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भारतीय रेलवे के 114 साल पुराने प्रशासनिक ढांचे में फेरबदल करते हुए सरकार ने उठाया ये कदम

सरकार ने भारतीय रेलवे के 114 साल पुराने प्रशासनिक ढांचे में फेरबदल करते हुए आठ विभागीय सेवाओं को एकीकृत कर भारतीय रेल प्रबंधन सेवा का गठन कर दिया है तथा रेलवे बोर्ड के ढांचे का आकार आधा करने के साथ ही ज़ोनल महाप्रबंधकों को केन्द्र सरकार के सचिव के समकक्ष बना दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में मंत्रिमंडल के इस निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि रेलवे में इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलैक्ट्रिकल्स, लेखा, भंडारण, कार्मिक, यातायात, सिगनल एवं टेलीकॉम सेवाओं को मिला कर एक सेवा भारतीय रेल प्रबंधन सेवा करने को आज मंजूरी दे दी गई है। यह निर्णय आज से ही लागू हो गया है।

उन्होंने कहा कि रेलवे बोर्ड का पहली बार गठन 1905 में किया गया था। करीब 114 साल से रेलवे विभागीय गुटों में बंटी थी। आठों सेवाओं के अधिकारी पहले अपने अपने विभाग के प्रति ही ज़्यादा समर्पित रहते थे और बोर्ड के सदस्य बनने पर समग्र रेलवे की बजाय अपने अपने विभागों की चिंता करते थे। इस निर्णय से रेलवे में विभागीय गुटबाजी समाप्त होगी और रेलवे में निर्णय प्रक्रिया की गति तेज होगी तथा भारतीय रेलवे 21वीं सदी की नई चुनौतियों का सामना करने में अधिक सक्षम होगी।

गोयल ने बताया कि प्रकाश टंडन समिति (1994), राकेश मोहन समिति (2001), सैम पित्रोदा समिति (2012) और बिबेक देबराय समिति (2015) ने एक स्वर से रेलवे की शीर्ष प्रशासनिक श्रृंखला के लिए एक ही संयुक्त सेवा बनाने की सिफारिश की थी। इसके अलावा रेलवे के अधिकारियों के बीच गहन विचार मंथन की प्रक्रिया में भी इसके लिए सहमति बनने पर प्रधानमंत्री मोदी ने यह साहसिक निर्णय लिया है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। रेलवे के अधिकारियों को पदोन्नति के बेहतर अवसर मिलेंगे और उनकी वरिष्ठता भी पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी।

उन्होंने बताया कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष की भूमिका अब मुख्य कार्यकारी अधिकारी की होगी और उसमें चार सदस्य ही होंगे। सदस्य (आधारभूत ढांचा), सदस्य (ऑपेरशन्स एवं बिजनेस डेवेलपमेंट), सदस्य (रोलिंग स्टॉक) और सदस्य (वित्त) होंगे। रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष मानव संसाधन प्रबंधन के लिए एक महानिदेशक के साथ काम करेगा। वर्तमान में रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष बोर्ड के अन्य सदस्य के समकक्ष होता है। भारतीय रेलवे चिकित्सा सेवा को अब भारतीय रेलवे स्वास्थ्य सेवा कहा जाएगा।

उन्होंने बताया कि नए रेलवे बोर्ड में सदस्यों के तीन पद समाप्त कर दिए जाएंगे। बोर्ड में कुछ स्वतंत्र सदस्य भी होंगे जो गैर कार्यकारी प्रकृति के होंगे। ये प्रबंधन, वित्त या तकनीकी दक्षता के साथ दीर्घकालिक अनुभव वाले विशेषज्ञ होंगे और इनके बारे में समय समय पर निर्णय लिया जाएगा। रेलवे बोर्ड के बाकी सभी पद सभी प्रकार की सेवाओं के अधिकारियों के लिए खुल जाएंगे जिन पर उनकी योग्यता एवं क्षमता के आधार पर नियुक्ति होगी।

गोयल ने बताया कि रेलवे बोर्ड में सचिव स्तर के दस पद होंगे जबकि महाप्रबंधक स्तर के 27 पदों की ग्रेड बढ़ाकर उन्हें शीर्ष ग्रेड में लाया जाएगा। सभी जोनल एवं उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधक अब केन्द्र सरकार के सचिव के समकक्ष हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि मंडल रेल प्रबंधकों एवं महाप्रबंधकों की नियुक्ति में सेवाओं का कोटा भी समाप्त हो जाएगा। केवल योग्यता एवं क्षमता के आधार पर सक्षम लोगों को नियुक्ति मिलेगी।

उन्होंने कहा कि 2021 से होने वाली भर्ती परीक्षाओं में आईआरएमएस के कैडर में अधिकारियों की भर्ती की जाएगी। रेलवे में सभी प्रकार की विधाओं के लिए आवश्यक विशेषज्ञता के अधिकारियों की भर्ती सुनिश्चित करने के लिए कैबिनेट सचिव द्वारा गठित सचिवों के समूह की वैकल्पिक व्यवस्था विचार करेगी। एक सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष या सदस्य आईआरएमएस अधिकारी ही होगा, कोई आईएएस अधिकारी इन पदों पर नियुक्त नहीं किया जा सकता।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस समय रेलवे के तीन सदस्य एक माह के अंदर सेवानिवृत्त हो रहे हैं जिससे नई व्यवस्था को बनाने में कोई असुविधा नहीं आएगी। यदि कोई अधिकारी बोर्ड से बाहर जाएगा तो उसके वेतनमान एवं वरिष्ठता आदि का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

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