शिवगढ़\रायबरेली। क्षेत्र के हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बरखंडी नाथ बाबा का अति प्राचीन शिवमंदिर अपनी महिमा के लिए जाना जाता है। यहाँ पर मांगी गयी हर मुराद जरूर पूरी होती है कस्बे से एक किलोमीटर पूर्व में स्थित बाबा बनखंडीनाथ की स्थापना राजा रामेश्वर बक्स सिंह ने करवाई थी। कहा जाता है कि राजा रामेश्वर बक्श की कोई संतान नहीं थी परंतु वे सच्चे शिव भक्त थे। उन्होंने शिवगढ़ में कई मंदिरों की स्थापना भी करवाई थी।
बताते हैं एक रात स्वप्न में राजा को शिवजी ने दर्शन दिया और कहा तुम्हारी ड्योढ़ी से एक किलोमीटर दूर पूरब में मैं टीले के नीचे दबा पड़ा हूँ लोक हित के लिए तुम उस टीले की खुदाई कराओ और मुझे निकालकर स्थापित करो। ब्रम्ह मुहूर्त में आए स्वप्न की बात को राजा ने विद्वतजनों के समक्ष रखा, जिस पर सभी ने कहा राजन नीतिशास्त्र कहती है कि ब्रह्म मुहूर्त का स्वप्न सत्य होता है। हमें उस टीले की खुदाई करानी ही चाहिए, सर्वसम्मति से 21 दिन तक उस टीले की खुदाई चलती रही परंतु शिवलिंग नहीं मिला। 21 वे दिन राजा को फिर स्वप्न हुआ राजन मैं तो प्रगट हो चुका हूँ और स्वप्न के अनुसार दूसरे दिन जब सब लोग वहाँ गए तो स्वयंभू शिवलिंग को देखा।
राजा की आस्था और बढ़ गई उन्होंने उसी स्थान पर उन्हें स्थापित करके विशाल शिव मंदिर बनवा दिया और उसकी वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा भी करवाई। क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि बरखंडी नाथ बाबा की कृपा से राजा को चौथेपन मे एक वर्ष के भीतर पुत्र रत्न की प्राप्ति हो गई जिसका नाम उन्होंने इसी मंदिर के नाम पर श्री बरखंडी महेश प्रताप रखा। कालांतर में राजा बरखंडी बड़े प्रतापी राजा हुए और अपने पिता के आदर्शों पर चलते हुए प्रजा का पालन पुत्रवत किया।
मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद जरूर पूरी होती है तभी तो साल के बारहों महीने दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर मत्था टेकते हैं और एक इच्छित फल प्राप्त करते हैं। वैसे तो यहाँ प्रत्येक सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है परंतु सावन में तो भोले के भक्तों का ताँता ही लगा रहता है हर कोई यहाँ मत्था टेककर सुख समृद्धि की कामना करने को बेताब रहता है। रिपोर्ट- दुर्गेश मिश्र