अमरीका अब फलस्तीन को अपने फायदे के लिए प्रयोग करना चाहता है. संसार की नजर में वह इसे ‘पीस टू प्रोस्पेरिटी’ यानी ‘शांति से संपन्नता’ तक का नाम दे रहा है.मगर विशेषज्ञों की माने तो वह यहां पर अपना बड़ा मार्केट ढूंढ़ रहा है. गाजा पट्टी से जुड़ा फलस्तीन अकसर सुर्खियों में रहा है.इजराइल से उसकी पुरानी दुश्मनी है जो बार-बार सामने आ ही जाती है. बीते कई वर्षों से इजराइल व फलस्तीन के बीच गाजा पट्टी को लेकर हमले किए गए. गाजा पट्टी पर उपस्थितआतंकवादी संगठन हमास जिसे फलस्तीन का समर्थन है, अकसर इस लड़ाई का कारण बनता है. इस तनाव के कारण फलस्तीन का विकास रुका हुआ जा है.
अमरीका का बोलना है कि फलस्तीन की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए व उसे पड़ोसी अरब मुल्कों से रेल व सड़क माध्यम से जोड़ना महत्वपूर्ण है. इसके लिए एक ग्लोबल इंवेस्टमेन्ट फंड की जरूरत है. वाइट हाउस ने इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए लिखा है कि फ़लस्तीन में कई पीढ़ियों ने कठिन परिस्थितियों में अपना ज़िंदगी यापन किया है.लेकिन अब इसका अगला अध्याय आज़ादी व सम्मान का होगा.
अमरीका के अनुसार इसके ज़रिए फ़लस्तीन के समाज, वहां रहने वाले लोगों व वहां की सरकार को मदद मिलेगी. साथ ही वहां नौकरियां बढ़ेंगी व तेज़ी से आर्थिक तरक्की होगी.अमरीका को उम्मीद है कि किसी शांति समझौते तक पहुंचने की सूरत में इस प्रांत का विकास किया जा सकता है. हालाकि फ़लस्तीन ने ट्रंप प्रशासन की इस योजना को ख़ारिज कर दिया है. उसका बोलना है कि फ़लस्तीन के इलाकों पर इसराइली कब्ज़े को नज़रअंदाज़ कर किसी तरह की योजना नहीं बनाई जा सकती है.
क्या है योजना
वाइट हाउस की रिपोर्ट के अनुसार सबसे अधिक निवेश गाजा व वेस्ट बैंक पर किया जाएगा. इसके बाद जॉर्डन, मिस्र व लेबनन में भी होगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पांच अरब डॉलर का निवेश केवल वेस्ट बैंक को गज़ा से जोड़ने के लिए होगा. इसके साथ नयी सड़कों के निर्माण व पुरानी सड़कों को दुरुस्त किया जाएगा. इस पूरी योजना में निर्माण व व्यापार से जुड़ी करीब 179 छोटी-बड़ी परियोजनाएं शामिल हैं.
वाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकार जेरेड कुशनर बहरीन के मनामा में जून 25 व 26 को इसे लेकर प्रस्ताव रखने वाले हैं. एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में योजना की पूरी रूपरेखा पेश करेंगे.जेरेड कुशनर का बोलना है कि अगर इसे आगे बढ़ाया जाए तो ये “सदी में एक बार मिलने वाला अवसर” साबित होगा. बताते चलें कि अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप फलस्तीन के बजार को भुनाना चाहते हैं. यहां युद्ध की वजह से लोग मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित हैं. ऐसे में उनके दामाद कुशर जो की एक बिजनेसमैन उनके लिए यह बेहतरीन मौका होगा.
2017 में राष्ट्रपति ट्रंप ने इजराइल की राजधानी के रूप में यरूशलम को मान्यता दे दी थी. इसके बाद से फ़लस्तीन व अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच बातचीत बंद हो चुकी है. फ़लस्तीन का बोलना है कि वो एक स्वतंत्र देश है व पूर्वी येरूशलम उसकी राजधानी है.