नयी दिल्लीः देश के सबसे पुराने व विवादित मुकदमों में शुमार अयोध्या की राम जन्म धरती व बाबरी मस्जिद धरती टकराव निवारण के आखिरी पड़ाव में है. इस केस पर 40 दिन तक प्रतिदिन चली सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई. उच्चतम न्यायालय ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है. दीवाली के बाद किसी भी दिन इस मुद्दे पर निर्णय सुनाया जा सकता है. माना जा रहा है कि इस पर निर्णय जल्द आ सकता है.
अयोध्या टकराव मुद्दे में वादी इकबाल अंसारी ने ऐलान किया है कि वह राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद शीर्षक मुकदमे में उच्चतम न्यायालय के निर्णय को स्वीकार करेंगे व निर्णय को चुनौती देने वाली कोई याचिका दायर नहीं करेंगे. इकबाल अंसारी, जिनके पिता हाशिम अंसारी जो बाबरी मस्जिद मुद्दे में सबसे पुराने मुकदमेबाज थे, उन्होंने बोला कि वह खुश हैं कि मुद्दा अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंच रहा है. लगभग 70 वर्षों तक, अयोध्या ने इस मुद्दे पर सिर्फ पॉलिटिक्स देखी है, अब मुधे उम्मीद है कि यहां कुछ विकास होगा.
इकबाल अंसारी ने बोला कि उन्होंने अपने पिता द्वारा प्रारम्भ की गई लड़ाई को निभाने की कसम खाई थी व उन्होंने अपना वादा पूरा किया.मेरे पिता की मौत जुलाई 2016 में हुई थी. वह 95 वर्ष के थे. उन्होंने एक दर्जी के रूप में कार्य किया व फिर एक साइकिल मरम्मत की दुकान खोली. वह 1949 से बाबरी टाइटल सूट से जुड़ा था व सार्वजनिक सौहार्द को खत्म करने के लिए अरैस्ट किए गए लोगों में भी उनका नाम था, जब मस्जिद में राम की मूर्तियां लगाई गई थीं.हाशिम अंसारी को 1952 में विवादित स्थल पर नमाज़ के लिए ‘अजान’ देने के लिए दो वर्ष की कारागार की सजा सुनाई गई थी.