सावन का महीना आ गया है और शिवभक्त भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा पर निकल पड़े हैं. क्या आप जानते हैं कि देश के अलग-अलग हिस्सों में श्रद्धालुओं द्वारा उठाए जाने वाली कांवड़ कौन बनाता है? आपको जानकर शायद हैरानी होगी, लंबे समय से कई मुस्लिम परिवार ये कांवड़ बना रहे हैं.
हर साल करोड़ों कांवड़िये झारखंड के देवघर जिला स्थित विश्व प्रसिद्ध वैद्यनाथ धाम में बिहार के सुल्तानगंज में गंगा नदी से जल लेकर द्वादश ज्योतिर्लिगों में से एक का जलाभिषेक करते हैं. यहां अधिकांश कांवड़ बिहार के मुस्लिम परिवार बनाते हैं और वे पीढ़ियों से यह काम करते आ रहे हैं. सुल्तानगंज से कांवड़ यात्रा शुरू होने के कारण यहां कांवड़ की बिक्री काफी ज्यादा होती है. सुल्तानगंज में ऐसे कई मुस्लिम परिवार हैं, जिनका मुख्य काम कांवड़ बनाना ही है. वैसे तो इन कारीगरों द्वारा बनाए जाने वाले कांवड़ वर्षभर बिकते हैं, लेकिन सावन में बिक्री बढ़ जाती है.
सुल्तानगंज से कांवड़ यात्रा शुरू होने के कारण यहां कांवड़ की बिक्री काफी ज्यादा होती है. सुल्तानगंज में ऐसे कई मुस्लिम परिवार हैं, जिनका मुख्य काम कांवड़ बनाना ही है. वैसे तो इन कारीगरों द्वारा बनाए जाने वाले कांवड़ वर्षभर बिकते हैं, लेकिन सावन में बिक्री बढ़ जाती है. कांवड़ के अलावा यहां कांवड़ियों के केसरिया कपड़ों का भी बड़ा कारोबार होता है. इस साल कांवड़ियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योग आदित्यनाथ के प्रिंट वाली टी-शर्ट पहने देखा गया है. ऐसी टी-शर्ट भगवान शिव के निवास स्थान वाराणसी में सबसे पहले बिकनी शुरू हुई थी. वाराणसी प्रधानमंत्री मोदी का निर्वाचन क्षेत्र भी है. यहां कांवड़ के कपड़ों का कारोबार करने वाले भी ज्यादातर मुस्लिम समुदाय के लोग ही हैं.