अमरीका व ईरान के बीच गहराते तनाव को लेकर तीसरे विश्वयुद्ध की आशंकाएं बढ़ने लगी है. हालांकि संसार के कई देश इसे एक अल्पकालिक तनाव मान रहे हैं. इन सबके बीच बीते दिनों राष्ट्रपति ट्रंप के निर्णय को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.बीते गुरुवार को ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने एक अमरीकी ड्रोन को मार गिराया, जिसके बाद अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सैन्य कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए.
हालांकि हमले से 10 मिनट पहले ट्रंप ने अपना निर्णय वापस ले लिया. इसके लिए बाद में ट्रंप ने कारण भी बताया. इसके बाद अमरीका ने कार्रवाई करते हुए ईरान पर साइबर अटैक का दावा किया. बीते एक हफ्ता में अमरीका व ईरान के बीच हुई घटनाओं ने कई सवाल को जन्म दिया है. इसमें सबसे जरूरी है ट्रंप का अपना निर्णय वापस लेना क्या राजनीतिक चाल है?
2020 में होगा अमरीकी राष्ट्रपति का चुनाव
दरअसल, 2020 में अमरीका में राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है. ऐसे में ट्रंप के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि वह अपने दूसरे कार्यकाल के लिए मजबूत दावेदारी पेश करें.
राजनीतिज्ञ मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप ने आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए ईरान पर हमले का निर्णय बदल दिया. क्योंकि यदि ईरान पर अमरीकी हमला होता तो ईरान भी पलटकर जवाब दे सकता था. ऐसे में अमरीका को भारी आर्थिक नुकसान का खतरा था.
आर्थिक खतरे को देखते हुए डेमोक्रेट्स के सांसद ट्रंप के निर्णय के साथ खड़े नहीं हो सकते थे. लिहाजा चुनावी मौसम को देखते हुए ट्रंप ने अपना निर्णय बदल लिया.
ईरान को मिला कई राष्ट्रों का साथ
बीते एक महीने के अंदर ओमान की खाड़ी में दो बार अमरीकी ऑयल टैंकरों को निशाना बनाए जाने के बाद से मुद्दा व भी अधिक गंभीर हो गया. अमरीका ने ईरान पर आरोप लगाया, लेकिन ईरान इस हमले में हाथ होने से साफ मना कर दिया.
अमरीका ने दूसरी बार हुए हमले का वीडियो जारी किया व ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स को जिम्मेदार बताया. इन सबके बीच ईरान पर अमरीकी हमले को लेकर कई राष्ट्रों ने ट्रंप से वार्ताकी व सैन्य कार्रवाई न करने की सलाह दी.
सीधे तौर पर ईरान को कई राष्ट्रों का साथ मिला. इसमें चाइना ने मुखर होकर ईरान का साथ दिया. इसके अलावे अमरीकी सहयोगी फ्रांस, जर्मंनी, ब्रिटेन आदि राष्ट्रों ने भी ईरान पर सैन्य कार्रवाई न करने की बात कही.