धीमे पड़े मानसून ने अब फिर से गति पकड़ी है। मध्य महाराष्ट्र, मराठवाड़ा, विदर्भ व कर्नाटक के बाकी हिस्सों में मानसून ने दस्तक दे दी है। साथ ही तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल व बिहार में भी मॉनसून का आगाज हो गया है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 48 घंटे में मानसून दक्षिण गुजरात व पूर्वी यूपी में पहुंचने की आसार है। मानसून के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती जा रही हैं। इस वर्ष मानसून में वैसे 43 प्रतिशत की कमी रही है। मध्य हिंदुस्तान पर इसका सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है जहां बारिश औसत से 54 प्रतिशत कम रही है। लेकिन अब मौसम विभाग ने अगले 48 घंटों में राज्यों में मानसून को लेकर उम्मीद जताई है।
भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिकों अनुसार, दिल्लीवालों को मानसून के लिए अब जुलाई के दूसरे हफ्ते तक इंतजार करना पड़ेगा। पहले उम्मीद की जा रही थी कि मानसून दिल्ली तक जुलाई के पहले हफ्ते तक पहुंच जाएगा। दिल्ली में मानसून से पहले होने वाली बारिश भी इस वर्ष पिछले नौ वर्षों के दौरान सबसे कम पंजीकृत की गई है। पहले से ही पानी की कमी से जूझ रही दिल्ली के लिए मानसून में कमी से जल संकट पैदा होने कि सम्भावना है।
इन इलाकों के लिए अच्छी खबर
मानसून के देरी से पहुंचने के बावजूद यह हफ्ते सूखे से जूझ रहे इलाकों के लिए खुशखबरी लेकर आ सकता है। मध्य हिंदुस्तान व दक्षिण हिंदुस्तान के जिन हिस्सों में सूखे का संकट है, उनके लिए इस हफ्ते बारिश खुशखबरी लेकर आ रही है। बिहार में भी बारिश के कारण गर्मी से कुछ राहत मिली है। इसके अतिरिक्त बारिश के कारण प्रदेश में चमकी बुखार पर भी नियंत्रण में कुछ राहत मिलेगी।
इस वजह से मानसून की गति धीमे
स्काइमेट के एक्सपर्ट्स के अनुसार चक्रवाती वायु तूफान (Cyclone Vayu) की वजह से मानसून की गति धीमी को गई है। साथ ही एक्सपर्ट्स का मानना है कि मानसून पर अल नीनो (El Nino) का प्रभाव भी होने कि सम्भावना है। अल नीनो के प्रभाव की वजह से ही मानसून से पहले होने वाली बारिश में कमी आई है व जुलाई, अगस्त व सितंबर में भी इससे मानसून प्रभावित होने कि सम्भावना है। दिल्ली के साथ ही हरियाणा, पंजाब उत्तराखंड, हिमाचल व कश्मीर में भी मानसून देर से पहुंचेगा। हालांकि अभी तक मौसम विभाग दावा कर रहा था कि मानसून दो-तीन दिन ही देर से चल रहा है। हिंदुस्तान में दक्षिण पश्चिमी मानसून को ही मानसून सीजन बोला जाता है। आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि देश में अल नीनो की वजह से सूखे का खतरा सबसे ज्यादा रहता है व इस बार भी इसकी संभावना प्रबल होती जा रहा है।