कहीं आपको ऐसा तो नहीं लग रहा कि अरे, ये तो मेरी ही कहानी है। अगर लग रहा है तो हकीकत ही होगा क्योंकि हकीकत तो ये है कि हमारे आसपास हर चौथी प्रेम कहानी एकतरफा प्रेम की ही कहानी है। हर किसी को उससे प्यार है, जिसे उससे प्यार नहीं है। A को B से प्यार है, B को C से है, C को D से व D उस पहले वाले A की मुहब्बत में है। अजीब कुचक्र है।
एकतरफा प्रेम किसी ऐसे का इंतजार है, जिसे आपका इंतजार नहीं। ये उसकी बाट जोहना है, जो अपने घर से आपके घर आने के लिए निकला ही नहीं। ये दिन-रात उसके ख्यालों में डूबे रहना है, जिसके दिमाग में शायद ही कभी आपका ख्याल आता हो। ये उसका सपना है, जिसके सपने में आप नहीं। ये अपनी फोन स्क्रीन पर उसका नाम पढ़ने का इंतजार है, जो इस वक्त किसी व से फोन पर बात कर रहा है।
ये आपकी कहानी है। ये एकतरफा प्यार की कहानी है, लेकिन क्या ये सचमुच प्यार है। या ये कुछ व है, जिसे आप प्यार समझ बैठे हैं। अगर प्यार खुशी व उम्मीद लेकर आता है तो ये जो हो रहा है इस वक्त आपके साथ, उसने आपको सबसे ज्यादा दुख व नाउम्मीदी से भर दिया है। तब भी आप इसे प्यार कह रहे हैं व दिन रात उसकी आग में जलते हुए राख हुए जा रहे हैं।मर्द हैं तो शराब में डूब रहे हैं, औरत हैं तो प्रेम की चिट्ठियों व आंसुओं में जिंदगी गारत कर रखी है। आपका ये प्रेम आपसे जिंदगी में सब धतकर्म करवाए ले रहा है, सिवा आपको खुशी देने के। सिवा आपकी आंखों में रौशनी भरने के।
तो क्या फिर भी ये प्रेम है?
ये क्या है?
संसार का कोई दर्शन, कोई विचार, कोई लेखक, चिंतक, विचारक ये नहीं कहता कि प्रेम आंसू है, प्रेम दुख है, प्रेम अकेलापन है, प्रेम अवसाद है, अंधेरा है, पीड़ा है। लेकिन आपको ये सारी ही चीजें अपना प्रेम लगती हैं। इन्सानियत के शुरुआत से लेकर अब तक जितने भी दर्शन हुए, सबके मुताबिक ज़िंदगी का मकसद है इसे जीना, खुश रहना, कुछ बड़ा रचना, सार्थक होना। व प्रेम में पड़े आप इस वक्त ये छोड़कर बाकी सब हो रखे हैं। दिक्कत कहां है, आप में या दर्शन में?
क्यों हम एकतरफा प्रेम में जिंदगी लुटा देने, मर जाने को इतना ग्लोरीफाई करते हैं। क्यों हम उसी एक के पीछे पागल हैं, जबकि शायद अच्छा उसी वक्त हमारे आसपास ऐसे लोग भी हो सकते हैं, जो इंटरेस्टिंग हों, प्यार किए जाने लायक हों, जो हमसे प्रेम करना चाह रहे हों, जिनके साथ शायद ज्यादा बराबरी पर प्यार मुमकिन हो। लेकिन हमें वो नहीं चाहिए। हमें वही चाहिए, जिसे हम नहीं चाहिए।
मारग्रेट मिशेल के नॉवेल में स्कारलेट ओ हारा जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव, भटकन से गुजरते हुए भी एशली को ही प्यार करती रहती है, जबकि एशली साफ कह चुका है कि वो उससे नहीं, मेलिनी से प्यार करता है। स्कारलेट मान भी जाए तो उसका दिल मानने को राजी नहीं। वर्षों बाद तक भी कभी ऐशली को मेलिनी के लिए कुछ भी प्यार भरा करते देख उसका दिल दुख व ईर्ष्या में जलने लगता है। दांते बिएत्रिस को प्यार करते थे। बिएत्रिस करती थी कि नहीं पता नहीं। ऐसा नहीं लगता है कि संसार के सबसे महान प्रेमकाव्य की बिएत्रिस भी जिंदगी में कहीं नहीं, बल्कि सिर्फ दांते के दिमाग में थी। वो