जूनियर डॉक्टरों के साथ पश्चिम बंगाल में हाथापाई के बाद प्रारम्भ हुए आंदोलन की आंच अब दिल्ली भी पहुंच गई है। यहां के कई बड़े सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक हड़ताल पर चले गए हैं। जिससे मरीजों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली के करीब 11 हजार ने कामकाज ठप किया हुआ है, लेकिन इमरजेंसी सर्विस जारी है, आईसीयू चल रहे हैं। सीनियर चिकित्सक अपना कामकाज जारी रखे हुए हैं, ताकि ज्यादा परेशान मरीजों को ईलाज मिल सके। इसके अतिरिक्त मेडिकल स्टोर्स पर कोई प्रभाव नहीं है। दवाईयां मिल रही हैं। इसलिए इस हड़ताल से ज्यादा इमरजेंसी वाले मरीजों को घबराने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, दूर दराज से अप्वाइंटमेंट लेकर ओपीडी में ईलाज करवाने आने वाले मरीज परेशान हैं, क्योंकि ज्यादातर ओपीडी के भरोसे ही चलती है। जूनियर डॉक्टरों के असहयोग की वजह से अकेले एम्स में 632 सर्जरी कैंसिल कर देनी पड़ी है। सिर्फ इमरजेंसी सर्जरी ही जारी है। एम्स में सर्जरी की तारीख मिलना बहुत मुश्किल कार्य है। ऐसे में जिनकी सर्जरी डेट मिलने के बाद भी रद्द हो गई उनके लिए फिर से कठिनाई खड़ी हो गई है। उन्हें फिर से ऑपरेशन की नयी तारीख लेने के लिए भटकना पड़ेगा। यदि आपने इन अस्पतालों में ओपीडी के लिए अप्वाइंटमेंट ले रखा है तो पता करके ही घर से निकलें कि हड़ताल समाप्त हो गई है या नहीं।
फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन से जुड़े डॉ। प्रकाश ठाकुर ने बोला कि हम नहीं चाहते कि कोई मरीज परेशान हो लेकिन हम बंगाल केके साथ खड़े हैं। जब तक बंगाल के डॉक्टरों के साथ न्याय नहीं होता हम उनके साथ हैं। ममता बनर्जी जब तक माफी नहीं मांगेंगी तब तक हम हड़ताल समाप्त नहीं करेंगे। एम्स, सफदरजंग, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, आरएमएल सहित सभी सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक इसी समर्थन में हड़ताल पर हैं। ज्यादा गंभीर मरीजों को सेवाएं मिल रही हैं। इन अस्पतालों में एक तरफ मरीज भटक रहे हैं तो दूसरी ओर रेजीडेंट चिकित्सक अपना कामकाज रोक कर नारेबाजी कर रहे हैं।