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अगर आप में हैं ये योग्यताये तो बना सकते हैं इन क्षेत्रों में अपना करियर…

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सोमवार, 22 जुलाई को दोपहर 2.43 बजे अपने मून मिशन ‘चंद्रयान-2’ को लॉन्च करेगा. यह भारत का दूसरा चंद्रमा मिशन है. पहले चंद्रयान-2 बीते 15 जुलाई को लॉन्च किया जाने वाला था. लेकिन जीएसएलवी-एमके-3 के क्रायोजेनिक इंजन की हीलियम बॉटल में लीक होने के कारण इसे रोकना पड़ा था. वहीं, दूसरी तरह फिल्म मिशन मंगल का ट्रेलर भी जारी किया जा चुका है, जिसे लोगों से अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है. यह फिल्म इसरो के मॉम (MOM) मिशन पर आधारित है. ये सभी बातें बताती हैं कि बेशक हिंदुस्तान अंतरिक्ष विज्ञान में तेजी से आगे बढ़ रहा है. ऐसे में हिंदुस्तान सहित पूरी संसार में इस क्षेत्र में करियर की संभावनाओं का भी विस्तार हो रहा है.इसलिए महत्वपूर्ण है कि आप इस क्षेत्र के बारे में जानें. ताकि अपनी रुचि समझने के बाद इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए तैयार हो सकें. समझिए क्या है अंतरिक्ष विज्ञान  कैसे बना सकते हैं इसमें करियर

अंतरिक्ष विज्ञान अर्थात एस्ट्रोनॉमी ब्रह्मांड की खोज से जुड़ा विज्ञान है. इसमें पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर होने वाली आकाशीय गतिविधियों  उनके निर्माण आदि से संबंधित प्रक्रियाओं के बारे में अध्ययन किया जाता है. खास बात यह है कि इस क्षेत्र को भविष्य में चुनौतीपूर्ण  रोजगार उन्मुख करियर विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. भारत का अंतरिक्ष सफर बहुत ज्यादा आगे निकल चुका है और शीर्ष राष्ट्रों में हमारी गिनती हो रही है. 22 अक्तूबर, 2008 को पहले चंद्र मिशन के तहत हिंदुस्तान ने चंद्रयान-1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था. हिंदुस्तान की अंतरिक्ष गतिविधियां दिन प्रतिदिन दिन बढ़ती जा रही हैं. यह क्षेत्र जितना रोचक है, उतनी ही मेहनत की भी मांग करता है.

संभावनाएं
आप स्पेस साइंस के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर सकते हैं, जैसे- खगोल भौतिकी, गैलैक्टिक साइंस, स्टेलर साइंस, रिमोट सेंसिंग, जलविज्ञान, पृथ्वी विज्ञान, परग्रहीय जीवविज्ञान, एस्ट्रोनॉटिक्स, अंतिरक्ष नगरीकरण, जलवायु विज्ञान. इन सभी क्षेत्रों में अच्छी संभावनाएं हैं. इस क्षेत्र में अंतरिक्ष वैज्ञानिक के अतिरिक्त मौसम सेवाओं, पर्यावरण सिरानी, खगोल वैज्ञानिक अध्ययन के साथ भी जुड़ा जा सकता है.

  • स्पेस साइंस में करिअर बनाने के लिए आपको मैथ्स, फिजिक, केमेस्ट्री में ग्रेजुएट होना महत्वपूर्ण है.
  • कई यूनिवर्सिटी स्पेस साइंस में ग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट कोर्सेज भी करवाती हैं. कई संस्थानों में तो स्पेस साइंस को लेकर शोध भी किए जा रहे हैं.
  • इसरो में एमएससी, बीएससी, एमई  पीएचडी कर चुके स्टूडेंट्स के लिए बेहतरीन मौके हैं.
  • इसके अलावा, इसरों में बीएससी  डिप्लोमा कर चुके स्टूडेंट्स को भी एडमिशन मिलता है.
  • सैद्धांतिक खगोल विज्ञान या ऑब्जर्वेशंस में करिअर बनाने के लिए 10+2 के बाद बीएससी (फिजिक्स या मैथमेटिक्स) करना अच्छा रहेगा.
  • इसके बाद एस्ट्रोनॉमी में मास्टर्स लेवल का कोर्स, थ्योरीटिकल एस्ट्रोनॉमी के स्पेशलाइजेशन के साथ कर सकते हैं. यह कोर्स देश के चुनिंदा विश्वविद्यालयों  कुछ संस्थानों में उपलब्ध है.
  • अगर आप उपकरणीय या प्रायोगिक खगोल विज्ञान में करिअर बनाना चाहते हैं, तो 10+2 के बाद इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स या इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशंस में बीई कर सकते हैं.
  • खगोल विज्ञान में पीएचडी करने के लिए बीई के बाद जॉइंट एंट्रेंस स्क्रीनिंग टेस्ट (जेस्ट) पास करना होगा.
  • अंतरिक्ष के आकाशीय पिंडों से संबंधित तमाम पहलू अभी तक अनछुए हैं. इन पहलुओं पर लाइट डालने के हो रहे कोशिश रोजगारों की संभावनाएं पैदा करते हैं.
  • एस्ट्रोनॉमी में डिग्री हासिल करने वाले युवाओं के लिए जॉब की तकरीबन गारंटी होती है. इस विषय के डिग्रीधारक सरकारी सेवाओं, व्यक्तिगत क्षेत्र, अध्यापन, रिसर्च या अंतरिक्ष वैज्ञानिक के रूप में न सिर्फ जॉब पा सकते हैं, बल्कि कामयाबी का इतिहास भी लिख सकते हैं.
  • एस्ट्रोनॉमी के पेशेवर उपकरण निर्माण के साथ-साथ डेटा विश्लेषण व कंप्यूटर विशेषज्ञता पर आधारित कई तरह के रोजगार पा सकते हैं.
  • आप वाणिज्यिक  गैर वाणिज्यिक अनुसंधान, विकास एंव शोध प्रयोगशालाओं, वेधशालाओं, तारामंडल या साइंस पार्क समेत ऐसी अन्य जगहों पर भी जॉब पा सकते हैं.
  • अध्यापन एवं शोध में भी इस क्षेत्र में जॉब की अपार संभावनाएं हैं.

उभरता क्षेत्र :आने वाले समय में इस क्षेत्र को संभावनाओं का भंडार माने जाने के कई कारण हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, भारत को चाइना  कनाडा के माइक्रो सैटेलाइट विकसित करने के बाद अंतरिक्ष युद्ध की बढ़ती संभावनाओं से निपटने के लिए बेहतर तकनीकी ईजाद करनी होंगी.
भविष्य में यही अंतरिक्ष तकनीक सुरक्षा की गारंटी बनेगी. हिंदुस्तान ने इसके विभिन्न पहलुओं मसलन दूरसंचार, मौसम विज्ञान संबंधी सेवाएं, जल संसाधन, खनिज एवं वातावरण निगरानी, टेलीविजन प्रसारण आदि में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं.

 

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