एकतरफा प्यार की कल्पना भर है। वैसे ऐसा एकतरफा प्यार अच्छा है, जिसका अंत ‘डिवाइन कॉमेडी’ में हो। मार्खेज के नॉवेल ‘लव इन द टाइम ऑफ कॉलरा’ को पढ़कर कौन नहीं रोया होगा, लेकिन उस कहानी से व प्रेम से दूर जाकर देखो तो लगता है कि किस वस्तु के इंतजार में फ्लारेंतीनो पूरी जिंदगी भटकता रहा। इस बीच कितना कुछ घटा होगा आसपास जिसे जिया जा सकता था। लेकिन वेश्याओं की छांह में हॉर्मोन्स को सुकून दे रहा हीरो फर्मिना डाजा के इंतजार में आयु काट देता है। मारियो वर्गास ल्योसा का वो नॉवेल ‘द बैड गर्ल’।रिकार्दो संसार की तमाम औरतों के साथ सोते हुए भी प्यार सिर्फ लिली से ही करता है। हेमिंग्वे के उपन्यास ‘द सन ऑलसो राइजेज’ का हीरो जैक ब्रैट की एकतरफा मुहब्बत में है। ‘द म्यूजियम ऑफ इन्नोसेंस’ का केमाल फुजुन की याद में जिंदगी भर उसकी चीजें व निशानियां इकट्ठा करता रहा। ओरहान पामुक का ये नॉवेल ऑब्सेशन में बदल चुके एकतरफा प्रेम की कहानी है।
‘ब्रिजेज ऑफ द मैडिसन काउंटी’ जैसी बहुत सी प्रेम कहानियां ऐसी भी हैं, जो एकतरफा तो नहीं हैं, लेकिन जो कभी मुकम्मल नहीं होतीं। चेखोव, तोल्स्तोय, गोगोल व तुर्गनेव को पढ़कर बड़े हुए लोगों का अवचेतन कहीं ये यकीन करने लगता है कि एकतरफा मुहब्बत में जिंदगी खपा देना ही प्यार है।
हर किसी को तलाश है अपनी जिंदगी की उस एक महान मुकम्मल प्रेम कहानी की, लेकिन जो प्रेम हर बार वो चुन रहा है, वो मुकम्मल होने के लिए बना ही नहीं। ऑक्सफोर्ड की एक रिसर्च कहती है कि इस तरह के प्यार व रिलेशनशिप में जाने वाले लोगों के व्यवहार में एक तरह का पैटर्न होता है। जैसेकि कार्ल गुस्ताव जुंग ने लिखा था कि अमूमन एक वयस्क ज़िंदगी में हमारा बहुत सारा व्यवहार एक साइकल या पैटर्न में चलता है। जिसे हम अपनी गलती या कमजोरी भी जान रहे हों, हम बार-बार उसे दोहराते हैं। ये एक ह्यूमन साइकल है। जुंग मनोवैज्ञानिक होने के साथ दार्शनिक भी थे। तो वो ये भी बताते हैं कि ये पैटर्न कोई अंतिम सत्य नहीं है। इसे तोड़ा व बदला जा सकता है, लेकिन वो एक कॉन्शस यानी सचेत निर्णय होगा।
अपनी किताब “द अनडिसकवर्ड सेल्फ” में वो लिखते हैं कि कैसे ये पैटर्न अनकॉन्शसली हो रहा है व अपने आपको ढूंढकर, समझकर, उस पैटर्न व उसके कारणों की तलाश कर उसे तोड़ना एक कॉन्शस निर्णय है। जो भी हो रहा है, वो बेवजह नहीं है। आपका बार-बार एकतरफा मुहब्बत में पड़ना भी नहीं। ये पैटर्न है, लेकिन ये तब तक नहीं बदलेगा, जब तक आपको ये अच्छा से दिखने वसमझ में न आने लगे कि ये पैटर्न है। जब तक आप इसे लेकर सचेत न हों कि ये आपकी मेंटल व इमोशनल हेल्थ के लिए खतरनाक है।
एकतरफा प्यार कई बार प्यार नहीं, बल्कि हमारे अवचेतन में बसा इगो भी होता है। हम खुद को रिजेक्टेड या ठुकराया गया महसूस करते हैं। हम उसे पाना चाहते हैं ताकि अपने उस आहत इगो को सटिस्फाई कर सकें। ये इगो ठीक-ठीक अहंकार भी नहीं है। ये हमारे सेल्फ का वो हिस्सा है, जो अपने होने का अर्थ, उसकी सार्थकता महसूस करने के लिए दूसरे की स्वीकार्यता चाहता है।कोई प्यार के बदले प्यार न करे, कोई छोड़कर चला जाए, रिश्ता खत्म कर ले तो वो परित्यक्त जैसा महसूस करता है। ठुकराए जाने की तकलीफ बहुत गहरी होती है। कई बार हम जिसे प्यार समझकर उसमें जल रहे होते हैं, वो ये रिजेक्शन व ठुकराए जाने का एहसास ज्यादा होता है, प्यार कम।
