हिंदुस्तान माता मंदिर, हरिद्वार के (87 साल) का मंगलवार (25 जून) को देहांत हो गया। जानकारी के मुताबिक, वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद महाराज के निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर शोक जताया है। बुधवार (26 जून) को राघव कुटीर में उन्हें भू-समाधि दी जाएगी।परम पूज्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी महाराज के निधन की समाचार से बहुत दुःख हुआ. वे सच्चे पथ-प्रदर्शक, गहन तपस्वी होने के साथ ज्ञान व आध्यात्मिक चेतना के प्रतीक थे.मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनका आशीर्वाद मिला. उनका ज़िंदगी हमें नि:स्वार्थ भाव से समाज सेवा की प्रेरणा देता है.
2015 में शंकराचार्य स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी को पदम भूषण से सम्मानित किया गया था। 19 सिंतबर, 1932 को आगरा में जन्मे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि जी जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के गुरु थे। राम जन्मभूमि आंदोलन में उनकी जरूरी किरदार थी। हिंदुस्तान माता मंदिर की स्थापना कर उन्होंने देश में समन्वय वादी सोच को नया आयाम दिया। उनके निधन से साधू-संतों में शोक की लहर है।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने 1983 में हरिद्वार में हिंदुस्तान माता मंदिर की स्थापना की थी। उन्होंने 65 से अधिक राष्ट्रों की यात्रा की थी। 29 अप्रैल 1960 अक्षय तृतीया के दिन 26 वर्ष की आयु में ज्योतिर्मठ भानपुरा पीठ पर जगद्गुरु शंकराचार्य पद पर उन्हें प्रतिष्ठित किया गया।
भानपुरा पीठ के शंकराचार्य के तौर पर करीब 9 वर्षों तक धर्म व मानव सेवा करने के बाद उन्होंने वर्ष 1969 में खुद को शंकराचार्य पद से मुक्त कर लिया था। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि मधुर भाषी ओजस्वी वक्ता स्वामी सत्यमित्रानंद महाराज कि हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि कई राष्ट्रों के देश अध्यक्षों से भी अच्छे संबंध थे व उनका सभी धर्मों के धर्माचार्य समान रूप से सम्मान करते थे।