारिक मुलाकात के लिए वहां जाकर जमीन तैयार करने का कार्यकरेंगे. चाइना के हिंदुस्तान में उपस्थित नए दूत ने बोला कि दोनों पक्ष अपने मतभेदों को दूर करने व दुनिया मंच पर योगदान को बढ़ाएंगे
माना जा रहा है कि जयशंकर अगस्त के मध्य में चाइना की यात्रा करेंगे. वह अपने चीनी समकक्ष वांग यी व अन्य अधिकारियों के साथ पीएम नरेंद्र मोदी व राष्ट्रपति शी जिनपिंग की दूसरी अनौपचारिक मुलाकात के लिए तैयारी करेंगे. मोदी व जिनपिंग की यह मुलाकात 11 अक्तूबर को होगी.
दोनों वैश्विक नेता मुलाकात के लिए तारीख पर तो सहमत हो गए हैं लेकिन अभी तक जगह का चयन नहीं हो पाया है. सुन एक वरिष्ठ दूत हैं. वह 2013-17 के दौरान पाक में चाइना के राजदूत रह चुके हैं. उन्होंने बोला कि चाइना हिंदुस्तान के साथ संबंधों को बहुत महत्व देता है व पिछले वर्ष वुहान में हुई पहली अनौपचारिक मुलाकात के कारण संबंध ट्रैक पर वापस आए.
उन्होंने कहा, ‘हमें मतभेदों को दूर करने की तुलना में अपने संबंधों को आकार देने के लिए अधिक पहल करनी होगी. मुझे लगता है कि हमारे पास योगदान के लिए बहुत क्षमता है वहमारे साझा हितों ने मतभेदों को दूर कर दिया है. इसलिए हमें योगदान पर ध्यान देने की जरूरत है. हमें पर्सनल मामलों को अपने द्वीपक्षीय संबंधों के आड़े आने देना नहीं चाहिए.‘
वुहान में अनौपचारिक मुलाकात एक ऐसे समय पर हुई थी जब 2017 में दोकलम में चाइना व इंडियन आर्मी आमने-सामने आ गई थी. इस मुलाकात ने दोनों राष्ट्रों के रिश्तों को सामान्य करने में मदद की थी. दोनों देश दूसरी मुलाकात को लेकर आशान्वित हैं. जिससे सुरक्षा से लेकर व्यापार व निवेश तक के क्षेत्रों में रिश्तों को अधिक से अधिक मजबूत बनाया जा सके.