वर्षों पहले जातक कथाओं वाली किताब में एक कहानी पढ़ी थी। उसका सार ये था कि जो कार्य सरल ढंग से, आसान रास्ते से किया जा सकता है, उसके लिए कठिन राह क्यों चुनना। जब पहले दिन से पता ही है कि ये प्यार मुकम्मल नहीं होने वाला, कि इस रास्ते में सिर्फ कांटे हैं, फिर भी हमने वही सड़क चुनी चलने के लिए। क्यों? जानते-बूझते कठिन रास्ता चुनने वाले इस सवाल का जवाब जुंग के पास मिलता है। सरल रास्ते चुनने में क्या चुनौती, क्या मजा? सबकुछ ठीक-ठीक ही हो जाए तो बोरिंग नहीं हो जाएगा। मैंने उससे प्यार किया, उसने मुझसे प्यार किया। दोनों हैपिली एवर आफ्टर। न कोई चैलेंज, न एक्साइटमेंट। बिना कठिन राह चुने, बिना गिरे-पड़े, बिना सिर फुड़वाए, घुटने छिलवाए मंजिल तक पहुंचे भी तो क्या पहुंचे। थोड़े टेढ़े लोग सीधा रास्ता नहीं चुनते। उन्हें अवसाद में जीना मंजूर है, लेकिन जो उन्हें प्यार करे, उसे ही पलटकर प्यार कर लेना मंजूर नहीं। उन्हें तो प्यार के रास्ते में भी चुनौती चाहिए।
इस पैटर्न का कनेक्शन होने कि सम्भावना है। ऐसा जुंग नहीं कहते। ये सिर्फ मेरा तुक्का है। जुंग ने एडल्ट जीवन में डिप्रेशन का शिकार होने वाले लोगों की इस अवस्था को उनके बचपन से जोड़कर देखा। जब हम मां के पेट में थे, तब अगर मां दुखी, उदास, ठुकराया गया, अकेला महसूस कर रही थी, तो ये सारे इमोशंस बच्चे को भी महसूस होंगे। ये अवचेतन में होते हैं। महत्वपूर्ण नहीं, प्रारम्भ से ही सतह पर दिखाई दें। लेकिन वयस्क ज़िंदगी में अवसाद का शिकार होने वाले लोग अकसर तकलीफदेह बचपन से गुजरकर आए होते हैं। अवसाद के साथ उनका एक पहचान का रिश्ता होता है।कोई ऐसा इमोशन, जिसे आपसे ज्यादा आपका अवचेतन पहचान रहा है। हद अजनबियत से घिरी संसार में हमारा अवचेतन मन बार-बार एक पहचान का रिश्ता ढूंढता है, वो इमोशन ढूंढता है, जिसे वो मां के पेट से जानता है।
एकतरफा प्यार में जान जलाने वाले भी अकसर ऐसे ही अवसाद के शिकार होते हैं। ऐसे रिश्तों में कई बार ये भी होता है कि दूसरा व्यक्ति आपके इमोशंस को एक्प्लॉइट करने लगे। आप प्रेम में उस पर जो कुछ लुटाए जा रहे हैं, वो ले ले व बदले में ढेला भी न दे। आप उसके लिए मीलों दौड़ जाएं व वो आपके लिए एक कदम भी न चले। व ये कहे भी नहीं कि तुम भी मत चलो। ऐसे रिश्तों में फायनेंशियली एक्सप्लॉइट करने के भी अनगिनत उदाहरण हैं। मैं एक लड़की को जानती हूं, जो ऐसे ही प्रेम के भ्रम में लड़के पर पैसे लुटाती रही। लड़के ने चाय के पांच रु। भी नहीं दिए। जब तक उसे बात समझ आती, तब तक हजारों लुट चुके थे। ऐसा एकतरफा प्यार अपने ‘स्व’ का ‘आत्म’ का अनादर भी है। ये अनफेयर है व कई बार तो एब्यूसिव भी। क्या हम जाने-अनजाने इसमें इसलिए घुस रहे हैं क्योंकि हमने मां के पेट में रहते हुए ये सब महसूस किया। जो हम जानते भी नहीं कि हमने किया। इसलिए ऐसे अनफेयर, एब्यूसिव रिश्तों में जाने का आपका पैटर्न हो, खासतौर पर लड़कियों का तो बकौल जुंग उन्हें एक ‘सचेत फैसला’ लेने की आवश्यकता है। उन्हें एक बार अपनी जिंदगी में उतरकर, अकेले या किसी की मदद से अपने बचपन में जाकर अवचेतन की उन स्मृतियों को डीकोड करने की आवश्यकता है। कहीं ऐसा तो नहीं कि वो प्यार से ज्यादा दुख व रिजेक्शन के साथ अपना वो पुराना पहचान का रिश्ता ढूंढ रहे हैं। हर बार ऐसा होना महत्वपूर्ण नहीं, लेकिन हो भी सकता है। डीकोड करना महत्वपूर्ण है।
