गर्लफ्रैंड को पल-पल का हिसाब नहीं देना पड़ता है. वो अलग बात है कि लड़के अपनी मर्जी से उसके करीब जाने के लिए हर बात बताते रहें। लेकिन बात-बात पर सवाल पूछना गर्लफ्रैंड की आदत नहीं होती है और इसीलिए हर लड़का बीबी नहीं गर्लफ्रैंड चाहता है
गर्लफ्रैंड, बहुत नज़र नहीं रख पाती है क्योकि वो हमेशा साथ नहीं होती। लेकिन बीबी को अधिकार प्राप्त होते हैं कि वह आपके साथ रहें। ऐसे में उससे बचकर नटखटगिरि करना मुश्किल हो जाता है। गर्लफ्रैंड बहुत ज्यादा कंट्रोल नहीं कर पाती हैं, ऐसे में उन्हें गर्लफ्रैंड ही पसंद आए।
गर्लफ्रैंड से हर बात की परमीशन नहीं मांगनी पड़ती है। लेकिन कोई मर्द शादीशुदा है तो उसे अपनी बीबी से हर बात पर परमीशन या सलाह लेना आवश्यक हो जाता है वरना वो गुस्सा हो जाती है।
बीबी से ज्यादा आजादी गर्लफ्रैंड देती है क्योंकि उसे आपके लिए ज्यादा चिंता या भावना नहीं होती है और होती भी है तो बहुत सीमित। मर्दों को गर्लफ्रैंड गले का फंदा नहीं बल्कि गले का हार लगती हैं।