एकतरफा प्यार में जलने की व भी वजहें हो सकती हैं। जैसेकि हम ये स्वीकार ही नहीं करना चाहते कि दूसरा व्यक्ति हमें नहीं चाहता है। ये मान लेना तकलीफदेह है। इसलिए हम लगातार अपने लिए भ्रम की एक संसार बुनते हैं। बार-बार इस उम्मीद से उधर जाते हैं कि शायद इस बार सब अच्छा होगा, लेकिन वो होता नहीं। कई बार ऐसे रिश्तों में पड़ने की वजह एक स्थाई रिश्ते का अनकहा भय भी होता है। कमिटमेंट फोबिया होता है। एक से दूसरे अधूरे, एकतरफा रिश्तों में डोलने वाला व्यक्ति कई बार साथ न हो पाने की तकलीफ से ज्यादा साथ हो जाने के ख्याल से डरता है। महत्वपूर्णनहीं, इस बात की चेतना भी हो। ये भय कहीं अवचेतन में भी होने कि सम्भावना है।
ये प्रेम किसी असंभव रूमानी स्वप्न की तलाश भी हो सकती है। ढ़ाई हजार वर्ष पैदा हुए प्लेटो, अरस्तू व सुकरात से लेकर फ्रायड व जुंग तक मानवीय मस्तिष्क की उस जानलेवा वायरिंग की बात करते हैं, जिसमें रोमांस नाम का करंट दौड़ा करता है। वो भावनात्मक लगाव जो हम किसी खास के लिए ही महसूस करते हैं। जैसेकि फ्रायड कहते हैं कि रोमांटिक प्रेम का संबंध एक किस्म की संपूर्णता के एहसास से है। हम प्रेम करते हैं क्योंकि अधूरा महसूस करते हैं। हमें लगता है कि कुछ कम है। प्यार से वो पूरा हो जाएगा। संपूर्ण महसूस करने के लिए कई बार सिर्फ प्रेम करना व देना ही इतना महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम ये हिसाब लगाना भूल जाते हैं कि दिया तो, लेकिन कुछ पाया भी क्या।
प्यार पर लिखना वैसे भी सरल नहीं। व इस तरह का आर्टिक्ल लिखना, जो मुहब्बत को डिकोड करने की प्रयास हो, वो तो व भी सरल नहीं। लिखना प्रारम्भ किया तो लगा जैसे इस तकलीफ का कोई हल है मेरे पास। लेकिन हकीकत तो ये है कि नहीं है। कोई अंतिम सत्य भी नहीं है। दूसरों के रायतों को दूर से ऑब्जर्वर की तरह निहार रहे लोगों की अपनी जिंदगी के रायते भी कुछ कम नहीं हैं। जो दूसरों के हकीकत को समझते व उन्हें समझाते हुए से लगते हैं, वो भी ठीक-ठीक अपने हकीकत को समझ नहीं पाते। सचेत निर्णय लेना तो बहुत दूर की बात है।
जो भी है, जिन्होंने पूरी जिंदगी ये समझने में लगाई, अंतिम जवाब तो उनके पास भी नहीं। आपकी मुहब्बत इसमें से कौन-सी वाली है, ये खुद आपको ही समझना होगा। अपने दुख का कारण व अपने दुख का इलाज। अपनी खुशी की तलाश।
सब सहकर, जीकर, मरकर, देखकर, लिखकर अंत में सिर्फ इतना ही समझ में आता है कि ज़िंदगी जीने के लिए है, खुश रहने के लिए, प्यार करने व कर सकने के लिए, अपने भीतर की प्यार की ताकत को बचाए रखने के लिए।
उसकी हरी बत्ती निहारते हुए पूरी रात आंसुओं में गुजार देने के लिए नहीं, जिसके दिल में पूरी रात में एक भी बार आपका ख्याल नहीं आया।